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ऑनलाइन लोन धोखाधड़ी के मामले में दो सॉफ्टवेयर इंजीनियर गिरफ्तार

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Published : Mar 12, 2021, 6:10 PM IST

तेलंगाना के हैदराबाद में साइबर क्राइम पुलिस ऑनलाइन लोन धोखाधड़ी करने वाले दो सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को गिरफ्तार किया है. इस मामले में पुलिस ने अभी तक 21 लोगों को गिरफ्तार किया है, और इन चीनी कंपनियों के खाते से लगभग 300 करोड़ रुपये की रकम जब्त की है.

cyber crime
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हैदराबाद : तेलंगाना के हैदराबाद में साइबर क्राइम पुलिस की नजर इन दिनों स्नैपइट, औके कैश, कैशबी, रुपी फैक्ट्री, बब्बल लोन और गो कैश जैसी ऑनलाइन लोन एप्स पर हैं.

दरअसल पुलिस ने ऑनलाइन लोन धोखाधड़ी केस में एक और व्यक्ति को गिरफ्तार किया है. इस मामले में पुलिस ने अभी तक 21 लोगों को गिरफ्तार किया है.

पुलिस ने संदिग्ध लोगों के पते और वित्तीय लेनदेन की जांच की. जांच के दौरान उन्हें ये पता चला की एप्स संचालित करने वाली चीनी कंपनियों के बैंक खातों में करीब 300 करोड़ रुपये की रकम जमा है. पुलिस को ये भी पता चला है की मामले में गिरफ्तार अभियुक्त दो इंजीनियर लिम्बो और क.नगराजू ऐसी एप्स के सेटअप के लिए जाने जाते हैं.

फिलहाल पुलिस ने ये 300 करोड़ जब्त कर दोनों इंजीनियरों को हिरासत में ले लिया है.

आगे की कार्यवाही में पुलिस को पता चला है की बेंगलुरू में ऐसी 9 कंपनियां हैं जो ऐसे लोन देतीं हैं. इस जानकारी के साथ, इंस्पेक्टर गंगाधर की टीम बुधवार की रात बेंगलुरू पहुंची. जहां पहुंचकर पुलिस ने चिनब्बा राजाशेखर को गिरफ्तार कर लिया. दरअसल राजाशेखर ऐसी 9 चीनी कंपनियों के मालिक हैं जो मणिपाल सेंटर एरिया में F668 टेकनोलॉजी के नाम पर हैं. फिलहाल पुलिस के मुताबिक राजाशेखर को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया है.

दरअसल इन चीनी कंपनियों ने दोनों इंजीनियर को 9 कंपनियों का कार्यभार संभालने के लिए किसी को नियुक्त करने की जिम्मेदारी सौंपी थी. नागाराज ने अपने जान-पहचान के कुछ लोगों को इसमें शामिल किया था. इन लोगों ने चिनब्बा राजाशेखर का भी नाम था, जिन्होंने से जिम्मेदारी ले ली.

पढ़ें : ऑनलाइन ठगी करने वाले दो शातिर जालसाज गिरफ्तार

चित्तूर जिले के पचिगुंटा गांव से राजशेखर छह साल पहले बीटेक पूरा करने के बाद नौकरी के लिए बेंगलुरु आया था और वर्तमान में F668 टेक्नोलॉजीज में काम करने लगा.

नागराज ने तब राजशेखर को लोन और ऐप के जरिए करोड़ों रुपये कमाने का लालच दिया. राजशेखर ने इस प्रस्ताव को स्वीकार लिया और वो 9 कंपनियों का निदेशक बन गया. जिसके बाद उसने पिछले साल मार्च से अपनी कंपनियों द्वारा विशेष रूप से बनाए गए ऐप के माध्यम से लोन देना शुरू कर दिया.

वहीं एक चीनी नागरिक जेनिफर, ने भी असुरक्षित लोन से 1,000 करोड़ रुपए कमाने के लक्ष्य से दिल्ली में चार कंपनियां स्थापित की थी. साथ ही उसने बेंगलुरू, हैदराबाद और दिल्ली में कॉल सेंटर भी खोले थे. जिसके बाद वो इन सभी चीजों की जिम्मेदारी नागराज और लीओ को सौंप कर फरवरी में जकारता चली गई.

