नई दिल्ली : पार्टी सूत्रों की मानें तो सोनिया गांधी ने कैप्टन को फोन करके उन्हें पूरी ताकत से चुनाव लड़ने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि पंजाब में कांग्रेस को एक बार फिर सत्ता में आना चाहिए.
इससे पहले चार मंत्रियों और तीन विधायकों सहित पंजाब कांग्रेस के नेताओं का एक वर्ग अमरिंदर सिंह के नेतृत्व पर नाराजगी व्यक्त करने के लिए पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत से मिलने के लिए देहरादून गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उनकी कार्यशैली से पार्टी और राज्य को नुकसान पहुंच रहा है.
हालांकि बैठक के बाद रावत ने साफ किया कि कांग्रेस 2022 का विधानसभा चुनाव कैप्टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में लड़ेगी. उन्होंने यह भी दावा किया कि पार्टी या राज्य सरकार को कोई खतरा नहीं है. रावत से देहरादून में मिले चार मंत्रियों में तृप्त बृजेंद्र बाजवा, सुखविंदर रंधावा, सुख सरकारिया और चरणजीत सिंह चन्नी हैं.
उनके साथ कुलवीर जीरा, बरिंदरजीत पहाड़ा और सुरिंदर धीमान भी थे. इस बीच पंजाब कांग्रेस के एक नेता ने चुनाव से ठीक पहले सीएम के खिलाफ बगावत शुरू करने के लिए बागी विधायकों की जमकर खिंचाई की.
ईटीवी भारत से बात करते हुए उन्होंने कहा कि चुनाव के लिए कुछ ही महीने बचे हैं तो अपने ही नेता के खिलाफ जाने का क्या मतलब है? वे सीएम पर उंगली कैसे उठा सकते हैं जब उन्होंने खुद अपने-अपने विभागों में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है. यहां तक कि निर्वाचन क्षेत्र में भी वे बेहतर नहीं कर पाए है. वे कैप्टन पर हमला करके सिर्फ अपनी नाकामियों को छिपाना चाहते हैं.
सिद्धू के बार-बार सीएम पर हमले के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उन्हें पार्टी में जिम्मेदारी दी गई है. अब यह तय करना है कि इससे पार्टी को क्या नुकसान होगा और क्या वे इसकी जिम्मेदारी लेंगे. हाईकमान सब देख रहा है.
कैप्टन को हटाने की मांग तब सामने आई जब उन्होंने नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकारों को कश्मीर और पाकिस्तान पर उनकी टिप्पणियों को लेकर निशाना बनाया. हालांकि, अब यह साफ हो गया है कि पार्टी ने बगावत के बाद भी कैप्टन अमरिंदर सिंह का साथ दिया है.