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10 रुपये का सिक्का बना सिरदर्द, असली-नकली के फेर में उलझे दुकानदार और ग्राहक

करनाल में 10 रुपये के सिक्कों को लेकर लोग जागरूक नहीं हैं. दुकानदार और ग्राहक नकली समझकर सिक्के लेने से साफ मना कर रहे हैं. इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड रिपोर्टिंग की. बातचीत में लोगों ने बताए कि वे क्यों सिक्के लेने से बचते हैं.

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Published : Mar 1, 2021, 5:10 PM IST

करनाल : 10 रुपये के सिक्कों के लेन-देन को लेकर आम जनता में अभी तक भ्रम फैला हुआ है. रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों के बावजूद दुकानदार और ग्राहक सिक्के को लेने में आनाकानी कर रहे हैं. इन सिक्कों के प्रयोग ना होने से और प्रचलन से बाहर जाने से धन की भी हानि हो रही है.

10 रुपये के सिक्के लेने से बच रहे लोग

बता दें कि सिक्कों के नकली होने की अफवाहों के चलते एक ओर दुकानदार इन सिक्कों को लेने से बच रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर ग्राहक भी इन सिक्कों को लेने से इनकार कर रहे हैं. इन सिक्कों की वैधता को लेकर संशय की स्थिति होने के कारण दुकानदारों और ग्राहकों के पास 10 रुपये के सिक्कों का स्टॉक इकट्ठा होता जा रहा है. इसमें अति मूल्यवान करेंसी प्रचलन से बाहर होती जा रही है और बाजार में 10 रुपये के सिक्के का फ्लो निरंतर कम होता जा रहा है.

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कब-कब लॉन्च हुआ सिक्का.

ग्राहक और दुकानदार सिक्कों को लेने में करते हैं आनाकानी

समस्या की शुरुआत 2011 में हुई जब रिजर्व बैंक ने एक बार फिर 10 रुपये के सिक्के को नई डिजाइन में जारी किया, जिसमें पृष्ठ भाग पर रुपये का संकेतिक चिन्ह रुपये छपा था. कुछ दुकानदारों ने सिक्के को रुपये का संकेतिक चिन्ह ना होने के कारण नकली मानते हुए लेने से इनकार कर दिया. सोशल मीडिया पर निरंतर इस प्रकार की अफवाहों के चलते अंत में आरबीआई ने दिशानिर्देश जारी करते हुए 2016 में इन सिक्कों की वैधता को लेकर लोगों को जागरूक भी किया.

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सिक्के कब हुए लॉन्च.

ये है वजह

बैंकों व प्रशासन की उदासीनता के चलते लोगों में संशय की स्थिति बनी हुई है और लोग अपने रिजर्व बैंक द्वारा जारी अपने ही देश की मुद्रा को स्वीकार करने में हिचक रहे हैं जिससे लोगों के पास सिक्कों का अनुपयोगी ढेर जमा हो रहा है और इन सिक्कों की ढलाई और वितरण में लगे संसाधन बर्बाद हो रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड स्तर पर इस समस्या का जायजा लिया और आम जनता से लेकर बैंक अधिकारियों व लीड डिस्टिक मैनेजर का रुख जानने की कोशिश की.

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सिक्का नहीं ले तो करें शिकायत.

दुकानदार राजेश गुप्ता भी चाहते हैं कि 10 रुपये के सिक्के का आदान प्रदान हो. उन्होंने सरकार से अपील करते हुए कहा है कि कुछ ऐसे ठोस कदम उठाए जाए कि इन सिक्कों के आदान-प्रदान में कोई दिक्कत ना आए. वहीं ग्राहक तरुण ने बताया कि वो कई प्रदेशों में घूम चुका है उसे 10 के सिक्के को लेकर कहीं भी कोई दिक्कत नहीं आई जितनी उसे करनाल में देखने को मिल रही है.

10 रुपये के सिक्कों को लेकर लोग जागरूक नहीं.

सिक्के ना लेने वालों पर होगी कार्रवाई

स्टेट बैंक के चीफ मैनेजर नॉर्मल ढुल ने भी लोगों से अपील करते हुए कहा है कि वो 10 रुपये के सिक्कों का खुलकर आदान प्रदान करें. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा चार प्रकार के 10 रुपये के सिक्कों को डिजाइन किया गया है जो वैध हैं. आरबीआई ने भी साफ शब्दों में कहा है कि ये सभी सिक्के वैध हैं. इन सिक्कों को न लेने पर एक तरह से अपराध माना गया है. बैंक की तरफ से कहा गया है कि अगर कोई भी सिक्के लेने से मना करता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है.

