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'परियोजना 75' के तहत पनडुब्बी 'वगशीर' का जलावतरण - मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड आईएनएस वगशीर

प्रोजेक्ट 75 के तहत मुंबई में आज आईएनएस वगशीर (वागीर) का जलावतरण किया गया. यह पनडुब्बी नई है. इसमें नयी तकनीक और सेंसर हैं. वागीर (पांचवीं पनडुब्बी) साल के अंत तक भारतीय नौसेना में शामिल हो जाएगी.

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आईएनएस वगशीर
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Published : Apr 20, 2022, 6:54 PM IST

मुंबई : मुंबई में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) ने बुधवार को आईएनएस वगशीर का जलावतरण किया. यह 'परियोजना 75' के तहत छठी और अंतिम पनडुब्बी है. रक्षा सचिव अजय कुमार ने इस पनडुब्बी का जलावतरण किया. इसके बाद, करीब एक साल तक पनडुब्बी के व्यापक कड़े परीक्षण होंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह युद्ध के लिए पूरी तरह से सक्षम हो.

कुमार ने पत्रकारों से कहा कि पनडुब्बी को इसके निर्धारित अनावरण से पहले जलावतरण किया गया. कुमार ने कहा कि पनडुब्बी देश की समुद्री सुरक्षा को भी बढ़ाती है, लेकिन यह आत्मनिर्भरता की भी मिसाल है. एमडीएल के एक अधिकारी ने कहा कि प्रत्येक पनडुब्बी के साथ स्वदेशी उपकरणों के इस्तेमाल में वृद्धि देखी गई है. वगशीर के मामले में यह 40 प्रतिशत है.

हिंद महासागर में गहरे पानी की समुद्री शिकारी कहलाने वाली सैंडफिश के नाम पर इसका नाम वगशीर रखा गया है. 'परियोजना 75' के तहत पहली 'वगशीर' पनडुब्बी का दिसंबर 1974 में जलावतरण किया गया था और 1997 में इसे सेवा से हटा दिया गया था. नयी पनडुब्बी इसके पुराने संस्करण का नवीनतम रूप है. जहाज, पनडुब्बी के सेवामुक्त होने के बाद नए जहाज, पनडुब्बी को पुराने वाले नाम से ही सेवा में शामिल किया जाता है.

कुमार ने कहा कि सरकार ने मेक-1 प्रक्रिया के जरिए रक्षा उद्योग की मदद से डीजल इंजन बनाने का अहम फैसला लिया है. वह प्रोजेक्ट-75 (आई) का जिक्र कर रहे थे, जिसमें छह आधुनिक पारंपरिक पनडुब्बियों, उन्नत टॉरपीडो, आधुनिक मिसाइल और अत्याधुनिक उपकरणों के स्वदेशी निर्माण की परिकल्पना की गई है. कुमार ने कहा कि भारत में पहली बार मरीन डीजल इंजन बनाया जाएगा. उद्योग भागीदार को 70 प्रतिशत तक अनुदान मिलेगा.

नवंबर 2020 में नौसेना ने 'परियोजना 75' के तहत चौथी पनडुब्बी को सेवा में शामिल किया था और पांचवी पनडुब्बी का समुद्र में परीक्षण शुरू हुआ था. फरवरी में, पांचवीं पनडुब्बी, आईएनएस वागीर का समुद्र में परीक्षण शुरू हुआ. पश्चिमी नौसेना कमान के कमांडर-इन-चीफ वाइस एडमिरल अजेंद्र बहादुर सिंह ने कहा कि 'परियोजना 75' के तहत आईएनएस कलवरी, आईएनएस खंडेरी और आईएनएस कारंग और आईएनएस वेला पहले से ही सेवा में हैं.

उन्होंने कहा कि ये बहुत ही उन्नत और आधुनिक पनडुब्बी हैं और इनसे भारतीय नौसेना की क्षमता में वृद्धि हुई है. चूंकि ये पनडुब्बियां नयी हैं, इसलिए इनमें नयी तकनीक और सेंसर हैं. इससे हमारी युद्ध क्षमता और निगरानी में सुधार हुआ है. हमें उम्मीद है कि वागीर (पांचवीं पनडुब्बी) साल के अंत तक भारतीय नौसेना में शामिल हो जाएगी.

