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NDA में आरक्षण पर SC ने कहा-सामाजिक क्रांति रातोंरात नहीं आती - न्यायमूर्ति संजय किशन कौल

एनडीए में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए सीटों के आरक्षण की मांग वाली हस्तक्षेप याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने टिप्पणी की है. शीर्ष कोर्ट ने कहा कि सामाजिक क्रांति रातोंरात नहीं आती. जानिए क्या है पूरा मामला.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Mar 8, 2022, 10:22 PM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए सीटों के आरक्षण के मुद्दे पर इस स्तर से निपटने से इनकार करते हुए उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि सामाजिक क्रांति रातोंरात नहीं आती और इसमें समय लगता है. शीर्ष अदालत ने भारतीय सशस्त्र बलों में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) की पूर्व महिला कैडेटों को शामिल करने और उनकी तैनाती के निहितार्थ का अध्ययन करने के लिए केंद्र को जुलाई तक का समय दिया.

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने एनडीए में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए सीटों के आरक्षण की मांग वाली हस्तक्षेप याचिका पर कहा, 'सामाजिक क्रांति रातोंरात नहीं होती, इसमें समय लगता है.' पीठ ने कहा कि फिलहाल वह इस स्तर पर अनुसूचित जाति/जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण से निपटने नहीं जा रही है, बल्कि इन शिक्षण संस्थानों में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर ही विचार करेगी, जो अब तक सिर्फ लड़कों के लिए ही रहे हैं.

न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 19 जुलाई को निर्धारित करते हुए कहा कि इस संबंध में किए जाने वाले अध्ययन का विवरण पेश किया जाए. पीठ ने केंद्र द्वारा दाखिल हलफनाने के विवरण पर भी संज्ञान लिया जिसमें कहा गया कि 'एनडीए-द्वितीय 2021' और 'एनडीए-प्रथम 2022' के लिए शामिल की जाने वाली महिलाओं की संख्या के संबंध में, यह प्रस्तुत किया जाता है कि एनडीए में प्रत्येक पाठ्यक्रम में तीनों सेवाओं के लिए 370 रिक्तियां हैं, जिनमें से 208 को थलसेना में कमीशन मिलेगा, भारतीय वायुसेना में 120 तथा नौसेना में 42 कैडेट को कमीशन मिलेगा.

केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा, 'एनडीए में महिला कैडेट को शामिल करना एक बड़ा नीतिगत निर्णय रहा है. प्रतिवादियों को भारतीय सशस्त्र बलों में पूर्व-एनडीए महिला कैडेट को शामिल करने और उनकी तैनाती के लिए दीर्घकालिक प्रभाव पर विचार करने के लिए पर्याप्त समय चाहिए. इसलिए, यह प्रस्तुत किया जाता है कि प्रतिवादियों को इसके लिए कम से कम तीन महीने का अतिरिक्त समय चाहिए.'

पढ़ें- एनडीए में महिला कैंडिडेट की सीट 19 ही क्यों? सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से मांगा जवाब

एनडीए-2021 परीक्षा में बैठने वाली महिलाओं के आंकड़ों और शामिल की गईं महिलाओं की संख्या के बारे में अधिवक्ता कुश कालरा द्वारा दायर याचिका पर शीर्ष अदालत के निर्देश के अनुसार हलफनामा दायर किया गया. केंद्र ने कहा, ' कुल 5,75,854 अभ्यर्थियों ने परीक्षा के लिए आवेदन किया था और 3,57,197 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी. नवंबर 2021 के दौरान आयोजित एनडीए लिखित परीक्षा में 1002 महिलाओं सहित कुल 8009 अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए.'

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए सीटों के आरक्षण के मुद्दे पर इस स्तर से निपटने से इनकार करते हुए उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि सामाजिक क्रांति रातोंरात नहीं आती और इसमें समय लगता है. शीर्ष अदालत ने भारतीय सशस्त्र बलों में राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) की पूर्व महिला कैडेटों को शामिल करने और उनकी तैनाती के निहितार्थ का अध्ययन करने के लिए केंद्र को जुलाई तक का समय दिया.

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने एनडीए में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए सीटों के आरक्षण की मांग वाली हस्तक्षेप याचिका पर कहा, 'सामाजिक क्रांति रातोंरात नहीं होती, इसमें समय लगता है.' पीठ ने कहा कि फिलहाल वह इस स्तर पर अनुसूचित जाति/जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण से निपटने नहीं जा रही है, बल्कि इन शिक्षण संस्थानों में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर ही विचार करेगी, जो अब तक सिर्फ लड़कों के लिए ही रहे हैं.

न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 19 जुलाई को निर्धारित करते हुए कहा कि इस संबंध में किए जाने वाले अध्ययन का विवरण पेश किया जाए. पीठ ने केंद्र द्वारा दाखिल हलफनाने के विवरण पर भी संज्ञान लिया जिसमें कहा गया कि 'एनडीए-द्वितीय 2021' और 'एनडीए-प्रथम 2022' के लिए शामिल की जाने वाली महिलाओं की संख्या के संबंध में, यह प्रस्तुत किया जाता है कि एनडीए में प्रत्येक पाठ्यक्रम में तीनों सेवाओं के लिए 370 रिक्तियां हैं, जिनमें से 208 को थलसेना में कमीशन मिलेगा, भारतीय वायुसेना में 120 तथा नौसेना में 42 कैडेट को कमीशन मिलेगा.

केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा, 'एनडीए में महिला कैडेट को शामिल करना एक बड़ा नीतिगत निर्णय रहा है. प्रतिवादियों को भारतीय सशस्त्र बलों में पूर्व-एनडीए महिला कैडेट को शामिल करने और उनकी तैनाती के लिए दीर्घकालिक प्रभाव पर विचार करने के लिए पर्याप्त समय चाहिए. इसलिए, यह प्रस्तुत किया जाता है कि प्रतिवादियों को इसके लिए कम से कम तीन महीने का अतिरिक्त समय चाहिए.'

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एनडीए-2021 परीक्षा में बैठने वाली महिलाओं के आंकड़ों और शामिल की गईं महिलाओं की संख्या के बारे में अधिवक्ता कुश कालरा द्वारा दायर याचिका पर शीर्ष अदालत के निर्देश के अनुसार हलफनामा दायर किया गया. केंद्र ने कहा, ' कुल 5,75,854 अभ्यर्थियों ने परीक्षा के लिए आवेदन किया था और 3,57,197 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी थी. नवंबर 2021 के दौरान आयोजित एनडीए लिखित परीक्षा में 1002 महिलाओं सहित कुल 8009 अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए.'

(पीटीआई-भाषा)

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