नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति में देरी से जुड़े एक मामले को अपनी सूची से हटाए जाने को लेकर आश्चर्यचकित है. न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, 'मैंने इसे हटाया नहीं है या इसे लेने की अनिच्छा व्यक्त नहीं की है. मुझे यकीन है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश को इसकी (मामले को हटाने की) जानकारी है.'
एक पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील प्रशांत भूषण ने दलील दी कि अदालत को रजिस्ट्री से रिपोर्ट मांगनी चाहिए. भूषण ने जोर देकर कहा कि यह बहुत अजीब है कि न्यायिक आदेश में सुनवाई की तारीख तय होने के बावजूद मामला हटा दिया गया.
जस्टिस कौल ने कहा, 'कुछ बातें अनकही रह जाना ही बेहतर है. हम देखते हैं…' जिस मामले का उल्लेख किया जा रहा है वह न्यायाधीशों की नियुक्ति में देरी के संबंध में एडवोकेट्स एसोसिएशन बेंगलुरु द्वारा दायर एक याचिका थी. भारत के मुख्य न्यायाधीश रोस्टर के मास्टर हैं.
जस्टिस कौल सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं. उन्होंने कहा कि इस महीने 25 दिसंबर, 2023 को सेवानिवृत्ति पर पद छोड़ देंगे. 7 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों के नामों को मंजूरी देने में केंद्र के चयनात्मक चयन और चयन दृष्टिकोण पर अपनी नाराजगी दोहराई थी. शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि उसे उम्मीद है कि ऐसी स्थिति नहीं आएगी जहां उसे या कॉलेजियम को कोई ऐसा निर्णय लेना पड़े जो सुखद न हो.