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जम्मू-कश्मीर : सामाजिक कार्यकर्ता सज्जाद अहमद सोफी को मिली जमानत

जम्मू-कश्मीर में विकास संबंधी शिकायतों की एक जन सुनवाई के दौरान कथित रूप से टिप्पणी करने के आरोप में पुलिस द्वारा गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ता सज्जाद अहमद सोफी को जमानत पर रिहा कर दिया गया है.

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Published : Jun 16, 2021, 3:10 PM IST

सज्जाद अहमद सोफी को मिली जमानत
सज्जाद अहमद सोफी को मिली जमानत

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर पुलिस (Jammu & Kashmir Police) द्वारा गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ता (Social Activist) सज्जाद अहमद सोफी (Sajad Ahmad Sofi) को जमानत पर रिहा कर दिया गया है. उन पर विकास संबंधी शिकायतों की एक जन सुनवाई के दौरान कथित रूप से टिप्पणी करने का आरोप था.

पुलिस ने बताया कि मध्य कश्मीर जिले के साफापोरा में वानी मोहल्ला के रहने वाले सोफी (50) को 10 जून को धारा 153-ए (शत्रुता को बढ़ावा देने) के तहत गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने डिप्टी कमिश्नर (Deputy Commissioner) कृतिका ज्योत्स्ना (Krittika Jyotsna) के सामने विवादित टिप्पणी की थी. ज्योत्स्ना उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की एक आईपीएस अधिकारी (IPS Officer) हैं, जो अपने पति राहुल पांडे (Rahul Pandey) के साथ 8 फरवरी, 2021 से जम्मू-कश्मीर में प्रतिनियुक्ति पर हैं, राहुल पांडे भी आईएएस अधिकारी (IAS Officer) हैं और उपराज्यपाल (Lieutenant Governor) के कार्यालय में कार्यरत हैं.

गैर-स्थानीय अधिकारियों से उम्मीद नहीं

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (Manoj Sinha) के सलाहकारों में से एक बशीर अहमद खान (Advisor Bashir Ahmed Khan) की अध्यक्षता में चल रहे एक जन संवाद के दौरान सोफी ने कहा था कि उन्हें गैर-स्थानीय अधिकारियों से कोई उम्मीद नहीं है.

सोफी ने कहा कि मैं आप (बसीर खान) से उम्मीद करता हूं, क्योंकि आप कश्मीरी हैं और हमारी समस्याओं को समझ सकते हैं. मैं आपका गिरेबान पकड़कर आपसे जवाबदेही मांग सकता हूं. लेकिन बाहर से आए अधिकारियों से मैं क्या उम्मीद रख सकता हूं.

सद्भाव भंग करने के आरोप में हुई थी गिरफ्तारी

उनकी इस टिप्पणी के बाद स्थानीय प्रशासन (local administration) ने इस पर कार्रवाई की और विभिन्न समूहों के बीच धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर शत्रुता को बढ़ावा देने और सद्भाव भंग करने के आरोप में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. इसके बाद सोफी ने जमानत के लिए आवेदन किया था जिसे स्थानीय अदालत ने 12 जून को मंजूर कर लिया था. जमानत मिलने के बावजूद सोफी को पुलिस ने दुबारा हिरासत में ले लिया और बताया कि वह शांति के लिए खतरा हैं. अत: उन्हें एहतियाती हिरासत में लिया गया है.

गांदेरबल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुहैल मुनावर ने बताया था कि सोफी को आईपीसी की धारा 107 और 151 के तहत एहतियातन हिरासत में रखा गया है. हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि छोटे स्तर के इस सामाजिक कार्यकर्ता का अपराध का पहले से कोई रिकॉर्ड नहीं है.

पढ़ें : जमानत के बावजूद पुलिस ने हिरासत में रखा, बताया- शांति के लिए खतरा

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर पुलिस (Jammu & Kashmir Police) द्वारा गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ता (Social Activist) सज्जाद अहमद सोफी (Sajad Ahmad Sofi) को जमानत पर रिहा कर दिया गया है. उन पर विकास संबंधी शिकायतों की एक जन सुनवाई के दौरान कथित रूप से टिप्पणी करने का आरोप था.

पुलिस ने बताया कि मध्य कश्मीर जिले के साफापोरा में वानी मोहल्ला के रहने वाले सोफी (50) को 10 जून को धारा 153-ए (शत्रुता को बढ़ावा देने) के तहत गिरफ्तार किया गया था. उन्होंने डिप्टी कमिश्नर (Deputy Commissioner) कृतिका ज्योत्स्ना (Krittika Jyotsna) के सामने विवादित टिप्पणी की थी. ज्योत्स्ना उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की एक आईपीएस अधिकारी (IPS Officer) हैं, जो अपने पति राहुल पांडे (Rahul Pandey) के साथ 8 फरवरी, 2021 से जम्मू-कश्मीर में प्रतिनियुक्ति पर हैं, राहुल पांडे भी आईएएस अधिकारी (IAS Officer) हैं और उपराज्यपाल (Lieutenant Governor) के कार्यालय में कार्यरत हैं.

गैर-स्थानीय अधिकारियों से उम्मीद नहीं

उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (Manoj Sinha) के सलाहकारों में से एक बशीर अहमद खान (Advisor Bashir Ahmed Khan) की अध्यक्षता में चल रहे एक जन संवाद के दौरान सोफी ने कहा था कि उन्हें गैर-स्थानीय अधिकारियों से कोई उम्मीद नहीं है.

सोफी ने कहा कि मैं आप (बसीर खान) से उम्मीद करता हूं, क्योंकि आप कश्मीरी हैं और हमारी समस्याओं को समझ सकते हैं. मैं आपका गिरेबान पकड़कर आपसे जवाबदेही मांग सकता हूं. लेकिन बाहर से आए अधिकारियों से मैं क्या उम्मीद रख सकता हूं.

सद्भाव भंग करने के आरोप में हुई थी गिरफ्तारी

उनकी इस टिप्पणी के बाद स्थानीय प्रशासन (local administration) ने इस पर कार्रवाई की और विभिन्न समूहों के बीच धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर शत्रुता को बढ़ावा देने और सद्भाव भंग करने के आरोप में पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. इसके बाद सोफी ने जमानत के लिए आवेदन किया था जिसे स्थानीय अदालत ने 12 जून को मंजूर कर लिया था. जमानत मिलने के बावजूद सोफी को पुलिस ने दुबारा हिरासत में ले लिया और बताया कि वह शांति के लिए खतरा हैं. अत: उन्हें एहतियाती हिरासत में लिया गया है.

गांदेरबल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुहैल मुनावर ने बताया था कि सोफी को आईपीसी की धारा 107 और 151 के तहत एहतियातन हिरासत में रखा गया है. हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि छोटे स्तर के इस सामाजिक कार्यकर्ता का अपराध का पहले से कोई रिकॉर्ड नहीं है.

पढ़ें : जमानत के बावजूद पुलिस ने हिरासत में रखा, बताया- शांति के लिए खतरा

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