सिंघाना/झुंझुनूं. झुंझुनू के लाल मनोज यादव को नम आंखों संग अंतिम विदाई दी गई. बड़े भाई प्रमोद कुमार ने मुखाग्नि दी. गगनभेदी नारों के बीच कई ऐसे पल भी आए जब लोगों की जुबान पर नारे और आंखों से आंसू बहते दिखे. राजकीय सम्मान के साथ शहीद को विदा किया गया. शहीद को अंतिम सलामी देने वालों में सैनिक कल्याण मंत्री राजेन्द्र गुढ़ा भी शामिल थे.
इससे पहले सिक्किम हादसे में शहीद मनोज यादव का पार्थिव शव शनिवार देर रात दिल्ली से पचेरीकलां (Martyr Manoj Yadav body reached Pacheri) लाया गया था. इसके बाद तिरंगा यात्रा के जरिए उनका पार्थिव शरीर पैतृक गांव माजरी ले जाया गया. इस दौरान घर में कोहराम मच गया. पूरे गांव की आंखें नम हो गईं.
निकाली जाएगी तिरंगा यात्रा: कड़ाके की ठंड के बावजूद सूरज उगने से पहले ही न केवल माजरी के बल्कि आसपास के कई गांवों से सैकड़ों लोग पचेरी पहुंच गए. लोगों ने अपने हाथों में तिरंगे लिया हुआ था. आंखें गमगीन थी और सिर गर्व से ऊंचा. हर कोई शहीद के सम्मान में नतमस्तक था. ये सभी शहीद अमर रहे के जयकारे लगा रहे थे. फूलों से सजे सेना के वाहन पर शहीद की पार्थिव देह रखी गई. पचेरी कलां से शहीद मनोज यादव का गांव 6 किलो मीटर की दूरी पर है. गांव में उनका पार्थिव शव तिरंगा यात्रा (Majri village will reach with Tiranga Yatra) के जरिए ले जाया जायेगा.
2015 में सेना की भर्ती: बता दें कि मनोज यादव 15 दिसंबर 2015 में पहली बार सेना की भर्ती प्रक्रिया देखी थी. इस दौरान उनका चयन सेना में हो गया था. मनोज यादव की शादी साल 2018 में खेतड़ी तहसील के दलोता गांव की ज्योति के साथ हुआ था. वह एक बेटी के पिता थे, जिसका नाम अवनी है. परिवार वालों ने बताया कि गुरुवार की शाम को मनोज यादव ने फोन किया था. इस दौरान अपनी माता विमला देवी से बात की और फरवरी में छुट्टी आने की बात कही थी. मनोज यादव की वर्तमान में अरुणाचल में पोस्टिंग थी, लेकिन किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि यह उनकी आखिरी बात होगी.
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शहीद मनोज यादव को जानिए: मनोज यादव का जन्म 13 मई 1995 मे हुआ था. उन्होंने दसवीं तक की पढ़ाई पचेरी खुर्द से और 12 वीं की पढ़ाई कैम्ब्रिज स्कूल सिंघाना से की थी. मनोज यादव के सेना में जाने की इतनी ललक थी कि वह सुबह 4 बजे ही तैयारी करने के लिए गांव की सड़क पर चले जाते थे, जहां सड़क पर दौड़ लगाकर अपनी तैयारी करते थे. झुंझुनू में ओपन भर्ती में पहली कोशिश में ही सेना में सेलेक्ट हो गए थे. उन्होंने दीपावली के दिन ही महाराष्ट्र के नासिक में सेना मे ज्वाइन किया था, ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उन्हें पहली पोस्टिंग श्रीनगर के गुरेज में मिली. वहां डेढ़ साल तक रहने के बाद दूसरी पोस्टिंग पंजाब के गुरदासपुर मे हुई. इसके बाद साल 2021 मे प्रमोशन होने के बाद मनोज यादव को लांस नायक बनाया गया. वह पिछले डेढ़ साल से अरुणाचल प्रदेश में तैनात थे.
शहीद सुखाराम को दी अंतिम विदाईः सिक्किम में आर्मी ट्रक खाई में गिरने से 16 जवान शहीद हो गए थे. शहीद हुए जवानों में जोधपुर के बावड़ी के सावंत कुआं खुर्द निवासी सुखाराम का रविवार को सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार (Sukharam last rites with military honours) किया गया. शहीद सुखाराम की अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में ग्रामीणों की भीड़ उमड़ी. इस दौरान शहीद के नाम के नारे भी लगते रहे. परिजनों में बेटे को खोने का दुख था लेकिन उसकी शहादत पर गर्व भी साफ दिखाई दे रहा था. शहीद सुखाराम के सम्मान में रविवार को कस्बे के बाजार भी बंद रहे. सुबह जोधपुर से शहीद का पार्थिव देह अंतिम संस्कर के लिए रवाना हुआ तो पूरे रास्ते लोग उनके नाम के नारे लगाते रहे. 'सुखाराम अमर रहें', 'भारत माता की जय' का उद्घोष रास्ते भर होता रहा. उनके पैतृक गांव तक सैनिक वाहन के साथ लोगों का हुजूम उमड़ा.
धोकल राम तरड़ के चार बेटों में सुखाराम तीसरा था. सुखाराम की शादी पांच साल पहले यशोदा से हुई थी. उनकी कोई संतान नहीं हैं. उनके भाई ने ही पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी. अंतिम संस्कार के दौरान सेना के जवानों ने सैन्य सम्मान के साथ विदाई दी. सुखाराम छह साल पहले सेना में शामिल हुए थे.इन दिनों सिक्किम में तैनात थे. शुक्रवार को जीप खाई में गिरने से 16 जवानों की मौत हुई थी. इसमें सुखाराम भी थे. शनिवार को उनकी पार्थिव देह जोधपुर पहुंचा थ, जिसे मिलिट्री अस्पताल में रखा गया था. रविवार सुबह पैतृक गांव में उनका अंतिम संस्कार किया गया.
शहीद सूबेदार गुमान सिंह का हुआ अंतिम संस्कारः सिक्किम में हुए सड़क हादसे में (Sikkim Army Truck Accident) शहीद जवान सूबेदार गुमान सिंह का रविवार को अंतिम संस्कार किया गया. बड़े बेटे प्रह्लाद सिंह ने पिता को मुखाग्नि दी. जोगा के बेटे का पार्थिव शव तिरंगा यात्रा के जरिए उनका शव पैतृक गांव पहुंचा. इस दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीण उमड़ पड़े. राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री सालेह मोहम्मद, नगर परिषद जैसलमेर के सभापति हरिवल्लभ कल्ला समेत बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधियों ने शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की. शहीद सूबेदार गुमान सिंह के पांच बच्चे हैं. 3 बेटी और 2 बेटे हैं. बड़े बेटे प्रह्लाद सिंह पर अब सबसे बड़ी जिम्मेदारी आ गई गई है. प्रह्लाद सिंह नागौर जिले के कुचामन में 11वीं क्लास में पढ़ते है. गुमान सिंह बेटे को भारतीय सेना में ऑफिसर बनाने की चाहत रखते थे.