मुंबई: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों में जुट गई हैं. वहीं, उनके मुंबई दौरे के कारण विपक्षी दलों की हलचलों में भी गति आई है. एक तरफ जहां सभी विपक्षी पार्टियों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सामने मजबूत विकल्प खड़ा करना है इस पर एकमत हैं ही, वहीं कौन किसे साथ लें और बाहर रखें इस पर विपक्ष में अभी भी विवाद उलझा हुआ है.
पश्चिम बंगाल (West Bengal) में सत्तारूढ़ दल ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था कि कांग्रेस डीप फ्रीजर में चली गई है. एक आलेख में कहा गया है कि देश को फिलहाल एक वैकल्पिक मोर्चे की जरूरत है और विपक्षी दलों ने वह जिम्मेदारी ममता बनर्जी को दी है. खालीपन को भरने के लिए वे उनकी ओर देख रहे हैं. वह वर्तमान में देश में विपक्ष का सबसे लोकप्रिय चेहरा हैं.
ममता बनर्जी को शिवसेना ने दिया जवाब
वहीं, अब बिन कांग्रेस विपक्षी एकता की बात करने वाली ममता बनर्जी को शिवसेना ने जवाब दिया है. शिवसेना (Shivsena) ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ (Saamana) में एक लेख में लिखा है. कांग्रेस को राष्ट्रीय राजनीति से दूर रखना, फासिस्ट ताकतों की मदद करने जैसा ही है.
पढ़ें: 'चीन की युद्धखोर नीति हिंदुस्तान के लिए चिंताजनक'
ममता ने मुंबई में आकर राजनैतिक मुलाकात की
अपने मुखपत्र में शिवसेना ने कहा, अपने-अपने राज्य और टूटे-फूटे किले संभालने के एक साथ इस पर तो कम-से-कम एकमत होना जरूरी है. इस एकता का नेतृत्व कौन करे यह आगे का मसला है. पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी बाघिन की तरह लड़ीं और जीतीं. बंगाल की भूमि पर BJP को चारों खाने चित करने का काम उन्होंने किया. उनके संघर्ष को देश ने प्रणाम किया है. ममता ने मुंबई में आकर राजनैतिक मुलाकात की. ममता की राजनीति काग्रेंस उन्मुख नहीं है. पश्चिम बंगाल से उन्होंने कांग्रेस, वामपंथी और भाजपा का सफाया कर दिया. यह सत्य है फिर भी कांग्रेस को राष्ट्रीय राजनीति से दूर रखकर सियासत करना यानी मौजूदा 'फासिस्ट' राज की प्रवृत्ति को बल देने जैसा है.