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दर-दर घूम लावारिश शवों को मोक्ष दिला रहीं ये महिला - 3000 शवों का अंतिम संस्कार

देशभर में तेजी से फैलती महामारी की चपेट में आए कई लोगों ने अपनी जान गंवा दी, जिनमें से कई शव अंतिम संस्कार के लिए घंटों रखे रहे, इस आस में कि उनके अपने परिवार के लोग आकर उनका अंतिम संस्कार करेंगे, लेकिन संकट की इस घड़ी में परिजन अपने मरीज के शव लेने तक न आए. ऐसे लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए सोलापुर की सामाजिक कार्यकर्ता कविता चव्हान ने मदद का हाथ आगे बढ़ाया है, इन्होंने अपने समर्थकों के साथ मिलकर अब तक 3000 शवों का अंतिम संस्कार किया है.

अंतिम संस्कार
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Published : May 11, 2021, 12:19 PM IST

सोलापुर : महाराष्ट्र समेत पूरा देश आज कोरोना की चपेट में है. दिन प्रतिदिन इस फैलती महामारी ने कई जिंदगियों को निगल लिया, तो कई अब भी सांसों की जंग लड़ रहे हैं. हाल भयावह हैं, इस संकट की घड़ी में पराये क्या अपने भी साथ छोड़ रहे हैं. हालात बद से बदतर हैं, कोरोना के कारण हर रोज मौतें हो रही हैं. शहरों में तो शव जलाने के लिए कई जगह कतारें भी लगानी पड़ रही हैं. इस दौरान कई ऐसे मामले आए हैं, जब कई परिवारों ने अपने मरीजों को बेसहारा छोड़ दिया. कई बार तो अंतिम संस्कार के लिए तक परिजन नहीं पहुंचे, मरीज की मौत के बाद परिजन शव को लेना भी जरूरी नहीं समझ रहे. ऐसे में एक महिला इन लावारिस शवों के अंतिम संस्कार के लिए आगे आई, जिन्होंने अब तक 3000 शवों का अंतिम संस्कार किया है.

अब तक 3000 शवों का किया अंतिम संस्कार

पढ़ें- सेवा इंटरनेशनल ने भारत की मदद के लिए खर्च किए 60 लाख डॉलर

सामाजिक कार्यकर्ता कविता चव्हान ने ईटीवी भारत को बताया कि, अगर मेरे किसी करीबी की मौत हो जाती तो मेरा दुख भी ऐसा ही होगा जैसा मैं इन लावारिस शवों के अंतिम संस्कार की प्रकिया के दौरान जो मैं महसूस करती हूं. कविता बताती हैं मैं पिछले डेढ़ सालों से अपने सहयोगियों के साथ मिलकर लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर रही हूं. महामारी के इस दौर में हमने कोरोना संक्रमित लावारिस शवों का भी अंतिम संस्कार किया.

सोलापुर : महाराष्ट्र समेत पूरा देश आज कोरोना की चपेट में है. दिन प्रतिदिन इस फैलती महामारी ने कई जिंदगियों को निगल लिया, तो कई अब भी सांसों की जंग लड़ रहे हैं. हाल भयावह हैं, इस संकट की घड़ी में पराये क्या अपने भी साथ छोड़ रहे हैं. हालात बद से बदतर हैं, कोरोना के कारण हर रोज मौतें हो रही हैं. शहरों में तो शव जलाने के लिए कई जगह कतारें भी लगानी पड़ रही हैं. इस दौरान कई ऐसे मामले आए हैं, जब कई परिवारों ने अपने मरीजों को बेसहारा छोड़ दिया. कई बार तो अंतिम संस्कार के लिए तक परिजन नहीं पहुंचे, मरीज की मौत के बाद परिजन शव को लेना भी जरूरी नहीं समझ रहे. ऐसे में एक महिला इन लावारिस शवों के अंतिम संस्कार के लिए आगे आई, जिन्होंने अब तक 3000 शवों का अंतिम संस्कार किया है.

अब तक 3000 शवों का किया अंतिम संस्कार

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सामाजिक कार्यकर्ता कविता चव्हान ने ईटीवी भारत को बताया कि, अगर मेरे किसी करीबी की मौत हो जाती तो मेरा दुख भी ऐसा ही होगा जैसा मैं इन लावारिस शवों के अंतिम संस्कार की प्रकिया के दौरान जो मैं महसूस करती हूं. कविता बताती हैं मैं पिछले डेढ़ सालों से अपने सहयोगियों के साथ मिलकर लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर रही हूं. महामारी के इस दौर में हमने कोरोना संक्रमित लावारिस शवों का भी अंतिम संस्कार किया.

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