सुंदरनगर : हिमाचल प्रदेश में सर्दियों का मौसम शुरू होते ही ठंड का प्रकोप भी बढ़ने लग गया है. इसी को लेकर ईटीवी भारत हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला में स्थित पवित्र कमरूनाग झील के समीप आठ हजार फुट की ऊंचाई पर पहुंचा, जहां देखा कि प्रदेश में ठंड बढ़ने के साथ ही विश्वविख्यात देव कमरूनाग की पवित्र झील पूरी तरह से जम चुकी है. क्षेत्र में दिन और रात के समय तापमान शून्य से नीचे पहुंच रहा है.
झील जमने से की बर्फ की करीब 3 से 4 इंच मोटी परत बन गई है. वहीं देव कमरूनाग की झील में छिपे अरबों के खजाने पर लुटेरों की निगाह पड़ सकती है. झील की सुरक्षा के लिए मंदिर कमेटी ने पुख्ता इंतजाम किए हैं. कमरुनाग झील क्षेत्र में हुई ताजा बर्फबारी के बाद देव कमेटी के सदस्य भी निचले इलाकों में वापस आ गए हैं.
बर्फबारी के कारण कई माह तक मंदिर के कपाट बंद रहते हैं
हालांकि, बर्फबारी के उपरांत प्रशासन व देव कमरूनाग कमेटी के द्वारा श्रद्धालुओं से मंदिर आने की मनाही की गई है, लेकिन देव कमरूनाग के प्रति श्रद्धालुओं की अगाध आस्था दर्शन करने के लिए साहस जुटा देती है. बता दें कि देव कमरूनाग का मंदिर व पवित्र झील समुद्र तल से लगभग 8 हजार फुट की ऊंचाई पर मौजूद है और सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण कई माह तक मंदिर के कपाट बंद रहते हैं.
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पवित्र झील पूरी तरह से जम चुकी है
वहीं, आपको बता दें कि कमरूनाग मंदिर में हर वर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं, लेकिन इस वर्ष कोरोना काल के बीच यहां पर श्रद्धालु कम ही देखने को मिले हैं. जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने रोहांडा पंचायत के प्रधान प्रकाश चंद से बातचीत की, तो उन्होंने कहा कि देव कमरूनाग मंदिर में हाल ही के दिनों में हुई बर्फबारी के बाद पवित्र झील पूरी तरह से जम चुकी है.
हिमपात होने के कारण यहां पर हमेशा जान का खतरा बना रहता है
उन्होंने कहा कि क्षेत्र में हुई ताजा बर्फबारी के बावजूद भी मंदिर आने के लिए श्रद्धालुओं का सिलसिला जारी है. उन्होंने कहा कि हिमपात होने के कारण यहां पर हमेशा जान का खतरा बना रहता है. उन्होंने आम जनता से आग्रह किया है कि दिसंबर से जनवरी तक मंदिर आने से परहेज करें, ताकि कोई अनहोनी ना हो सके.
देव कमरूनाग मंदिर पहुंची मंडी जिला निवासी दीक्षिता ने कहा कि देव कमरूनाग के प्रति उनकी श्रद्धा है. उन्होंने कहा कि देव कमरुनाग की झील पूरी तरह से जमी हुई है. उन्होंने कहा कि बर्फबारी में देव कमरूनाग मंदिर आकर गलती तो की है, लेकिन देवता को लेकर उनकी श्रद्धा व विश्वास से ही पहली बार देव कमरूनाग के मंदिर पहुंच पाए हैं.