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कोराेना संकट में उद्यमी कर रहे हैं जरूरतमंदाें की मदद

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Published : May 5, 2021, 12:13 PM IST

काेराेना संकट में प्रभावित प्रवासियाें और आर्थिक रूप से कमजाेर मजदूराें की मदद के लिए विशेष पहल की जा रही है. उद्यमी इसमें किस प्रकार महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. पढ़ें रिपाेर्ट.

कोराेना
कोराेना

हैदराबाद : देश फिलहाल COVID-19 की दूसरी लहर का सामना कर रहा है. ऐसी स्थिति में सामाजिक उद्यमी संकट के इस समय में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की मदद करने के लिए कदम बढ़ा रहे हैं. भारत में इस समय ऐसे लाेगाें के लिए काम करने वाले Schwab Foundation community के छह उदाहरण पेश किए जा सकते हैं.

लाेगाें की जान बचाने के लिए Schwab Foundation's community के छह इंटरप्राइजेज काम कर रहे हैं.

  • कमजोर वर्ग के लिए संसाधन उपलब्ध करा रही है

एनजीओ गूंज ने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए 400 से अधिक साझेदार संगठनों के साथ काम किया है.

इसने 8,800 टन से अधिक राशन और अन्य आवश्यक वस्तुओं का वितरण करने के साथ, 362,000 से अधिक लाेगाें काे भोजन प्रदान किया है. किसानों से 2,25,000 किलोग्राम सब्जियां खरीद कर 380,000 से अधिक परिवारों (लगभग 1.5 मिलियन लोग) तक पहुंचाया गया.

800,000 से अधिक मास्क और 12,00,000 से अधिक कपड़े के सैनिटरी पैड का उत्पादन किया.

  • अनौपचारिक रूप से महिलाओं की आर्थिक मदद

स्वरोजगार महिला संगठन (SEWA), एक संगठन है जो स्वरोजगार करने वाली महिलाओं को सहायता प्रदान करता है.

सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए श्रमिकों के परिवारों को आर्थिक मदद की घाेषणा की है.

सभी पंजीकृत श्रमिकों को 5,000 / - प्रति माह के मुआवजे के पैकेज की घोषणा करने के लिए सभी राज्यों को एक परिपत्र जारी किया है. जब तक काेराेना संकट है, राशन आपूर्ति के लिए एक मुफ्त सार्वजनिक वितरण प्रणाली प्रदान करने काे कहा है.

प्रवासियों को संसाधन उपलब्ध कराना

Aajeevika ब्यूरो, ग्रामीण प्रवासी श्रमिकों को सेवाएं, सहायता और सुरक्षा प्रदान कर रही है. दैनिक मजदूराें काे राहत प्रदान करने जैसे कामाें में शामिल है.

राहत में आपातकालीन भाेजन वितरण, नकद हस्तांतरण, स्वास्थ्य देखभाल के अलावा संकट में श्रमिकों काे संगठन तक पहुंचने में मदद करना आदि शामिल है.

साथ ही घर लौटने का प्रयास कर रहे प्रवासियों को सहायता प्रदान कर रही है. जाे प्रवासी मजदूर अपने गांवों वापस आए हैं उनके लिए संगठन सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और लाभों की जानकारी देने में अहम भूमिका निभा रही है.

दूरस्थ क्षेत्रों में लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराना

ग्लोकल हेल्थकेयर की स्थापना 2010 में भारत में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए किया गया था.

पिछले 10 वर्षों में कंपनी ने बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल सहित विभिन्न राज्यों में 10 बहु-विशेषता वाले 100-बेड अस्पतालों का निर्माण किया है.

इसके अलावा 250 डिजिटल औषधालय स्थापित किए गए हैं, जो वीडियो परामर्श, जांच और मेडिसिन की सुविधा प्रदान करती है.

प्रवासी परिवारों, यौन हिंसा पीड़िताें और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता काे सहयाेग

पांच वर्षों से जन सह प्रवासी श्रमिकों, मजदूरों और दिहाड़ी मजदूरों के साथ काम कर रही है.

पिछले साल काेराना काे लेकर हुए ​​लॉकडाउन में जन साहस काे 30 से अधिक परोपकारी और निजी क्षेत्र के दाताओं ($ 2 मिलियन से अधिक) का सहयाेग मिला. भारत के 19 राज्यों में 42 गैर-लाभकारी संगठनों के साथ काम करते हुए 10,40,000 से अधिक प्रवासी परिवारों, 1237 यौन हिंसा पीड़िताें, 12,480 फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ता काे तत्काल राहत पहुंचाया गया.

  • महिलाओं को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना

भारत में ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए मान देशी समर्पित है. यह मान देशी महिला सहकारी बैंक चलाती है. महाराष्ट्र में इसका मुख्यालय है, यह ग्रामीण महिलाओं के लिए भारत का पहला बैंक है जिसे महिलाएं चलाती हैं.

मान देसी फाउंडेशन भोजन पैकेज, मास्क और पीपीई किट सहित राहत प्रदान करा रही है.

इसने जिला प्रशासन के साथ मिलकर एक पुराने ग्रामीण अस्पताल को नवीनीकृत करके और इसे समर्पित 300-बेड का COVID-19 अस्पताल बनाया है.

इसे भी पढ़ें : RBI: स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए 50 हजार करोड़ की विशेष लिक्विडिटी सुविधा की घोषणा

मान देसी (Mann Deshi ) टीम गंभीर अवस्था के रोगियों को ऑक्सीजन बेड, वेंटिलेटर, रेमडिसिविर मुहैया कराने के लिए जिला प्रशासन के साथ मिलकर 24/7 काम कर रही है.

