अगरतला : त्रिपुरा राज्य विधि सेवा प्राधिकरण और राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण (NALSA) के सहयोग से रविवार को अगरतला में आयोजित बच्चों के अधिकारों पर संवाद कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस उदय उमेश ललित ने कहा कि सिर्फ बाल तस्करी और बाल शोषण ही नहीं, चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, 'मुझे एक न्यायाधीश के रूप में एक मामले से निपटने का अवसर मिला, जब इंटरनेट सेवा प्रदाताओं ने मुझे बताया कि उनका अपने प्लेटफॉर्म पर नियंत्रण में नहीं है.'
राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण के एग्जीक्यूटिव चेयरपर्सन जस्टिस उदय उमेश ललित ने कहा, 'इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (आईएसपी) ने कहा कि वे 72 घंटे में आपत्तिजनक सामग्री हटा सकते हैं. लेकिन इस अवधि में, पीड़ित की प्रतिष्ठा इतनी कमजोर हो सकती है कि यह फिर से हासिल नहीं की सकती है. हमारे पास कानूनी तंत्र होना चाहिए, जिसके जरिए आपत्तिजनक इंटरनेट सामग्री निपटा जा सके.
जस्टिस यू यू ललित ने समाज में बच्चों के अधिकारों की रक्षा में सभी संबंधितों की भूमिका पर जोर दिया है. उन्होंने कहा कि बच्चों का सर्वांगीण विकास और उनके अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए.
जस्टिस ललित ने कहा कि शिक्षा के अधिकार के तहत यह उल्लेख किया गया है कि 6-14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों की शिक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए. साथ ही उनके गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि उन्हें शिक्षित किया जा सके.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए काम कर रहा है और समाज को बच्चों के लिए ऐसा माहौल बनाने की जरूरत है जहां वे सुरक्षित महसूस कर सकें.
बता दें, राष्ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण ने 2 अक्टूबर से 14 नवंबर तक पूरे देश में विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से बच्चों के अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने की पहल की है.
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कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस ऋषिकेश रॉय भी विशिष्ट अतिथि के तौर पर मौजूद थे. उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता त्रिपुरा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महंती ने की.