पढ़ें : सावधान! बढ़ रहा है साइबर क्राइम, इन बातों का रखें ध्यान

इन चार कंपनियों की तरह ही लीओ नाम का एक चीनी नागरिक ऐसी ही एक कंपनी बेंगलुरू में खोलना चाहता था. उन्होंने लैंबो से संपर्क किया और बैंगलोर में नौ कंपनियों की स्थापना की, जिसमें अनवॉय टेक्नोलॉजीज, सैटटाइम और प्रीग्ला फिनटेक के नाम शामिल हैं.

हैदराबाद : तेलंगाना के हैदराबाद में साइबर क्राइम पुलिस की नजर इन दिनों स्नैपइट, औके कैश, कैशबी, रुपी फैक्ट्री, बब्बल लोन और गो कैश जैसी ऑनलाइन लोन एप्स पर हैं.

दरअसल पुलिस ने ऑनलाइन लोन धोखाधड़ी केस में एक और व्यक्ति को गिरफ्तार किया है. इस मामले में पुलिस ने अभी तक 21 लोगों को गिरफ्तार किया है.

पुलिस ने संदिग्ध लोगों के पते और वित्तीय लेनदेन की जांच की. जांच के दौरान उन्हें ये पता चला की एप्स संचालित करने वाली चीनी कंपनियों के बैंक खातों में करीब 300 करोड़ रुपये की रकम जमा है. पुलिस को ये भी पता चला है की मामले में गिरफ्तार अभियुक्त दो इंजीनियर लिम्बो और क.नगराजू ऐसी एप्स के सेटअप के लिए जाने जाते हैं.

फिलहाल पुलिस ने ये 300 करोड़ जब्त कर दोनों इंजीनियरों को हिरासत में ले लिया है.

आगे की कार्यवाही में पुलिस को पता चला है की बेंगलुरू में ऐसी 9 कंपनियां हैं जो ऐसे लोन देतीं हैं. इस जानकारी के साथ, इंस्पेक्टर गंगाधर की टीम बुधवार की रात बेंगलुरू पहुंची. जहां पहुंचकर पुलिस ने चिनब्बा राजाशेखर को गिरफ्तार कर लिया. दरअसल राजाशेखर ऐसी 9 चीनी कंपनियों के मालिक हैं जो मणिपाल सेंटर एरिया में F668 टेकनोलॉजी के नाम पर हैं. फिलहाल पुलिस के मुताबिक राजाशेखर को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया है.

दरअसल इन चीनी कंपनियों ने दोनों इंजीनियर को 9 कंपनियों का कार्यभार संभालने के लिए किसी को नियुक्त करने की जिम्मेदारी सौंपी थी. नागाराज ने अपने जान-पहचान के कुछ लोगों को इसमें शामिल किया था. इन लोगों ने चिनब्बा राजाशेखर का भी नाम था, जिन्होंने से जिम्मेदारी ले ली.

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चित्तूर जिले के पचिगुंटा गांव से राजशेखर छह साल पहले बीटेक पूरा करने के बाद नौकरी के लिए बेंगलुरु आया था और वर्तमान में F668 टेक्नोलॉजीज में काम करने लगा.

नागराज ने तब राजशेखर को लोन और ऐप के जरिए करोड़ों रुपये कमाने का लालच दिया. राजशेखर ने इस प्रस्ताव को स्वीकार लिया और वो 9 कंपनियों का निदेशक बन गया. जिसके बाद उसने पिछले साल मार्च से अपनी कंपनियों द्वारा विशेष रूप से बनाए गए ऐप के माध्यम से लोन देना शुरू कर दिया.

वहीं एक चीनी नागरिक जेनिफर, ने भी असुरक्षित लोन से 1,000 करोड़ रुपए कमाने के लक्ष्य से दिल्ली में चार कंपनियां स्थापित की थी. साथ ही उसने बेंगलुरू, हैदराबाद और दिल्ली में कॉल सेंटर भी खोले थे. जिसके बाद वो इन सभी चीजों की जिम्मेदारी नागराज और लीओ को सौंप कर फरवरी में जकारता चली गई.

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इन चार कंपनियों की तरह ही लीओ नाम का एक चीनी नागरिक ऐसी ही एक कंपनी बेंगलुरू में खोलना चाहता था. उन्होंने लैंबो से संपर्क किया और बैंगलोर में नौ कंपनियों की स्थापना की, जिसमें अनवॉय टेक्नोलॉजीज, सैटटाइम और प्रीग्ला फिनटेक के नाम शामिल हैं.

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