हैदराबाद : देश फिलहाल COVID-19 की दूसरी लहर का सामना कर रहा है. ऐसी स्थिति में सामाजिक उद्यमी संकट के इस समय में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की मदद करने के लिए कदम बढ़ा रहे हैं. भारत में इस समय ऐसे लाेगाें के लिए काम करने वाले Schwab Foundation community के छह उदाहरण पेश किए जा सकते हैं.

लाेगाें की जान बचाने के लिए Schwab Foundation's community के छह इंटरप्राइजेज काम कर रहे हैं.

  • कमजोर वर्ग के लिए संसाधन उपलब्ध करा रही है

एनजीओ गूंज ने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए 400 से अधिक साझेदार संगठनों के साथ काम किया है.

इसने 8,800 टन से अधिक राशन और अन्य आवश्यक वस्तुओं का वितरण करने के साथ, 362,000 से अधिक लाेगाें काे भोजन प्रदान किया है. किसानों से 2,25,000 किलोग्राम सब्जियां खरीद कर 380,000 से अधिक परिवारों (लगभग 1.5 मिलियन लोग) तक पहुंचाया गया.

800,000 से अधिक मास्क और 12,00,000 से अधिक कपड़े के सैनिटरी पैड का उत्पादन किया.

  • अनौपचारिक रूप से महिलाओं की आर्थिक मदद

स्वरोजगार महिला संगठन (SEWA), एक संगठन है जो स्वरोजगार करने वाली महिलाओं को सहायता प्रदान करता है.

सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए श्रमिकों के परिवारों को आर्थिक मदद की घाेषणा की है.

सभी पंजीकृत श्रमिकों को 5,000 / - प्रति माह के मुआवजे के पैकेज की घोषणा करने के लिए सभी राज्यों को एक परिपत्र जारी किया है. जब तक काेराेना संकट है, राशन आपूर्ति के लिए एक मुफ्त सार्वजनिक वितरण प्रणाली प्रदान करने काे कहा है.

प्रवासियों को संसाधन उपलब्ध कराना

Aajeevika ब्यूरो, ग्रामीण प्रवासी श्रमिकों को सेवाएं, सहायता और सुरक्षा प्रदान कर रही है. दैनिक मजदूराें काे राहत प्रदान करने जैसे कामाें में शामिल है.

राहत में आपातकालीन भाेजन वितरण, नकद हस्तांतरण, स्वास्थ्य देखभाल के अलावा संकट में श्रमिकों काे संगठन तक पहुंचने में मदद करना आदि शामिल है.

साथ ही घर लौटने का प्रयास कर रहे प्रवासियों को सहायता प्रदान कर रही है. जाे प्रवासी मजदूर अपने गांवों वापस आए हैं उनके लिए संगठन सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और लाभों की जानकारी देने में अहम भूमिका निभा रही है.

दूरस्थ क्षेत्रों में लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराना

ग्लोकल हेल्थकेयर की स्थापना 2010 में भारत में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए किया गया था.

पिछले 10 वर्षों में कंपनी ने बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल सहित विभिन्न राज्यों में 10 बहु-विशेषता वाले 100-बेड अस्पतालों का निर्माण किया है.

इसके अलावा 250 डिजिटल औषधालय स्थापित किए गए हैं, जो वीडियो परामर्श, जांच और मेडिसिन की सुविधा प्रदान करती है.

प्रवासी परिवारों, यौन हिंसा पीड़िताें और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता काे सहयाेग

पांच वर्षों से जन सह प्रवासी श्रमिकों, मजदूरों और दिहाड़ी मजदूरों के साथ काम कर रही है.

पिछले साल काेराना काे लेकर हुए ​​लॉकडाउन में जन साहस काे 30 से अधिक परोपकारी और निजी क्षेत्र के दाताओं ($ 2 मिलियन से अधिक) का सहयाेग मिला. भारत के 19 राज्यों में 42 गैर-लाभकारी संगठनों के साथ काम करते हुए 10,40,000 से अधिक प्रवासी परिवारों, 1237 यौन हिंसा पीड़िताें, 12,480 फ्रंटलाइन स्वास्थ्य कार्यकर्ता काे तत्काल राहत पहुंचाया गया.

  • महिलाओं को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना

भारत में ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए मान देशी समर्पित है. यह मान देशी महिला सहकारी बैंक चलाती है. महाराष्ट्र में इसका मुख्यालय है, यह ग्रामीण महिलाओं के लिए भारत का पहला बैंक है जिसे महिलाएं चलाती हैं.

मान देसी फाउंडेशन भोजन पैकेज, मास्क और पीपीई किट सहित राहत प्रदान करा रही है.

इसने जिला प्रशासन के साथ मिलकर एक पुराने ग्रामीण अस्पताल को नवीनीकृत करके और इसे समर्पित 300-बेड का COVID-19 अस्पताल बनाया है.

इसे भी पढ़ें : RBI: स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए 50 हजार करोड़ की विशेष लिक्विडिटी सुविधा की घोषणा

मान देसी (Mann Deshi ) टीम गंभीर अवस्था के रोगियों को ऑक्सीजन बेड, वेंटिलेटर, रेमडिसिविर मुहैया कराने के लिए जिला प्रशासन के साथ मिलकर 24/7 काम कर रही है.

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