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बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने की उद्धव की याचिका के बाद, शिंदे गुट का डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव

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Published : Jun 25, 2022, 7:45 AM IST

Updated : Jun 28, 2022, 6:18 AM IST

उद्धव ठाकरे गुट द्वारा बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल के समक्ष एक याचिका प्रस्तुत करने के एक दिन बाद, एकनाथ शिंदे गुट ने शुक्रवार को डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया.

एकनाथ शिंदे गुट
एकनाथ शिंदे गुट

मुंबई: उद्धव ठाकरे गुट द्वारा बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल के समक्ष एक याचिका प्रस्तुत करने के एक दिन बाद, एकनाथ शिंदे गुट ने शुक्रवार को डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया. इससे पहले शिवसेना ने राज्य विधानसभा के उपाध्यक्ष के समक्ष एक याचिका दायर कर एकनाथ शिंदे समेत 12 बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की थी, जो बुधवार को हुई विधायक दल की बैठक में भाग नहीं लेने के लिए थे.

उद्धव गुट के इस कदम के जवाब में शिंदे गुट के निर्दलीय विधायक महेश बाल्दी और विनोद अग्रवाल ने अविश्वास का नोटिस देते हुए कहा, "महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष के रूप में नरहरि जिरवाल को हटाने के लिए एक प्रस्ताव पेश करने का नोटिस महाराष्ट्र विधान सभा नियमों के नियम 11 के साथ भारत के संविधान के अनुच्छेद 179 के तहत विधानसभा में पहले ही जमा की जा चुकी है."

नबाम रेबिया और बामांग फेलिक्स बनाम वीएस उप अरुणाचल प्रदेश विधान सभा (2016) के मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों का हवाला देते हुए, दोनों नेताओं ने डिप्टी स्पीकर और विधान सभा के सचिव को संबोधित करते हुए पत्र लिखा है कि "इसलिए हमारा मानना है कि संवैधानिक उद्देश्य और संवैधानिक सद्भाव बनाए रखा जाएगा और संरक्षित किया जाएगा. यदि कोई अध्यक्ष दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता के लिए एक याचिका के निर्णय से परहेज करता है तब इसका मतलब होगा कि अध्यक्ष की स्थिति को चुनौती दी जा रही है."

शिंदे गुट ने आगे दावा किया कि डिप्टी स्पीकर के पास उनके समक्ष लंबित किसी भी आवेदन पर निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं होगा क्योंकि उनके स्वयं के निष्कासन का प्रस्ताव लंबित है. साथ ही कहा कि उपाध्यक्ष द्वारा की गई कोई भी कार्रवाई भारत के सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना ​​होगी. बता दें कि गुरुवार (जून 23) को शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने बताया कि बैठक से पहले एक नोटिस जारी किया गया था जिसमें कहा गया था कि यदि कोई विधायक बैठक से नदारद रहता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

सावंत ने कहा, "हमने डिप्टी स्पीकर (महाराष्ट्र विधानसभा के) के समक्ष एक याचिका दायर की है और मांग की है कि 12 (विधायकों) की सदस्यता रद्द कर दी जानी चाहिए क्योंकि वे कल की बैठक में शामिल नहीं हुए थे. बैठक से पहले एक नोटिस जारी किया गया था जिसमें कहा गया था कि अगर आप बैठक में शामिल नहीं हुए तो संविधान के अनुसार कानूनी कार्रवाई की जाएगी. कुछ नहीं आए और कुछ ने अनावश्यक कारण बताए."

शिंदे के अलावा शिवसेना ने प्रकाश सुर्वे, तानाजी सावंत, महेश शिंदे, अब्दुल सत्तार, संदीप भुमारे, भरत गोगावाले, संजय शिरसत, यामिनी यादव, अनिल बाबर, बालाजी देवदास और लता चौधरी को अयोग्य ठहराने की मांग की है. याचिका अजय चौधरी द्वारा दायर की गई है, जिन्हें शिवसेना द्वारा शिंदे को पद से "हटाए जाने" के बाद "विधायक दल का नेता" नियुक्त किया गया था. शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु ने पार्टी विधायकों को पत्र लिखकर बैठक में उपस्थित रहने को कहा था. पत्र में स्पष्ट कहा गया कि यदि कोई अनुपस्थित रहता है तो यह माना जाएगा कि उक्त विधायक ने स्वेच्छा से पार्टी छोड़ने का फैसला किया है.

