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सिक्किम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, राज्य में नहीं हैं ट्रांसजेंडर

सिक्किम सरकार ने उच्चतम न्यायालय (supreme court) में कहा कि राज्य में ट्रांसजेंडरों के खिलाफ कोई अपराध नहीं हुआ है क्योंकि यहां रजिस्टर्ड ट्रांसजेंडर नहीं हैं.

सिक्किम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, राज्य सरकार कोई ट्रांसजेंडर नहीं है
सिक्किम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, राज्य सरकार कोई ट्रांसजेंडर नहीं है
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Published : Nov 6, 2021, 5:50 PM IST

नई दिल्ली: सिक्किम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि राज्य में ट्रांसजेंडरों के खिलाफ कोई अपराध नहीं हुआ है क्योंकि यहां पंजीकृत ट्रांसजेंडर नहीं हैं. सरकार ने कहा कि, 'ट्रांसजेंडर (अधिकारों का संरक्षण), अधिनियम, 2019 की धारा 6 के तहत किसी भी व्यक्ति को पहचान का यह प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है. यह हलफनामा किन्नर मां एक समाजिक ट्रस्ट द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में आया है, जिसमें किन्नर कल्याण बोर्ड बनाकर ट्रांसजेंडरों के हितों की रक्षा करने और उनके खिलाफ झूठे आपराधिक मामलों से निपटने की मांग की गई थी. उच्चतम न्यायालय ने 12 अप्रैल, 2021 को याचिका पर नोटिस जारी किया था, जिसके जवाब में सिक्किम ने जवाब दाखिल किया है.

राज्य ने अदालत को बताया है कि सर्जरी कर लिंग में परिवर्तन का केवल एक केस रिकॉर्ड में है, उसके आधार पर ट्रांसजेंडर (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 की धारा 7 के तहत अब तक सिक्किम राज्य में एक प्रमाण पत्र जारी किया गया है. राज्य ने आगे बताया कि वह ट्रांसजेंडर (अधिकारों की सुरक्षा) नियम, 2020 की धारा 7 के तहत आवश्यक कदम उठाने की प्रक्रिया में है और राज्य के सामाजिक न्याय एवं कल्याण विभाग ने ट्रांसजेंडरों को अनुदान के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए हैं. चयन समिति द्वारा लाभार्थी की पहचान की जाएगी और अनुदान के लिए उसे चिकित्सा प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा.

इसे भी पढ़े- महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया

हलफनामा में कहा गया है कि, 'मासिक भत्ता 2000 रुपये 6 साल की प्रारंभिक अवधि के लिए. स्नातक स्तर तक शिक्षा के लिए 100% छात्रवृत्ति. 500 रुपये का मासिक भत्ता यदि ट्रांसजेंडर स्कूल और कॉलेज की शिक्षा जारी नहीं रख सकता है या स्कूल पूरा होने के बाद बेरोजगार रहता है . वहीं, सरकारी या किसी सार्वजनिक निजी क्षेत्र के उपक्रम में किसी भी क्षमता में कार्यरत होने के बाद भत्ता समाप्त हो जाता है. इसके अलावा हलफनामे में कहा गया है कि जागरूकता अभियान आयोजित करने के लिए जिला कलेक्टरों को 25,000 रुपये भी आवंटित किए गए हैं और यह ट्रांसजेंडरों के हितों की रक्षा के लिए और आवश्यक कदम उठाया जाएगा.

नई दिल्ली: सिक्किम सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि राज्य में ट्रांसजेंडरों के खिलाफ कोई अपराध नहीं हुआ है क्योंकि यहां पंजीकृत ट्रांसजेंडर नहीं हैं. सरकार ने कहा कि, 'ट्रांसजेंडर (अधिकारों का संरक्षण), अधिनियम, 2019 की धारा 6 के तहत किसी भी व्यक्ति को पहचान का यह प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है. यह हलफनामा किन्नर मां एक समाजिक ट्रस्ट द्वारा दायर एक याचिका के जवाब में आया है, जिसमें किन्नर कल्याण बोर्ड बनाकर ट्रांसजेंडरों के हितों की रक्षा करने और उनके खिलाफ झूठे आपराधिक मामलों से निपटने की मांग की गई थी. उच्चतम न्यायालय ने 12 अप्रैल, 2021 को याचिका पर नोटिस जारी किया था, जिसके जवाब में सिक्किम ने जवाब दाखिल किया है.

राज्य ने अदालत को बताया है कि सर्जरी कर लिंग में परिवर्तन का केवल एक केस रिकॉर्ड में है, उसके आधार पर ट्रांसजेंडर (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 की धारा 7 के तहत अब तक सिक्किम राज्य में एक प्रमाण पत्र जारी किया गया है. राज्य ने आगे बताया कि वह ट्रांसजेंडर (अधिकारों की सुरक्षा) नियम, 2020 की धारा 7 के तहत आवश्यक कदम उठाने की प्रक्रिया में है और राज्य के सामाजिक न्याय एवं कल्याण विभाग ने ट्रांसजेंडरों को अनुदान के लिए दिशा-निर्देश तैयार किए हैं. चयन समिति द्वारा लाभार्थी की पहचान की जाएगी और अनुदान के लिए उसे चिकित्सा प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा.

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हलफनामा में कहा गया है कि, 'मासिक भत्ता 2000 रुपये 6 साल की प्रारंभिक अवधि के लिए. स्नातक स्तर तक शिक्षा के लिए 100% छात्रवृत्ति. 500 रुपये का मासिक भत्ता यदि ट्रांसजेंडर स्कूल और कॉलेज की शिक्षा जारी नहीं रख सकता है या स्कूल पूरा होने के बाद बेरोजगार रहता है . वहीं, सरकारी या किसी सार्वजनिक निजी क्षेत्र के उपक्रम में किसी भी क्षमता में कार्यरत होने के बाद भत्ता समाप्त हो जाता है. इसके अलावा हलफनामे में कहा गया है कि जागरूकता अभियान आयोजित करने के लिए जिला कलेक्टरों को 25,000 रुपये भी आवंटित किए गए हैं और यह ट्रांसजेंडरों के हितों की रक्षा के लिए और आवश्यक कदम उठाया जाएगा.

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