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Watch Video : अतीत से सबक लेकर सही कदम नहीं उठाए तो हर साल आएगी ऐसी तबाही!

राजधानी दिल्ली समेत कई राज्यों में बारिश-बाढ़ (rain and flood) ने तबाही मचाई है. हिमाचल प्रदेश के मनाली में ब्यास नदी के किनारे बनी एक इमारत नदी में समा गई. वहीं, रावी नदी के किनारे के कई घर जलमग्न हैं. ऐसे में ये जानना जरूरी है कि बाढ़ की विभीषिका के कारण क्या हैं. समय रहते सबक नहीं लिया तो ऐसे मंजर बार-बार सामने आएंगे.

Situation worse in many states
कई इलाकों में बारिश बाढ़
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Published : Jul 10, 2023, 5:02 PM IST

देखिए वीडियो

नई दिल्ली : साल 2013 में उत्तराखंड में आई आपदा के बाद से शायद की कोई ऐसा साल गया है जब देश में किसी न किसी इलाके में बारिश-बाढ़ (rain and flood) ने तबाही न मचाई हो. चाहे कश्मीर हो या फिर चेन्नई. या फिर बेंगलुरु, पुणे, मुंबई, गुरुग्राम, असम, बिहार या फिर केरल. बारिश और बाढ़ ने सभी जगहों पर लोगों का जनजीवन अस्तव्यस्त किया है.

इस समय के हालात देखें तो उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, यूपी में बारिश और बाढ़ से काफी नुकसान हुआ है.

  • #WATCH | Following incessant rainfall in Delhi for the past two days, the water level of river Yamuna inches closer to the warning level.

    Latest visuals from 'Loha Pul' (old iron bridge).

    At 8 am, the water level of the river was recorded at 203.33 metres at Old Railway… pic.twitter.com/Ok3iujMqjD

    — ANI (@ANI) July 10, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

वैज्ञानिक पहले से चेतावनी जारी करते रहे हैं कि आने वाले समय में बारिश ज्यादा तेज और अधिक समय तक रहेगी, जिससे कम समय में ही स्थिति विकराल हो जाएगी. ऐसा कई बार होगा और इसका अंतर भी कम होता जाएगा. इसे जमीनी हकीकत के रूप में देखा भी जा सकता है. उत्तर भारत में भारी वर्षा का वर्तमान दौर इसी प्रवृत्ति का एक हिस्सा है. असम में बारिश बाढ़ की तबाही से निपट भी नहीं पाए थे कि उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश समेत कई राज्यों में स्थिति विकराल होती जा रही है.

लेकिन बड़ा सवाल ये है कि तबाही बारिश की वजह से ज्यादा हो रही है या फिर कारण कुछ और हैं. तो इसका जवाब ये है कि और कारणों की वजह से ही ऐसी तबाही मच रही है.

इसका उदाहरण है बेंगलुरु जहां लगभग हर साल बाढ़ आती है. ऐसा इसलिए नहीं है कि यहां बारिश ज्यादा हो रही है, बल्कि यहां इसकी मुख्य वजह पानी की निकासी की समस्या है. सतह के नीचे पानी के प्रवाह के प्राकृतिक रास्ते अनियमित निर्माण के कारण अवरुद्ध हो गए हैं.

कश्मीर में 2014 में आई थी बाढ़ : 2014 में श्रीनगर को अभूतपूर्व बाढ़ का सामना करना पड़ा था. उस साल सितंबर में केवल चार दिनों में पूरे महीने के लिए सामान्य से पांच गुना अधिक बारिश हुई. साथ-साथ सभी निचले इलाकों में भी बारिश हुई थी. यहां झेलम नदी के आसपास रिहायश बढ़ गई है, जिससे पानी की निकासी बाधित हो रही है. इसी तरह केरल में 2018 में आई बाढ़ ने काफी तबाही मचाई थी.

जिसका मुख्य कारण नदियों के किनारे बड़ी संख्या में बस्तियां बस जाना है. मुंबई में मामूली बारिश में भी स्थिति जटिल हो जाती है, इसका कारण भी पानी की निकासी की व्यवस्था दुरुस्त न होना और उन इलाकों में बस्तियां बस जाना है, जो पानी निकासी के रास्ते थे.