ये भी पढ़ें- प्रधानमंत्री के टीका लगवाने से लोगों में भरोसा बढ़ेगा, टूटेगी हिचक : गुलेरिया

करनाल : 10 रुपये के सिक्कों के लेन-देन को लेकर आम जनता में अभी तक भ्रम फैला हुआ है. रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों के बावजूद दुकानदार और ग्राहक सिक्के को लेने में आनाकानी कर रहे हैं. इन सिक्कों के प्रयोग ना होने से और प्रचलन से बाहर जाने से धन की भी हानि हो रही है.

10 रुपये के सिक्के लेने से बच रहे लोग

बता दें कि सिक्कों के नकली होने की अफवाहों के चलते एक ओर दुकानदार इन सिक्कों को लेने से बच रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर ग्राहक भी इन सिक्कों को लेने से इनकार कर रहे हैं. इन सिक्कों की वैधता को लेकर संशय की स्थिति होने के कारण दुकानदारों और ग्राहकों के पास 10 रुपये के सिक्कों का स्टॉक इकट्ठा होता जा रहा है. इसमें अति मूल्यवान करेंसी प्रचलन से बाहर होती जा रही है और बाजार में 10 रुपये के सिक्के का फ्लो निरंतर कम होता जा रहा है.

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कब-कब लॉन्च हुआ सिक्का.

ग्राहक और दुकानदार सिक्कों को लेने में करते हैं आनाकानी

समस्या की शुरुआत 2011 में हुई जब रिजर्व बैंक ने एक बार फिर 10 रुपये के सिक्के को नई डिजाइन में जारी किया, जिसमें पृष्ठ भाग पर रुपये का संकेतिक चिन्ह रुपये छपा था. कुछ दुकानदारों ने सिक्के को रुपये का संकेतिक चिन्ह ना होने के कारण नकली मानते हुए लेने से इनकार कर दिया. सोशल मीडिया पर निरंतर इस प्रकार की अफवाहों के चलते अंत में आरबीआई ने दिशानिर्देश जारी करते हुए 2016 में इन सिक्कों की वैधता को लेकर लोगों को जागरूक भी किया.

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सिक्के कब हुए लॉन्च.

ये है वजह

बैंकों व प्रशासन की उदासीनता के चलते लोगों में संशय की स्थिति बनी हुई है और लोग अपने रिजर्व बैंक द्वारा जारी अपने ही देश की मुद्रा को स्वीकार करने में हिचक रहे हैं जिससे लोगों के पास सिक्कों का अनुपयोगी ढेर जमा हो रहा है और इन सिक्कों की ढलाई और वितरण में लगे संसाधन बर्बाद हो रहे हैं. ईटीवी भारत की टीम ने ग्राउंड स्तर पर इस समस्या का जायजा लिया और आम जनता से लेकर बैंक अधिकारियों व लीड डिस्टिक मैनेजर का रुख जानने की कोशिश की.

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सिक्का नहीं ले तो करें शिकायत.

दुकानदार राजेश गुप्ता भी चाहते हैं कि 10 रुपये के सिक्के का आदान प्रदान हो. उन्होंने सरकार से अपील करते हुए कहा है कि कुछ ऐसे ठोस कदम उठाए जाए कि इन सिक्कों के आदान-प्रदान में कोई दिक्कत ना आए. वहीं ग्राहक तरुण ने बताया कि वो कई प्रदेशों में घूम चुका है उसे 10 के सिक्के को लेकर कहीं भी कोई दिक्कत नहीं आई जितनी उसे करनाल में देखने को मिल रही है.

10 रुपये के सिक्कों को लेकर लोग जागरूक नहीं.

सिक्के ना लेने वालों पर होगी कार्रवाई

स्टेट बैंक के चीफ मैनेजर नॉर्मल ढुल ने भी लोगों से अपील करते हुए कहा है कि वो 10 रुपये के सिक्कों का खुलकर आदान प्रदान करें. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा चार प्रकार के 10 रुपये के सिक्कों को डिजाइन किया गया है जो वैध हैं. आरबीआई ने भी साफ शब्दों में कहा है कि ये सभी सिक्के वैध हैं. इन सिक्कों को न लेने पर एक तरह से अपराध माना गया है. बैंक की तरफ से कहा गया है कि अगर कोई भी सिक्के लेने से मना करता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है.

ये भी पढ़ें- प्रधानमंत्री के टीका लगवाने से लोगों में भरोसा बढ़ेगा, टूटेगी हिचक : गुलेरिया

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