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Manipur Special Assembly session: कई विधायकों के सत्र में शामिल होने की उम्मीद नहीं,...तो क्या बेकार हो जाएगा विशेष सत्र?

पूर्वोत्तर राज्य में चल रहे जातीय संघर्ष पर चर्चा के लिए इस महीने मणिपुर विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाया जा रहा है. हालांकि, पार्टी संबद्धता के बावजूद कुकी और नागा समुदायों से संबंधित सभी विधायकों के इसमें भाग लेने की संभावना नहीं है. ईटीवी भारत के अरुणिम भुइयां की रिपोर्ट.

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सीएम बीरेन सिंह
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Published : Aug 7, 2023, 5:45 PM IST

नई दिल्ली : कुकी पीपुल्स अलायंस ने मणिपुर की भाजपा सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. वहीं, पूर्वोत्तर राज्य की कई पार्टियाें के करीब 20 विधायकों के जातीय संघर्ष पर चर्चा के लिए बुलाए जाने वाले विधानसभा के विशेष सत्र (Manipur Special Assembly session) में शामिल होने की उम्मीद नहीं है. सभी दस कुकी जोमी एमएलए के अपनी सुरक्षा के खतरे का हवाला देते हुए विधानसभा सत्र में शामिल नहीं होने की संभावना है. इन 10 में से दो विधायक केपीए के हैं, जबकि सात भाजपा के हैं जबकि एक निर्दलीय उम्मीदवार है.

कुकी इनपी मणिपुर (केआईएम), कुकी छात्र संगठन (केएसओ), कुकी चीफ्स एसोसिएशन (केएसएएम) और कुकी महिला संघ (केडब्ल्यूयू) जैसे कुकी संगठनों ने भी जातीय संघर्ष के कारण विधायकों से इंफाल नहीं जाने का आग्रह किया है.

मणिपुर में 3 मई को जातीय संघर्ष तब भड़का जब राज्य के उच्च न्यायालय ने सिफारिश की कि मैतेई लोगों की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग पर विचार किया जाए. जबकि मैतेई लोग राज्य में बहुसंख्यक आबादी हैं और मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. कुकी-ज़ोमिस और पहाड़ियों में रहने वाले नागाओं को एसटी का दर्जा प्राप्त है.

जबकि कुकी का दावा है कि एसटी का दर्जा देने से मैतेई को पहाड़ियों में जमीन खरीदने का अधिकार मिल जाएगा. वहीं, मैतेई का कहना है कि यह संघर्ष म्यांमार से सीमा पार से नशीली दवाओं की तस्करी पर सरकार की कार्रवाई के खिलाफ कुकी की जवाबी कार्रवाई और राज्य की पहाड़ियों में पोस्ता की खेती का परिणाम है.

पिछले पांच वर्षों में पहाड़ों में 15,400 एकड़ भूमि में पोस्ता की खेती फैल गई है. इस अवधि के दौरान नारकोटिक ड्रग एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत 2,500 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

पूरे संघर्ष में नार्को-टेरर एंगल भी : जानकारों के मुताबिक, इस पूरे संघर्ष में नार्को-टेरर एंगल भी है. संघर्षग्रस्त पड़ोसी म्यांमार में जातीय सशस्त्र संगठन (ईएओ) जो नशीली दवाओं की तस्करी में भी शामिल हैं, वे मणिपुर में प्रवेश कर गए हैं और हिंसा में शामिल हैं. चिन शरणार्थी, जो नस्लीय रूप से कुकी के समान हैं, भारत के पूर्वी पड़ोसी में ईएओ और सेना के बीच हिंसक झड़पों के कारण म्यांमार से मणिपुर तक आ गए हैं.

हिंसा भड़कने के बाद, 10 कुकी-ज़ोमी विधायकों ने केंद्र सरकार को एक याचिका दायर कर कुकी-बहुल क्षेत्रों के लिए एक अलग प्रशासन की मांग की. इसके बाद मणिपुर विधानसभा विशेषाधिकार समिति ने सभी 10 विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया.

घटनाक्रम से परिचित एक सूत्र ने ईटीवी भारत को बताया, कि 'अलग प्रशासन की मांग कर इन विधायकों ने उस शपथ का उल्लंघन किया जो उन्होंने पद ग्रहण करते समय ली थी.' उन्होंने कहा कि 'यदि वे विधानसभा सत्र के लिए आते हैं तो कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए बाध्य होंगे.'

हालांकि नागा वर्तमान संघर्ष में शामिल नहीं हैं, नागा नागरिक निकायों के एक शक्तिशाली गुट नागा होहो ने इन विधायकों को सत्र में भाग लेने से बचने के लिए कहा है क्योंकि मणिपुर सरकार केंद्र और नागा समूहों के बीच शांति वार्ता का विरोध कर रही है.

सूत्र ने बताया कि विशेष रूप से मणिपुर में जारी संकट पर चर्चा के लिए 21 अगस्त से विधानसभा सत्र बुलाया गया है. सूत्रों ने कहा कि 'नागा को लगता है कि सत्र के दौरान मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता का मुद्दा उठेगा, जो वे नहीं चाहते.' उन्होंने कहा कि 'यह स्पष्ट रूप से 75 साल पुराने नागा विद्रोह की मांग के खिलाफ जाएगा, जो मणिपुर सहित पूर्वोत्तर के विभिन्न राज्यों के नागा-बहुल क्षेत्रों को शामिल करते हुए एक बड़े नागालैंड की मांग कर रहा है.'

