नई दिल्ली : शिवसेना सांसद संजय राउत ने कोरोना को लेकर केंद्र पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने वैक्सीनेशन में अनियमितता का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि वैक्सीन का संकट जारी है, लेकिन दावे बड़े-बड़े किए जा रहे हैं. वैक्सीनेशन सेंटर पर बुरा हाल है. कोरोना की दूसरी लहर में देश की जो हालत हुई उसके लिए केंद्र जिम्मेदार है.
गौरतलब है कि राज्य सभा में देश में कोविड-19 महामारी का प्रबंधन, टीकाकरण का कार्यान्वयन और संभावित तीसरी लहर को देखते हुए नीतियों और चुनौतियों पर अल्पकालिक चर्चा की जा रही है.
इस चर्चा में भाग लेते हुए संजय राउत ने कहा, पीएम मोदी ने कहा था कि उन्हें कोरोना का युद्ध जितने के लिए 21 दिन चाहिए...और कितने 21 दिन चाहिए कोरोना से लड़ने के लिए...यह कोई राजनीति का विषय नहीं है. यह एक राष्ट्रीय आपत्ति है. देश और राज्य अपने-अपने स्तर पर इससे लड़ रहे हैं.
राज्यसभा में शिवसेना सांसद संजय राउत ने कोविड-19 से देशभर में हुई मौतों का ममला उठाया और आरोप लगाया कि सरकार इस बारे में जानकारी छिपा रही है. उन्होंने कहा, हमारा सरकार से सवाल है कि आखिर आप आंकड़े छिपा क्यों रहे हैं? हमें बताइए कि कोविड-19 की वजह से कितने लोगों ने जान गंवाई है.
राउत ने दावा किया कि सरकारी आंकड़ों में मौतों की जो संख्या बताई जा रही है, उससे कहीं अधिक मौतें हो रही हैं. उन्होंने सरकार से अपील की और कहा कि आंकड़े छिपाने के बजाय सही आंकड़े जारी किए जाएं.
राउत ने कहा 'लॉकडाउन कहीं कहीं आज भी जारी है. क्या लॉकडाउन समाधान है? यह चल रहा है और चलता रहेगा. अगर टीका समाधान है तो इस कार्यक्रम को युद्ध स्तर पर कार्यान्वित किया जाना चाहिए. देश में टीके की कमी है फिर हमने छह करोड़ टीके विदेश कैसे भेज दिए ?'
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उन्होंने सरकार से सवाल किया कि तीसरी लहर से निपटने के लिए उसने क्या तैयारी की है ? उन्होंने कहा, 'अस्पतालों में क्या इंतजाम किए गए हैं? बेड कितने बढ़ाए गए ? ऑक्सीजन की व्यवस्था किस तरह की है ? डॉक्टर, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ की भी व्यवस्था की जानी चाहिए ताकि जरूरत के समय लोगों को समुचित इलाज मिल सके.' उन्होंने कहा कि दूसरी लहर के दौरान की गई गलतियों दोहराई नहीं जानी चाहिए.
इससे पहले राजद सांसद मनोज झा ने भी इस चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि कोरोना काल में हुई मौतें जिंदा दस्तावेज हैं. उन्होंने कहा कि वे महामारी से उपजे हालात के लिए किसी एक सरकार को दोषी नहीं मानते. मनोज झा ने कहा कि महामारी के बाद के हालात से यही लगता है कि 1947 में मिली आजादी के बाद अब तक की तमाम सरकारें विफल रही हैं.