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पैंगोंग क्षेत्र में फरवरी के बाद से एलएसी पर स्थिति सामान्य : नरवणे - रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

सेना प्रमुख जनरल नरवणे ने कहा कि इस साल फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तटों के साथ ही कैलाश पर्वतमाला से सैनिकों की वापसी होने के बाद से ही वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति सामान्य है. सीमा विवाद पर भारत-चीन के बीच बातचीत चल रही है. इससे दोनों पक्षों के बीच विश्वास निर्माण में मदद मिली है. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर..

नरवणे
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Published : Jul 1, 2021, 5:10 PM IST

नई दिल्ली : थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे (Gen MM Naravane) ने गुरुवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख (eastern Ladakh ) में सीमा विवाद पर भारत और चीन के बीच बातचीत से 'विश्वास निर्माण' में मदद मिली है तथा फरवरी में पैंगोंग झील क्षेत्र (Pangong Tso) से सैनिकों की वापसी होने के बाद से क्षेत्र की स्थिति सामान्य है. इसके साथ ही उन्होंने 'शेष मुद्दों' के हल होने को लेकर विश्वास जताया.

जनरल नरवणे ने एक थिंक-टैंक के साथ डिजिटल संवाद सत्र में कहा कि दोनों देशों की सेनाएं विभिन्न स्तरों पर बातचीत कर रही हैं. उन्होंने कहा, 'इस साल फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तटों के साथ ही कैलाश पर्वतमाला से सैनिकों की वापसी होने के बाद से ही वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) (एलएसी) पर स्थिति सामान्य है.'

उन्होंने कहा, 'तब से दोनों पक्षों ने सैनिकों की वापसी पर बनी सहमति का पूरी तरह से पालन किया है. हम राजनीतिक स्तर पर और निश्चित रूप से सैन्य स्तर पर चीन से संवाद कर रहे हैं.' थल सेना प्रमुख से पूर्वी लद्दाख की स्थिति के बारे में सवाल किया गया था.

जनरल नरवणे ने कहा, 'हमारे बीच बातचीत चल रही है और इससे दोनों पक्षों के बीच विश्वास निर्माण में मदद मिली है. और आगे बढ़ते हुए, हमें भरोसा है कि हम बाकी सभी मुद्दों को सुलझाने में सक्षम होंगे.' उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में उत्तरी सीमाओं पर हुए घटनाक्रम से पता चलता है कि सशस्त्र बलों को लगातार तैयार रहना होगा.

उनकी यह टिप्पणी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) के उस बयान के तीन दिन बाद आयी है जिसमें सिंह ने कहा था कि भारत पड़ोसियों के साथ विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाने में विश्वास करता है लेकिन अगर उकसाया गया या धमकी दी गयी तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

यह भी पढ़ें- ड्रोन की आसानी से उपलब्धता ने सुरक्षा चुनौतियों की बढ़ाई जटिलता : सेना प्रमुख

भारत और चीन ने 25 जून को सीमा विवाद पर एक और दौर की राजनयिक वार्ता की. इस दौरान वे पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले बाकी स्थानों से सैनिकों की पूर्ण वापसी का मकसद हासिल करने के लिए अगले दौर की सैन्य वार्ता जल्द से जल्द आयोजित करने पर सहमत हुए.

सीमा संबंधी मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (Working Mechanism for Consultation and Coordination) (डब्ल्यूएमसीसी) की डिजिटल बैठक में, दोनों पक्षों ने खुलकर अपने विचारों का आदान-प्रदान किया. विदेश मंत्रालय ने कहा था कि दोनों पक्षों ने राजनयिक एवं सैन्य तंत्र के माध्यम से वार्ता एवं संवाद जारी रखने पर सहमति व्यक्त की ताकि संघर्ष वाले सभी क्षेत्रों से पूरी तरह से पीछे हटने के लिये आपसी सहमति के आधार पर रास्ता निकाला जा सके.

सैन्य अधिकारियों के अनुसार, संवेदनशील क्षेत्र में एलएसी पर अभी दोनों ओर के करीब 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं.

(पीटीआई भाषा)

नई दिल्ली : थल सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे (Gen MM Naravane) ने गुरुवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख (eastern Ladakh ) में सीमा विवाद पर भारत और चीन के बीच बातचीत से 'विश्वास निर्माण' में मदद मिली है तथा फरवरी में पैंगोंग झील क्षेत्र (Pangong Tso) से सैनिकों की वापसी होने के बाद से क्षेत्र की स्थिति सामान्य है. इसके साथ ही उन्होंने 'शेष मुद्दों' के हल होने को लेकर विश्वास जताया.

जनरल नरवणे ने एक थिंक-टैंक के साथ डिजिटल संवाद सत्र में कहा कि दोनों देशों की सेनाएं विभिन्न स्तरों पर बातचीत कर रही हैं. उन्होंने कहा, 'इस साल फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तटों के साथ ही कैलाश पर्वतमाला से सैनिकों की वापसी होने के बाद से ही वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control) (एलएसी) पर स्थिति सामान्य है.'

उन्होंने कहा, 'तब से दोनों पक्षों ने सैनिकों की वापसी पर बनी सहमति का पूरी तरह से पालन किया है. हम राजनीतिक स्तर पर और निश्चित रूप से सैन्य स्तर पर चीन से संवाद कर रहे हैं.' थल सेना प्रमुख से पूर्वी लद्दाख की स्थिति के बारे में सवाल किया गया था.

जनरल नरवणे ने कहा, 'हमारे बीच बातचीत चल रही है और इससे दोनों पक्षों के बीच विश्वास निर्माण में मदद मिली है. और आगे बढ़ते हुए, हमें भरोसा है कि हम बाकी सभी मुद्दों को सुलझाने में सक्षम होंगे.' उन्होंने कहा कि पिछले एक साल में उत्तरी सीमाओं पर हुए घटनाक्रम से पता चलता है कि सशस्त्र बलों को लगातार तैयार रहना होगा.

उनकी यह टिप्पणी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Defence Minister Rajnath Singh) के उस बयान के तीन दिन बाद आयी है जिसमें सिंह ने कहा था कि भारत पड़ोसियों के साथ विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाने में विश्वास करता है लेकिन अगर उकसाया गया या धमकी दी गयी तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

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भारत और चीन ने 25 जून को सीमा विवाद पर एक और दौर की राजनयिक वार्ता की. इस दौरान वे पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले बाकी स्थानों से सैनिकों की पूर्ण वापसी का मकसद हासिल करने के लिए अगले दौर की सैन्य वार्ता जल्द से जल्द आयोजित करने पर सहमत हुए.

सीमा संबंधी मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (Working Mechanism for Consultation and Coordination) (डब्ल्यूएमसीसी) की डिजिटल बैठक में, दोनों पक्षों ने खुलकर अपने विचारों का आदान-प्रदान किया. विदेश मंत्रालय ने कहा था कि दोनों पक्षों ने राजनयिक एवं सैन्य तंत्र के माध्यम से वार्ता एवं संवाद जारी रखने पर सहमति व्यक्त की ताकि संघर्ष वाले सभी क्षेत्रों से पूरी तरह से पीछे हटने के लिये आपसी सहमति के आधार पर रास्ता निकाला जा सके.

सैन्य अधिकारियों के अनुसार, संवेदनशील क्षेत्र में एलएसी पर अभी दोनों ओर के करीब 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं.

(पीटीआई भाषा)

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