नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने देश में ईंधन और गैस की बढ़ती कीमतों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रविवार को पत्र लिखा और आरोप लगाया कि सरकार लोगों के कष्ट और पीड़ा दूर करने के बजाय उनकी तकलीफ बढ़ाकर मुनाफाखोरी कर रही है. सोनिया गांधी ने सरकार से ईंधन की बढ़ी हुई कीमतें वापस लेने की मांग की.
गांधी ने मोदी को पत्र लिख कर कहा, 'मैं यह पत्र आपको आसमान छूती तेल और रसोई गैस की कीमतों से हर नागरिक के लिए उत्पन्न गहन पीड़ा एवं संकट से अवगत कराने के लिए लिख रही हूं. एक तरफ भारत में रोजगार खत्म हो रहा है, कर्मचारियों का वेतन घटाया जा रहा है और घरेलू आय निरंतर कम हो रही है तो वहीं दूसरी ओर मध्यम वर्ग और सामाज में हाशिए पर रहने वाले लोग रोजी-रोजी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. तेजी से बढ़ती महंगाई और घरेलू सामान एवं हर आवश्यक वस्तु की कीमत में अप्रत्याशित बढ़ोतरी ने इन चुनौतियों को और अधिक गंभीर बना दिया है.'
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"I fail to understand how any government can justify such thoughtless and insensitive measures directly at the cost of our people."
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- Congress President Smt. Sonia Gandhi writes to PM Modi on rising fuel prices. pic.twitter.com/qqBV1Lj0RM
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उन्होंने कहा, 'यह दुखद है कि संकट के इस वक्त में भी सरकार लोगों के कष्ट और पीड़ा दूर करने के बजाय उनके दुख और तकलीफ बढ़ाकर मुनाफाखोरी कर रही है.'
बता दें कि दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 90.58 रुपये प्रति लीटर और मुंबई में 97 रुपये प्रति लीटर पहुंच गई है.
कांग्रेस अध्यक्ष ने पत्र में कहा कि ईंधन की कीमतों में वृद्धि इस समय ऐतिहासिक और अव्यावहारिक है.
उन्होंने कहा, 'मैं आपसे आग्रह करती हूं कि आप ईंधन की कीमतों में तत्काल कमी करके कच्चे तेल की कम कीमतों का लाभ मध्यम श्रेणी, वेतनभोगी तबके, किसानों, गरीबों और आम आदमी को दें. ये सब लोग लंबे समय से अभूतपूर्व आर्थिक मंदी, चौतरफा बेरोजगारी, वेतन में कमी और नौकरियां खो देने के कारण भयावह संघर्ष के दौर से गुजर रहे हैं.'
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पेट्रोल-डीजल के दाम में वृद्धि के पीछे सरकार के दावों पर सवाल उठाते हुए उन्होंने पत्र में लिखा, 'मुझे यह समझ नहीं आ रहा कि कोई भी सरकार इस तरह के विचारहीन और असंवेदनशील उपायों को कैसे सही ठहरा सकती है.'
गौरतलब है कि हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि पिछली सरकारों ने ईंधन की जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भरता खत्म करने की दिशा में विशेष कार्य नहीं किया, जिसके कारण भारत को आज भी 80 प्रतिशत पेट्रोल-डीजल आयात करना पड़ता है.