मुंबई: महाराष्ट्र में शिवसेना में एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े घटनाक्रम देखने को मिल रहे हैं. एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद चर्चा थी कि देवेंद्र फड़णवीस मुख्यमंत्री और एकनाथ शिंदे उपमुख्यमंत्री बनेंगे. लेकिन सभी को हैरान करते हुए एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उसके बाद अजित पवार का शरद पवार से अलग होना और सत्ता में भागीदारी, ये बड़ी घटनाएं पिछले एक साल में महाराष्ट्र में हुई हैं.
फिलहाल जहां अजित पवार की बगावत नई है तो यह सवाल उठ रहा है कि आगे क्या होगा? महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ी जानकारी यह भी है कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच कथित गठबंधन हो सकता है. गुरुवार सुबह से ही अजित पवार द्वारा शरद पवार की आलोचना की चर्चा हो रही थी. हालांकि, अचानक मीडिया में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता अभिजीत पानसे की शिवसेना ठाकरे सांसद संजय राउत से मुलाकात की खबर आई.
बताया जा रहा है कि यह मुलाकात दोनों ठाकरे भाइयों के एक साथ आने का प्रस्ताव है. यानी चर्चा है कि इस मुलाकात के पीछे शिवसेना और एमएनएस गठबंधन का प्रस्ताव है. इन चर्चाओं की पुष्टि का कारण भी यही है. अभिजीत पांसे ने मैच ऑफिस में सांसद संजय राउत से मुलाकात की. हालांकि अभिजीत पानसे ने कहा कि इस दौरे के पीछे उनके निजी कारण थे, लेकिन दौरे के बाद जो घटनाक्रम हुआ, उससे गठबंधन के प्रस्ताव पर संदेह पैदा होता है.
मैच कार्य बैठक के बाद संजय राउत सीधे मातोश्री पहुंचे और पांसे शिवतीर्थ पहुंच गये. दोनों नेता मैच ऑफिस में हुई चर्चा की जानकारी देने के लिए अपने-अपने नेताओं के आवास पर गए. 2014 से ही कार्यकर्ता दोनों भाइयों को एक करने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि, कहा जा रहा है कि 2014 से चल रही कोशिशें 2023 में सफल हो सकती हैं. इसकी वजह वे नेता हैं जो इन दोनों भाइयों के बीच मौजूदा कड़ी हैं.
मनसे के अभिजीत पानसे ठाकरे गुट से बातचीत कर रहे हैं, तो वहीं, शिवसेना सांसद संजय राउत मनसे से बातचीत कर रहे हैं. राऊत और पांसे के बीच घरेलू संबंध हैं. हालांकि दोनों नेता अलग-अलग पार्टियों से हैं, लेकिन उनके दोस्ताना रिश्ते आज भी कायम हैं. संजय राउत को महाविकास अघाड़ी के जनक के तौर पर भी पहचाना जाता है. महाराष्ट्र ने पारंपरिक विपक्षी दलों कांग्रेस पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को दोस्त बनाने के लिए संजय राउत के काम को देखा.
ऐसे में कहा जा रहा है कि इस बार दोनों ठाकरे भाई एक साथ आ सकते हैं. इस बीच, रविवार को अजित पवार के उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद मनसे कार्यकर्ताओं ने शिव सेना भवन क्षेत्र में 'दोनों भाई एक हो जाएं' लिखा हुआ एक बैनर लगाया. यहीं से कार्यकर्ताओं की मांग है कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे को फिर से एक हो जाना चाहिए. लेकिन सवाल यह है कि क्या कार्यकर्ताओं की मांगें सफल होंगी?