लखनऊ : उत्तर प्रदेश में सभी नेता और दल चुनावी तैयारियों में जुटे हुए हैं. रोज समीकरण बन-बिगड़ रहे हैं. ऐसे में समाजवादी पार्टी की नेता और पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णां यादव से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ेंगी या प्रगतिशील पार्टी से, इस मसले पर परिवार में विवाद की स्थिति है.
अपर्णा यादव मे बताया कि वह नेता जी (मुलायम सिंह यादव) के साथ हैं और सपा की सदस्य हैं. अभी की स्थिति में वह सपा से ही चुनाव लड़ेंगी. कानून-व्यवस्था के सवाल पर अपर्णां ने कहा कि वह सपा सरकार और भाजपा सरकार की तुलना नहीं करना चाहेंगी. स्थितियां भिन्न होती हैं, सबका काम करने का अलग ढंग है.
जहां तक बात गोरखपुर के मनीष गुप्ता के मौत की है तो इसे लेकर हम पूरे पुलिस महकमे पर सवाल नहीं उठा सकते. पुलिस हमारी सुरक्षा के लिए है, पुलिस हमारी दूसरी अभिभावक है. यह घटना वाकई आश्चर्यचकित करने वाली है और इसके लिए जो लोग भी जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए.
अपर्णा ने कहा कि मुख्यमंत्री जी ने इस विषय में कदम उठाए भी हैं. पीड़ित परिवार को मुआवजा और नौकरी भी दी गई है. उन्होंने कहा अच्छे और बुरे लोग हर जगह होते हैं और गलत काम करने वालों को सजा जरूर मिलनी चाहिए.
इमोशनल मुद्दों पर होते हैं कई चुनाव
इस सरकार में विकास के कामों को लेकर वह कहती हैं कि सरकार में भी विकास के तमाम काम हुए हैं. हां, यदि विकास के नाम पर ही लोग वोट करते तो आज समाजवादी पार्टी की सरकार होनी चाहिए थी. सपा को फिर लौटना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. कई बार चुनाव इमोशनल पहलुओं पर होते हैं, इन बातों का भी ध्यान रखना होगा.
हालांकि सपा की हार का बड़ा कारण पारिवारिक झगड़ा भी रहा. आगामी चुनाव में भावनात्मक पहलू रहने वाले हैं, इस पर अपर्णां ने कहा कि इसकी विवेचना अभी कठिन है. कोरोना संकट में उप्र सरकार क्या ठीक तरह से काम नहीं कर पाई? इस पर उन्होंने कहा कि इसमें सरकार के बजाय आयोग को जिम्मेदार मानना चाहिए.
केंद्र सरकार को भी अपर्णा ने सराहा
महिला आरक्षण की हिमायती रहने के सवाल पर अपर्णां ने कहा महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए. समाज में महिलाओं के ज्यादा प्रतिनिधित्व से स्थितियां बेहतर होंगी. महिलाओं के आत्मनिर्भर होने से महिला अपराध भी कम होंगे.
जब उनसे पूछा गया कि इसके लिए आप कर क्या रही हैं, तो उन्होंने कहा कि कोई भी विषय विचार से शुरू होता है, मेरी केंद्र सरकार से विनती है कि वह महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण प्रदान करे. मोदी सरकार की सराहना करते हुए अपर्णां कहती हैं कि केंद्र की सरकार ने बहुत ही अच्छे और ऐतिहासिक फैसले लिए हैं. कश्मीर से धारा 370 हटाई, वह राम मंदिर को लेकर भी सरकार के प्रयासों की तारीफ करती हैं.
महंगाई पर भी सरकार को क्लीन चिट
अपर्णां योगी-मोदी की बड़ी सराहना करती हैं, कहीं उन्हें भाजपा तो नहीं अच्छी लग रही. इस सवाल का उन्होंने जवाब नहीं दिया और कहा कि केंद्र में भाजपा की ही सरकार है, इसलिए उन्हें महिला आरक्षण बिल लेकर आना चाहिए. वह महिलाओं के हक में हैं, चाहें वह किसी भी दल की हों.
वह कहती हैं कि सभी दलों के नेताओं को अपनी पार्टियों में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ानी चाहिए. पॉलिटिकल सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए महिलाओं का आना जरूरी है. महंगाई को लेकर वह कहती हैं कि कोविड के कारण भी महंगाई बढ़ी है, हालांकि वह चाहती हैं कि पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस के दाम कम होने चाहिए.
इससे आम जनमानस बहुत प्रभावित होता है, इस पर केंद्र को काम करना चाहिए. शिक्षा को लेकर भी वह अपने विचार रखती हैं. वह कहती हैं कि सरकारी शिक्षण संस्थानों में सब कुछ मुफ्त कर देने से काम नहीं चलेगा, हमें धीरे-धीरे शिक्षा का स्तर ऊपर उठाना चाहिए.
चाचा-भैया के झगड़े पर अपर्णा का स्टैंड
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट में भूमि खरीद घोटाले को लेकर वह कहती हैं कि ऐसे मामलों में ट्रस्ट को पैनी नजर रखनी चाहिए. हालांकि सरकार ने उचित कदम उठाए हैं. वह कहती हैं कि ऐसी चीजें राम के विषय में नहीं होनी चाहिए, क्योंकि राम आस्था का विषय हैं. हम सबने मंदिर के लिए दान किया है, भ्रष्टाचार की खबरें निराश करती हैं.
वह सपा से चुनाव लडे़ंगी या चाचा शिवपाल की पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी से इस सवाल पर वह कहती हैं कि नेता जी जैसा कहेंगे वह वैसा ही करेंगी. अभी वह समाजवादी पार्टी में हैं, उनके लिए नेता जी ही सर्वमान्य हैं. यदि दोनों लोग एक हो जाते हैं, तो इससे अच्छी कोई बात नहीं हो सकती. यदि चाचा झुकने को तैयार हैं, तो भैया (अखिलेश यादव) को इस पर विचार करना चाहिए.
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बड़े परिवर्तन की हिमायती अपर्णां
यदि आपको अवसर मिले तो आप कौन से पांच काम या बड़े परिवर्तन करना चाहेंगी. इस सवाल पर वह कहती हैं कि यदि मैं विधायक बनूं तो अपनी लखनऊ कैंट विधानसभा में सीवर का काम करा सकूं. लोगों की पानी और महिलाओं के रोजगार की दिक्कत खत्म कर सकूं, बस यही चाहती हूं. साथ ही सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर बेहतर हो इसे लेकर भी प्रयास जारी रखेंगी.