नई दिल्ली: अमेरिका के 16वें सबसे बड़े ऋणदाता बैंक सिलिकॉन वैली के बंद होने के बाद सिग्नेचर बैंक पर भी ताला लगना साफ संकेत है कि अमेरिका में बैंकिंग संकट गहराता जा रहा है. जिसका असर भारत के भी स्टार्ट-अप्स पर भी देखा जा रहा है, जिनके लाखों डॉलर अमेरिकी बैंकों में फंसे हैं. हालांकि ये बात और है कि अमेरिकी प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि सभी का पैसा वापस मिलेगा, जिसके बाद केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने भी भरोसा जताया है कि भारतीय स्टार्टअप्स पर मंडराता खतरा टल गया है. लेकिन साथ ही वह इससे मिले सबक को भी याद रखने को कह रहे हैं. उनका कहना है कि अगर भारतीय स्टार्टअप्स एसबीआई पर ज्यादा भरोसा करें तो बेहतर है (SVB collapse affects indian startups).
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With this US govt action, looming risks to Indian Startups hv passed 🙏🏻
— Rajeev Chandrasekhar 🇮🇳 (@Rajeev_GoI) March 13, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
Learning for Indian Startups from this crisis - trust Indian banking system more.
Thank u to PM @narendramodi ji, FM @nsitharaman n @RBI for their continuos leadrship n monitoring durng this 🙏🏻 #NewIndia https://t.co/yF1dnGy1BS
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पिछले सप्ताह केवल जैसे ही सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) धराशायी हुआ, सैकड़ों भारतीय स्टार्ट-अप पर संकट गहरा गया. लेकिन फिलहाल संकट टलता नजर आ रहा है. एसवीबी का धराशायी होना इसलिए भी चिंता का कारण बना क्योंकि ये ऐसा बैंक था, जिससे बड़ी संख्या भारतीय स्टार्टअप भी लोन ले रहे थे. इनमें ज्यादातर टेक्नोलॉजी से जुड़े स्टार्टअप हैं.
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The bottom line is this: Americans can rest assured that our banking system is safe, and your deposits are safe. pic.twitter.com/hM36ZmZ22x
— Joe Biden (@JoeBiden) March 13, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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आसान तरीके से लोन देने वाला बैंक था एसवीबी : सिलिकॉन वैली बैंक ने भारत में स्टार्ट-अप के लिए आसान तरीका पेश किया, विशेष रूप से सॉफ्टवेयर क्षेत्र में, जिनके पास कई अमेरिकी ग्राहक हैं. बैंक ने इन्हें नकदी जमा करने के लिए सहूलियतें दीं. भारतीय कंपनियां संयुक्त राज्य अमेरिका की सामाजिक सुरक्षा संख्या या आयकर पहचान संख्या की आवश्यकता के बिना अपने बैंक खाते स्थापित कर सकती हैं. इसके अलावा, जैसा कि एक संस्थापक ने समझाया, SVB के पास अमेरिका में वकीलों और एकाउंटेंट का एक बहुत मजबूत नेटवर्क था, जो निश्चित फीस के लिए सक्रिय रूप से बैंक को उच्च-विकास स्टार्ट-अप की सिफारिश करते थे. बैंक जोखिम को देखते हुए भी स्टार्ट-अप को उधार देने में हिचकता नहीं था.
हालांकि सिलिकॉन वैली बैंक को अपने कुछ निवेशों को उस समय बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा जब उसके शेयरों में भारी गिरावट आई. बैंक से एक दिन में 42 बिलियन डॉलर की निकासी के लिए जमाकर्ताओं के आवेदन आ गए.
एसवीबी में भारतीय स्टार्टअप्स की बड़ी रकम है : उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि सिलिकॉन वैली बैंक में भारतीय स्टार्टअप्स की करीब 10 लाख डॉलर की रकम जमा है. वहीं कुछ का कहना है कि ये रकम 25 से 30 लाख अमेरिकी डॉलर भी हो सकती है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या संस्थापक अपना सारा पैसा बैंक से एक बार में स्थानांतरित कर पाएंगे और क्या सिस्टम निकासी प्रक्रिया का समर्थन करने में सक्षम होगा. अमेरिकी बैंकिंग प्रणाली भारत की तरह मजबूत नहीं है.
हालांकि फेडरल रिजर्व बोर्ड ने घोषणा की कि वह सभी जमाकर्ताओं की जरूरतों को पूरा करने की क्षमता सुनिश्चित करने में मदद करने के लिए पात्र डिपॉजिटरी संस्थानों को अतिरिक्त धनराशि उपलब्ध कराएगा. अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने भी भरोसा दिलाया कि सभी का पैसा वापस मिलेगा. बाइडेन ने कहा कि 'मैं इस गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार लोगों को पूरी तरह से जवाबदेह ठहराने और बड़े बैंकों के पर्यवेक्षण और विनियमन को मजबूत करने के हमारे प्रयासों को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध हूं ताकि हम फिर से इस स्थिति में न हों.'
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