(पीटीआई)

मुंबई : मुंबई में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) ने बुधवार को आईएनएस वगशीर का जलावतरण किया. यह 'परियोजना 75' के तहत छठी और अंतिम पनडुब्बी है. रक्षा सचिव अजय कुमार ने इस पनडुब्बी का जलावतरण किया. इसके बाद, करीब एक साल तक पनडुब्बी के व्यापक कड़े परीक्षण होंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह युद्ध के लिए पूरी तरह से सक्षम हो.

कुमार ने पत्रकारों से कहा कि पनडुब्बी को इसके निर्धारित अनावरण से पहले जलावतरण किया गया. कुमार ने कहा कि पनडुब्बी देश की समुद्री सुरक्षा को भी बढ़ाती है, लेकिन यह आत्मनिर्भरता की भी मिसाल है. एमडीएल के एक अधिकारी ने कहा कि प्रत्येक पनडुब्बी के साथ स्वदेशी उपकरणों के इस्तेमाल में वृद्धि देखी गई है. वगशीर के मामले में यह 40 प्रतिशत है.

हिंद महासागर में गहरे पानी की समुद्री शिकारी कहलाने वाली सैंडफिश के नाम पर इसका नाम वगशीर रखा गया है. 'परियोजना 75' के तहत पहली 'वगशीर' पनडुब्बी का दिसंबर 1974 में जलावतरण किया गया था और 1997 में इसे सेवा से हटा दिया गया था. नयी पनडुब्बी इसके पुराने संस्करण का नवीनतम रूप है. जहाज, पनडुब्बी के सेवामुक्त होने के बाद नए जहाज, पनडुब्बी को पुराने वाले नाम से ही सेवा में शामिल किया जाता है.

कुमार ने कहा कि सरकार ने मेक-1 प्रक्रिया के जरिए रक्षा उद्योग की मदद से डीजल इंजन बनाने का अहम फैसला लिया है. वह प्रोजेक्ट-75 (आई) का जिक्र कर रहे थे, जिसमें छह आधुनिक पारंपरिक पनडुब्बियों, उन्नत टॉरपीडो, आधुनिक मिसाइल और अत्याधुनिक उपकरणों के स्वदेशी निर्माण की परिकल्पना की गई है. कुमार ने कहा कि भारत में पहली बार मरीन डीजल इंजन बनाया जाएगा. उद्योग भागीदार को 70 प्रतिशत तक अनुदान मिलेगा.

नवंबर 2020 में नौसेना ने 'परियोजना 75' के तहत चौथी पनडुब्बी को सेवा में शामिल किया था और पांचवी पनडुब्बी का समुद्र में परीक्षण शुरू हुआ था. फरवरी में, पांचवीं पनडुब्बी, आईएनएस वागीर का समुद्र में परीक्षण शुरू हुआ. पश्चिमी नौसेना कमान के कमांडर-इन-चीफ वाइस एडमिरल अजेंद्र बहादुर सिंह ने कहा कि 'परियोजना 75' के तहत आईएनएस कलवरी, आईएनएस खंडेरी और आईएनएस कारंग और आईएनएस वेला पहले से ही सेवा में हैं.

उन्होंने कहा कि ये बहुत ही उन्नत और आधुनिक पनडुब्बी हैं और इनसे भारतीय नौसेना की क्षमता में वृद्धि हुई है. चूंकि ये पनडुब्बियां नयी हैं, इसलिए इनमें नयी तकनीक और सेंसर हैं. इससे हमारी युद्ध क्षमता और निगरानी में सुधार हुआ है. हमें उम्मीद है कि वागीर (पांचवीं पनडुब्बी) साल के अंत तक भारतीय नौसेना में शामिल हो जाएगी.

(पीटीआई)

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