अगर कुकी और नागा दोनों पक्षों के सभी विधायक विधानसभा सत्र में शामिल नहीं होंगे तो सवाल उठता है कि क्या सत्र का कोई मतलब रह जाएगा. आख़िरकार, यदि संकट पर चर्चा करनी है तो विशेष रूप से बुलाए गए सत्र में सभी समुदायों के प्रतिनिधित्व की आवश्यकता होगी.

ये भी पढ़ें- Manipur violence : सुप्रीम कोर्ट ने राहत कार्यों के लिए तीन महिला जजों का पैनल बनाया, रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी करेंगे CBI जांच की निगरानी

नई दिल्ली : कुकी पीपुल्स अलायंस ने मणिपुर की भाजपा सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. वहीं, पूर्वोत्तर राज्य की कई पार्टियाें के करीब 20 विधायकों के जातीय संघर्ष पर चर्चा के लिए बुलाए जाने वाले विधानसभा के विशेष सत्र (Manipur Special Assembly session) में शामिल होने की उम्मीद नहीं है. सभी दस कुकी जोमी एमएलए के अपनी सुरक्षा के खतरे का हवाला देते हुए विधानसभा सत्र में शामिल नहीं होने की संभावना है. इन 10 में से दो विधायक केपीए के हैं, जबकि सात भाजपा के हैं जबकि एक निर्दलीय उम्मीदवार है.

कुकी इनपी मणिपुर (केआईएम), कुकी छात्र संगठन (केएसओ), कुकी चीफ्स एसोसिएशन (केएसएएम) और कुकी महिला संघ (केडब्ल्यूयू) जैसे कुकी संगठनों ने भी जातीय संघर्ष के कारण विधायकों से इंफाल नहीं जाने का आग्रह किया है.

मणिपुर में 3 मई को जातीय संघर्ष तब भड़का जब राज्य के उच्च न्यायालय ने सिफारिश की कि मैतेई लोगों की अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग पर विचार किया जाए. जबकि मैतेई लोग राज्य में बहुसंख्यक आबादी हैं और मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहते हैं. कुकी-ज़ोमिस और पहाड़ियों में रहने वाले नागाओं को एसटी का दर्जा प्राप्त है.

जबकि कुकी का दावा है कि एसटी का दर्जा देने से मैतेई को पहाड़ियों में जमीन खरीदने का अधिकार मिल जाएगा. वहीं, मैतेई का कहना है कि यह संघर्ष म्यांमार से सीमा पार से नशीली दवाओं की तस्करी पर सरकार की कार्रवाई के खिलाफ कुकी की जवाबी कार्रवाई और राज्य की पहाड़ियों में पोस्ता की खेती का परिणाम है.

पिछले पांच वर्षों में पहाड़ों में 15,400 एकड़ भूमि में पोस्ता की खेती फैल गई है. इस अवधि के दौरान नारकोटिक ड्रग एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत 2,500 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

पूरे संघर्ष में नार्को-टेरर एंगल भी : जानकारों के मुताबिक, इस पूरे संघर्ष में नार्को-टेरर एंगल भी है. संघर्षग्रस्त पड़ोसी म्यांमार में जातीय सशस्त्र संगठन (ईएओ) जो नशीली दवाओं की तस्करी में भी शामिल हैं, वे मणिपुर में प्रवेश कर गए हैं और हिंसा में शामिल हैं. चिन शरणार्थी, जो नस्लीय रूप से कुकी के समान हैं, भारत के पूर्वी पड़ोसी में ईएओ और सेना के बीच हिंसक झड़पों के कारण म्यांमार से मणिपुर तक आ गए हैं.

हिंसा भड़कने के बाद, 10 कुकी-ज़ोमी विधायकों ने केंद्र सरकार को एक याचिका दायर कर कुकी-बहुल क्षेत्रों के लिए एक अलग प्रशासन की मांग की. इसके बाद मणिपुर विधानसभा विशेषाधिकार समिति ने सभी 10 विधायकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया.

घटनाक्रम से परिचित एक सूत्र ने ईटीवी भारत को बताया, कि 'अलग प्रशासन की मांग कर इन विधायकों ने उस शपथ का उल्लंघन किया जो उन्होंने पद ग्रहण करते समय ली थी.' उन्होंने कहा कि 'यदि वे विधानसभा सत्र के लिए आते हैं तो कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए बाध्य होंगे.'

हालांकि नागा वर्तमान संघर्ष में शामिल नहीं हैं, नागा नागरिक निकायों के एक शक्तिशाली गुट नागा होहो ने इन विधायकों को सत्र में भाग लेने से बचने के लिए कहा है क्योंकि मणिपुर सरकार केंद्र और नागा समूहों के बीच शांति वार्ता का विरोध कर रही है.

सूत्र ने बताया कि विशेष रूप से मणिपुर में जारी संकट पर चर्चा के लिए 21 अगस्त से विधानसभा सत्र बुलाया गया है. सूत्रों ने कहा कि 'नागा को लगता है कि सत्र के दौरान मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता का मुद्दा उठेगा, जो वे नहीं चाहते.' उन्होंने कहा कि 'यह स्पष्ट रूप से 75 साल पुराने नागा विद्रोह की मांग के खिलाफ जाएगा, जो मणिपुर सहित पूर्वोत्तर के विभिन्न राज्यों के नागा-बहुल क्षेत्रों को शामिल करते हुए एक बड़े नागालैंड की मांग कर रहा है.'

अगर कुकी और नागा दोनों पक्षों के सभी विधायक विधानसभा सत्र में शामिल नहीं होंगे तो सवाल उठता है कि क्या सत्र का कोई मतलब रह जाएगा. आख़िरकार, यदि संकट पर चर्चा करनी है तो विशेष रूप से बुलाए गए सत्र में सभी समुदायों के प्रतिनिधित्व की आवश्यकता होगी.

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