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सीएमएस में जन सूचना अधिकारी नियुक्त करने के राज्य सूचना आयोग के आदेश पर रोक - जन सूचना अधिकारी नियुक्त करने संबधी आदेश पर अंतरिम रोक

सीएमएस ने अपनी याचिका में कहा कि आयेाग का आदेश मनमाना व क्षेत्राधिकार से परे है. यह भी कहा गया कि वह लोक अधिकारी की श्रेणी में नहीं आता है.

राज्य सूचना आयोग के आदेश पर रोक
राज्य सूचना आयोग के आदेश पर रोक
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Published : Sep 9, 2021, 9:51 AM IST

लखनऊ: इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने सिटी मांटेसरी स्कूल (सीएमएस) सहित अन्य संस्थानों में जन सूचना अधिकारी नियुक्त करने संबधी आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है. अदालत ने राज्य सूचना आयोग द्वारा इस बाबत उप्र के मुख्य सचिव को जारी आदेश को कानूनन 'अनुचित' करार दिया. हालांकि, अदालत ने साफ किया कि नियमों के तहत यदि सीएमएस किसी सरकारी अधिकारी या सार्वजनिक प्राधिकरण को कोई सूचना देने के लिए बाध्य है तो उसे सूचना देनी पड़ेगी.

मंगलवार को मिली जानकारी के अनुसार यह आदेश न्‍यायमूर्ति राजन राय व न्‍यायमूर्ति सुरेश कुमार गुप्ता की पीठ ने सीएमएस के संस्‍थापक प्रबंधक जगदीश गांधी की ओर से दाखिल एक रिट याचिका पर पारित किया. याची ने राज्य सूचना आयेाग के उस आदेश को उसके क्षेत्राधिकार से परे बताया था जिसमें उसने सीधे प्रदेश के मुख्य सचिव को आदेश दे दिया था कि वह शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत आने वाले सभी संस्थानों में एक-एक जन सूचना अधिकारी नियुक्त करे. दरअसल आयोग ने यह आदेश संजय शर्मा की ओर से उसके समक्ष दायर की गई एक शिकायत पर दिया था.

सीएमएस ने अपनी याचिका में कहा कि आयेाग का आदेश मनमाना व क्षेत्राधिकार से परे है. यह भी कहा गया कि वह लोक अधिकारी की श्रेणी में नहीं आता है. अदालत ने सुनवायी के दौरान पाया कि आयोग ने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर आदेश पारित किया है, जिसके बाद उसने आयोग के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी. इसके साथ ही अदालत ने यह भी साफ किया कि संजय शर्मा की शिकायत पर आयोग नियमानुसार सुनवायी आगे बढ़ा सकता है.

पीटीआई-भाषा

लखनऊ: इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने सिटी मांटेसरी स्कूल (सीएमएस) सहित अन्य संस्थानों में जन सूचना अधिकारी नियुक्त करने संबधी आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है. अदालत ने राज्य सूचना आयोग द्वारा इस बाबत उप्र के मुख्य सचिव को जारी आदेश को कानूनन 'अनुचित' करार दिया. हालांकि, अदालत ने साफ किया कि नियमों के तहत यदि सीएमएस किसी सरकारी अधिकारी या सार्वजनिक प्राधिकरण को कोई सूचना देने के लिए बाध्य है तो उसे सूचना देनी पड़ेगी.

मंगलवार को मिली जानकारी के अनुसार यह आदेश न्‍यायमूर्ति राजन राय व न्‍यायमूर्ति सुरेश कुमार गुप्ता की पीठ ने सीएमएस के संस्‍थापक प्रबंधक जगदीश गांधी की ओर से दाखिल एक रिट याचिका पर पारित किया. याची ने राज्य सूचना आयेाग के उस आदेश को उसके क्षेत्राधिकार से परे बताया था जिसमें उसने सीधे प्रदेश के मुख्य सचिव को आदेश दे दिया था कि वह शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत आने वाले सभी संस्थानों में एक-एक जन सूचना अधिकारी नियुक्त करे. दरअसल आयोग ने यह आदेश संजय शर्मा की ओर से उसके समक्ष दायर की गई एक शिकायत पर दिया था.

सीएमएस ने अपनी याचिका में कहा कि आयेाग का आदेश मनमाना व क्षेत्राधिकार से परे है. यह भी कहा गया कि वह लोक अधिकारी की श्रेणी में नहीं आता है. अदालत ने सुनवायी के दौरान पाया कि आयोग ने क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर आदेश पारित किया है, जिसके बाद उसने आयोग के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी. इसके साथ ही अदालत ने यह भी साफ किया कि संजय शर्मा की शिकायत पर आयोग नियमानुसार सुनवायी आगे बढ़ा सकता है.

पीटीआई-भाषा

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