मुंबई: चुनाव आयोग ने शिवसेना के नाम और उसके चुनाव चिन्ह को अपनी पार्टी की पहचान बनाने के मामले में पार्टी के दोनों गुटों को दस्तावेज जमा करने का आदेश दिया है. इसके खिलाफ शिवसेना एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी. आयोग ने शिवसेना में बहुमत साबित करने के लिए दस्तावेजी सबूत पेश करने के लिए कहा था. शिंदे गुट के खिलाफ कई न्यायिक कार्यवाही होने पर चुनाव आयोग द्वारा दिए गए आदेश पर शिवसेना ने आपत्ति जताई है. एकनाथ शिंदे ने शिवसेना के 40 बागी विधायकों के साथ सरकार बनायी है.
पार्टी नेता उद्धव ठाकरे ने विधायिका में गुट के नेता और प्रवक्ता के पद पर नियुक्ति को लेकर चिंता जतायी. साथ ही शिवसेना ने यह आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया कि उसने पार्टी विरोधी गतिविधियां की हैं. इस मामले पर अंतिम सुनवाई एक अगस्त को होगी. लेकिन, शिंदे गुट के दो तिहाई विधायकों और सांसदों की सूची पहले ही चुनाव आयोग भेज दिया गया है. साथ ही पार्टी को मान्यता देने की मांग की है.
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जब सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही लड़ाई चल रही है तो शिंदे समूह ने पत्र भेजकर शिवसेना की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. शिवसेना विधायक और सांसद नहीं हो सकती. पार्टी और चुनाव चिह्न शिवसेना का है. पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा था कि विद्रोहियों को अपने अधिकारों का दावा करने का कोई अधिकार नहीं है. लेकिन, चुनाव आयोग ने शिवसेना को इस संबंध में 8 अगस्त तक दस्तावेज जमा करने का आदेश दिया है. मामला पहले से ही अदालत में लंबित है.