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प्रकृति में समय बिताने से बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य होगा बहतर : अध्ययन

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Published : Oct 17, 2021, 3:41 PM IST

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (University of Cambridge) और ससेक्स विश्वविद्यालय (University of Sussex) के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में यह भी पाया गया कि संपन्न परिवारों के बच्चों ने अपने कम संपन्न साथियों की तुलना में महामारी के दौरान प्रकृति से अपने संबंध को अधिक बढ़ाया है.

प्रकृति
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कैम्ब्रिज : एक नए अध्ययन के अनुसार जिन बच्चों ने लॉकडाउन के दौरान प्रकृति में सबसे अधिक समय बिताया (spent maximum time in nature), उनमें भावनात्मक समस्याओं (emotional problems ) का स्तर उन लोगों की तुलना में कम होने की संभावना है, जिनका प्रकृति से संबंध समान रहा या कम हो गया. इसमें सभी समाज और हर आर्थिक स्थिति के बच्चे शामिल हैं.

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (University of Cambridge) और ससेक्स विश्वविद्यालय (University of Sussex) के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में यह भी पाया गया कि संपन्न परिवारों के बच्चों ने अपने कम संपन्न साथियों की तुलना में महामारी के दौरान प्रकृति से अपने संबंध को अधिक बढ़ाया है.

लॉकडाउन के दौरान लगभग दो-तिहाई माता-पिता ने प्रकृति के साथ अपने बच्चे के संबंध में बदलाव की सूचना दी, जबकि एक तिहाई बच्चे जिनके प्रकृति से संबंध कम हो गए, उनकी समस्याओं में इजाफा हुआ है. उनके स्वभाव में घबराहट और दुख की प्रवृति में बढ़ोतरी देखने को मिली है.

रिपोर्ट ने मुताबिक लोगों को घरों और स्कूलों में अपने बच्चों को प्रकृति से जुड़ने में सहायता करने के लिए और अधिक प्रयास किए जाने चाहिए. साथ ही बच्चों के लिए अधिक समय के लिए एकस्ट्रा करिक्यलर एक्टिविटीज (extracurricular activities) की संख्या को कम करना, स्कूलों में बागवानी परियोजनाओं का प्रावधान (provision of gardening projects) और स्कूलों के लिए धन, विशेष रूप से वंचित क्षेत्रों में, प्रकृति-आधारित शिक्षण कार्यक्रमों को लागू करने का सुझाव दिया गया है.

अध्ययन ने COVID-19 महामारी के दौरान संभावित भविष्य के प्रतिबंधों (potential future restrictions) के संबंध में महत्वपूर्ण मार्गदर्शन भी दिया.

पढ़ें - खाने के तेल की कीमतों ने भी बिगाड़ा किचन का बजट, जानिये क्यों बढ़ रहे दाम और खपत ?

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर फैमिली रिसर्च (Centre for Family Research) के एक शोधकर्ता सामंथा फ्रीडमैन (Samantha Friedman) ने कहा, 'हम जानते हैं कि प्रकृति तक पहुंच और जुड़ाव बच्चों और वयस्कों में व्यापक लाभों से जुड़ा है, जिसमें चिंता और अवसाद के स्तर को कम करना और तनाव कम करना शामिल है.'

उन्होंने आगे कहा कि COVID-19 लॉकडाउन का मतलब था कि बच्चों के पास करने के लिए सामान्य स्कूल गतिविधियां, दिनचर्या और सोशल एक्टीविज नहीं थीं. इन बाधाओं को हटाने से हमें यह देखने के लिए एक नया संदर्भ मिला कि प्रकृति के संबंध में परिवर्तन मानसिक स्वास्थ्य (mental health) को कैसे प्रभावित करते हैं.

कैम्ब्रिज : एक नए अध्ययन के अनुसार जिन बच्चों ने लॉकडाउन के दौरान प्रकृति में सबसे अधिक समय बिताया (spent maximum time in nature), उनमें भावनात्मक समस्याओं (emotional problems ) का स्तर उन लोगों की तुलना में कम होने की संभावना है, जिनका प्रकृति से संबंध समान रहा या कम हो गया. इसमें सभी समाज और हर आर्थिक स्थिति के बच्चे शामिल हैं.

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (University of Cambridge) और ससेक्स विश्वविद्यालय (University of Sussex) के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन में यह भी पाया गया कि संपन्न परिवारों के बच्चों ने अपने कम संपन्न साथियों की तुलना में महामारी के दौरान प्रकृति से अपने संबंध को अधिक बढ़ाया है.

लॉकडाउन के दौरान लगभग दो-तिहाई माता-पिता ने प्रकृति के साथ अपने बच्चे के संबंध में बदलाव की सूचना दी, जबकि एक तिहाई बच्चे जिनके प्रकृति से संबंध कम हो गए, उनकी समस्याओं में इजाफा हुआ है. उनके स्वभाव में घबराहट और दुख की प्रवृति में बढ़ोतरी देखने को मिली है.

रिपोर्ट ने मुताबिक लोगों को घरों और स्कूलों में अपने बच्चों को प्रकृति से जुड़ने में सहायता करने के लिए और अधिक प्रयास किए जाने चाहिए. साथ ही बच्चों के लिए अधिक समय के लिए एकस्ट्रा करिक्यलर एक्टिविटीज (extracurricular activities) की संख्या को कम करना, स्कूलों में बागवानी परियोजनाओं का प्रावधान (provision of gardening projects) और स्कूलों के लिए धन, विशेष रूप से वंचित क्षेत्रों में, प्रकृति-आधारित शिक्षण कार्यक्रमों को लागू करने का सुझाव दिया गया है.

अध्ययन ने COVID-19 महामारी के दौरान संभावित भविष्य के प्रतिबंधों (potential future restrictions) के संबंध में महत्वपूर्ण मार्गदर्शन भी दिया.

पढ़ें - खाने के तेल की कीमतों ने भी बिगाड़ा किचन का बजट, जानिये क्यों बढ़ रहे दाम और खपत ?

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर फैमिली रिसर्च (Centre for Family Research) के एक शोधकर्ता सामंथा फ्रीडमैन (Samantha Friedman) ने कहा, 'हम जानते हैं कि प्रकृति तक पहुंच और जुड़ाव बच्चों और वयस्कों में व्यापक लाभों से जुड़ा है, जिसमें चिंता और अवसाद के स्तर को कम करना और तनाव कम करना शामिल है.'

उन्होंने आगे कहा कि COVID-19 लॉकडाउन का मतलब था कि बच्चों के पास करने के लिए सामान्य स्कूल गतिविधियां, दिनचर्या और सोशल एक्टीविज नहीं थीं. इन बाधाओं को हटाने से हमें यह देखने के लिए एक नया संदर्भ मिला कि प्रकृति के संबंध में परिवर्तन मानसिक स्वास्थ्य (mental health) को कैसे प्रभावित करते हैं.

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