यह भी पढ़ें-भावुक हुए उद्धव, बोले- 'नहीं सोचा था ऐसा, अपने ही नहीं दे रहे साथ, पर कांग्रेस-एनसीपी साथ'

एएनआई

मुंबई: उद्धव ठाकरे गुट द्वारा बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल के समक्ष एक याचिका प्रस्तुत करने के एक दिन बाद, एकनाथ शिंदे गुट ने शुक्रवार को डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया. इससे पहले शिवसेना ने राज्य विधानसभा के उपाध्यक्ष के समक्ष एक याचिका दायर कर एकनाथ शिंदे समेत 12 बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की थी, जो बुधवार को हुई विधायक दल की बैठक में भाग नहीं लेने के लिए थे.

उद्धव गुट के इस कदम के जवाब में शिंदे गुट के निर्दलीय विधायक महेश बाल्दी और विनोद अग्रवाल ने अविश्वास का नोटिस देते हुए कहा, "महाराष्ट्र विधानसभा के उपाध्यक्ष के रूप में नरहरि जिरवाल को हटाने के लिए एक प्रस्ताव पेश करने का नोटिस महाराष्ट्र विधान सभा नियमों के नियम 11 के साथ भारत के संविधान के अनुच्छेद 179 के तहत विधानसभा में पहले ही जमा की जा चुकी है."

नबाम रेबिया और बामांग फेलिक्स बनाम वीएस उप अरुणाचल प्रदेश विधान सभा (2016) के मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों का हवाला देते हुए, दोनों नेताओं ने डिप्टी स्पीकर और विधान सभा के सचिव को संबोधित करते हुए पत्र लिखा है कि "इसलिए हमारा मानना है कि संवैधानिक उद्देश्य और संवैधानिक सद्भाव बनाए रखा जाएगा और संरक्षित किया जाएगा. यदि कोई अध्यक्ष दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता के लिए एक याचिका के निर्णय से परहेज करता है तब इसका मतलब होगा कि अध्यक्ष की स्थिति को चुनौती दी जा रही है."

शिंदे गुट ने आगे दावा किया कि डिप्टी स्पीकर के पास उनके समक्ष लंबित किसी भी आवेदन पर निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं होगा क्योंकि उनके स्वयं के निष्कासन का प्रस्ताव लंबित है. साथ ही कहा कि उपाध्यक्ष द्वारा की गई कोई भी कार्रवाई भारत के सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना ​​होगी. बता दें कि गुरुवार (जून 23) को शिवसेना सांसद अरविंद सावंत ने बताया कि बैठक से पहले एक नोटिस जारी किया गया था जिसमें कहा गया था कि यदि कोई विधायक बैठक से नदारद रहता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

सावंत ने कहा, "हमने डिप्टी स्पीकर (महाराष्ट्र विधानसभा के) के समक्ष एक याचिका दायर की है और मांग की है कि 12 (विधायकों) की सदस्यता रद्द कर दी जानी चाहिए क्योंकि वे कल की बैठक में शामिल नहीं हुए थे. बैठक से पहले एक नोटिस जारी किया गया था जिसमें कहा गया था कि अगर आप बैठक में शामिल नहीं हुए तो संविधान के अनुसार कानूनी कार्रवाई की जाएगी. कुछ नहीं आए और कुछ ने अनावश्यक कारण बताए."

शिंदे के अलावा शिवसेना ने प्रकाश सुर्वे, तानाजी सावंत, महेश शिंदे, अब्दुल सत्तार, संदीप भुमारे, भरत गोगावाले, संजय शिरसत, यामिनी यादव, अनिल बाबर, बालाजी देवदास और लता चौधरी को अयोग्य ठहराने की मांग की है. याचिका अजय चौधरी द्वारा दायर की गई है, जिन्हें शिवसेना द्वारा शिंदे को पद से "हटाए जाने" के बाद "विधायक दल का नेता" नियुक्त किया गया था. शिवसेना के मुख्य सचेतक सुनील प्रभु ने पार्टी विधायकों को पत्र लिखकर बैठक में उपस्थित रहने को कहा था. पत्र में स्पष्ट कहा गया कि यदि कोई अनुपस्थित रहता है तो यह माना जाएगा कि उक्त विधायक ने स्वेच्छा से पार्टी छोड़ने का फैसला किया है.

यह भी पढ़ें-भावुक हुए उद्धव, बोले- 'नहीं सोचा था ऐसा, अपने ही नहीं दे रहे साथ, पर कांग्रेस-एनसीपी साथ'

एएनआई

Last Updated : Jun 28, 2022, 6:18 AM IST

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