उत्तराखंड आपदा के बाद जांच रिपोर्टों में भी बताया गया था अनियमित निर्माण और गैर-योजनाबद्ध बुनियादी ढांचे के कार्यों के कारण ये स्थिति बनी. इसके बाद से करीब दस साल बीत गए हैं, हर साल बारिश-बाढ़ से काफी नुकसान हो रहा है. कुल मिलाकर सबक लेकर सुधार करने की जरूरत है.

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नई दिल्ली : साल 2013 में उत्तराखंड में आई आपदा के बाद से शायद की कोई ऐसा साल गया है जब देश में किसी न किसी इलाके में बारिश-बाढ़ (rain and flood) ने तबाही न मचाई हो. चाहे कश्मीर हो या फिर चेन्नई. या फिर बेंगलुरु, पुणे, मुंबई, गुरुग्राम, असम, बिहार या फिर केरल. बारिश और बाढ़ ने सभी जगहों पर लोगों का जनजीवन अस्तव्यस्त किया है.

इस समय के हालात देखें तो उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, यूपी में बारिश और बाढ़ से काफी नुकसान हुआ है.

  • #WATCH | Following incessant rainfall in Delhi for the past two days, the water level of river Yamuna inches closer to the warning level.

    Latest visuals from 'Loha Pul' (old iron bridge).

    At 8 am, the water level of the river was recorded at 203.33 metres at Old Railway… pic.twitter.com/Ok3iujMqjD

    — ANI (@ANI) July 10, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

वैज्ञानिक पहले से चेतावनी जारी करते रहे हैं कि आने वाले समय में बारिश ज्यादा तेज और अधिक समय तक रहेगी, जिससे कम समय में ही स्थिति विकराल हो जाएगी. ऐसा कई बार होगा और इसका अंतर भी कम होता जाएगा. इसे जमीनी हकीकत के रूप में देखा भी जा सकता है. उत्तर भारत में भारी वर्षा का वर्तमान दौर इसी प्रवृत्ति का एक हिस्सा है. असम में बारिश बाढ़ की तबाही से निपट भी नहीं पाए थे कि उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश समेत कई राज्यों में स्थिति विकराल होती जा रही है.

लेकिन बड़ा सवाल ये है कि तबाही बारिश की वजह से ज्यादा हो रही है या फिर कारण कुछ और हैं. तो इसका जवाब ये है कि और कारणों की वजह से ही ऐसी तबाही मच रही है.

इसका उदाहरण है बेंगलुरु जहां लगभग हर साल बाढ़ आती है. ऐसा इसलिए नहीं है कि यहां बारिश ज्यादा हो रही है, बल्कि यहां इसकी मुख्य वजह पानी की निकासी की समस्या है. सतह के नीचे पानी के प्रवाह के प्राकृतिक रास्ते अनियमित निर्माण के कारण अवरुद्ध हो गए हैं.

कश्मीर में 2014 में आई थी बाढ़ : 2014 में श्रीनगर को अभूतपूर्व बाढ़ का सामना करना पड़ा था. उस साल सितंबर में केवल चार दिनों में पूरे महीने के लिए सामान्य से पांच गुना अधिक बारिश हुई. साथ-साथ सभी निचले इलाकों में भी बारिश हुई थी. यहां झेलम नदी के आसपास रिहायश बढ़ गई है, जिससे पानी की निकासी बाधित हो रही है. इसी तरह केरल में 2018 में आई बाढ़ ने काफी तबाही मचाई थी.

जिसका मुख्य कारण नदियों के किनारे बड़ी संख्या में बस्तियां बस जाना है. मुंबई में मामूली बारिश में भी स्थिति जटिल हो जाती है, इसका कारण भी पानी की निकासी की व्यवस्था दुरुस्त न होना और उन इलाकों में बस्तियां बस जाना है, जो पानी निकासी के रास्ते थे.

उत्तराखंड आपदा के बाद जांच रिपोर्टों में भी बताया गया था अनियमित निर्माण और गैर-योजनाबद्ध बुनियादी ढांचे के कार्यों के कारण ये स्थिति बनी. इसके बाद से करीब दस साल बीत गए हैं, हर साल बारिश-बाढ़ से काफी नुकसान हो रहा है. कुल मिलाकर सबक लेकर सुधार करने की जरूरत है.

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