शिमला: मानसून सीजन की आपदा से उबर चुके हिमाचल में फिर से सैलानियों का तांता लगने लगा है. ब्रिटिशकालीन खूबसूरत शहर शिमला के होटल सैलानियों से पैक हैं. नए साल के जश्न के लिए शिमला तैयार है. यहां सैलानियों के आकर्षण के लिए एक से बढ़कर एक सुविधाएं दी जा रही हैं. हिमाचल सरकार ने सैलानियों के लिए तोहफों की बरसात की है. देवभूमि की सैर शिमला व कुल्लू-मनाली के बिना अधूरी मानी जाती है.
पर्यटकों को भारी छूट: इस बार हिमाचल सरकार ने राज्य में पर्यटकों के लिए 5 जनवरी तक कई प्रकार की छूट दी है. सारे रेस्तरां व ढाबे राउंड दि क्लॉक खुले रहेंगे, ताकि सैलानियों को किसी प्रकार की असुविधा न हो. चूंकि देश भर के सैलानी नए साल के जश्न के लिए शिमला पधार रहे हैं, ऐसे में यहां ये बताना जरूरी है कि शिमला के आसपास भी कई खूबसूरत टूरिस्ट डेस्टिनेशन हैं. यहां आकर सैलानी नए साल का जश्न मना सकते हैं. शिमला में इस समय सैलानियों की भारी भीड़ है. इसलिए शिमला के आसपास के टूरिस्ट डेस्टिनेशन की जानकारी भी सैलानियों के लिए फायदेमंद होगी.
कंडाघाट से जा सकते हैं चायल: चंडीगढ़ से शिमला नेशनल हाईवे पर स्थित एक कस्बा है कंडाघाट. यहां से दो रास्ते निकलते हैं. एक शिमला के लिए तो दूसरा चायल के लिए. यदि सैलानी कंडाघाट से चायल के लिए जाना चाहते हैं तो उन्हें रास्ते में प्रकृति के खूबसूरत नजारे मिलेंगे. कंडाघाट से चायल सड़क मार्ग से 48 किलोमीटर है. यहां बस सुविधा भी है और टैक्सी से भी जा सकते हैं. चायल वैसे तो सोलन जिले में है, लेकिन इसकी सीमा शिमला जिले से लगती है.
चायल में घूमने की जगहें: चायल में सैलानियों के लिए मां काली मंदिर आकर्षण का स्थल है. काली का टिब्बा नाम से विख्यात ये मंदिर ऊंची चोटी पर स्थित है. यहां से शिवालिक पहाड़ियों का खूबसूरत नजारा मन को मोहित कर लेता है. इसके अलावा चायल में महाराजा पटियाल का महल चायल पैलेस (अब पर्यटन निगम की संपत्ति), एशिया का सबसे ऊंचा क्रिकेट ग्राउंड, बाबा बालकनाथ का मंदिर आदि आकर्षण हैं. चायल में शान से खड़े भव्य देवदार के पेड़ इसकी खूबसूरती को चार चांद लगाते हैं. चायल में ठहरने के लिए कई होटल हैं और यहां सैलानियों को एकांत सेवन का लाभ मिलता है.
चायल से शिमला तक का खूबसूरत सफर: चायल से सैलानी बस व टैक्सी के माध्यम से शिमला पहुंच सकते हैं. चायल से शिमला करीब 45 किलोमीटर है. रास्ते में खूबसूरत गांव देखने को मिलते हैं. यहां कुछ इलाके इतने खूबसूरत हैं कि सैलानी गाड़ी रोककर उन्हें कैमरे में कैद करते हैं. चायल से शिमला के मार्ग में जनेड घाट, कोटी, शिलोनबाग, मुंडाघाट, चीनीबंगला व कुफरी जैसे पर्यटन स्थल आते हैं. यहां सैलानियों के लिए कई होटल हैं. पहाड़ के लोक देवताओं के मंदिर भी आकर्षण का केंद्र हैं.
शिमला के आसपास टूरिस्ट डेस्टिनेशन: शिमला के आसपास कई सुंदर पर्यटन स्थल हैं. इनमें कुफरी, नालदेहरा, मशोबरा, छराबड़ा, फागू आदि शामिल हैं. शिमला के पास धार्मिक पर्यटन के लिहाज से अद्भुत मंदिर हैं. इनमें तारा मां का मंदिर, संकट मोचन, खुशहाला महावीर मंदिर आदि उल्लेखनीय है. संकट मोचन मंदिर हनुमान जी को समर्पित है. इस मंदिर में बाबा नीब करौरी भी आ चुके हैं. जाखू स्थित बजरंग बली का मंदिर और यहां एशिया की सबसे ऊंची वीर बजरंग बली की मूर्ति के दूर से ही दर्शन मिलते हैं.
शिमला के पास तारा मां का मंदिर: तारा मां का मंदिर दिव्य ऊर्जा से भरपूर है. शिमला से 25 किलोमीटर की दूरी पर ये मंदिर स्थित है. शोघी के पास नेशनल हाईवे से एक मार्ग तारा मंदिर के लिए जाता है. यहां बस व टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है. तारा मंदिर क्योंथल रियासत की कुलदेवी का मंदिर है. ये दस महाविद्या में से एक उग्रतारा का रूप है. मंदिर में दिव्य मूर्ति स्थापित है. यहां से दसों दिशाओं में सुंदर नजारे दिखाई देते हैं. मंदिर पहाड़ी शैली में बना है.
गोल्फ कोर्स नालदेहरा में निहारें प्रकृति का हरा-भरा रूप: शिमला के पास नालदेहरा का गोल्फ कोर्स भव्य है. यहां एकांत का वास है और दिव्य वृक्षों के रूप में ऊंचे-ऊंचे देवदार के पेड़ हैं. शिमला से नालदेहरा करीब 23 किलोमीटर दूर है. यहां गोल्फ कोर्स मनमोहक है. हरे-भरे देवदार के ऊंचे पेड़ सैलानियों का मन मोह लेते हैं. शिमला के पास ही छराबड़ा एक छोटा सा कस्बा है. यहां की खूबसूरती ऐसी है कि प्रियंका वाड्रा भी यहां अपना सपनों का आशियाना बनाने का लोभ छोड़ नहीं पाई. यहीं पर विख्यात वाइल्ड फ्लावर हॉल होटल है. साथ ही कुफरी व चीनीबंगला जैसे टूरिस्ट डेस्टिनेशन है.
शिमला से जाएं नारकंडा, कोटखाई, कोटगढ़: शिमला से कुछ और दूर जाएं तो नारकंडा, कोटखाई, कोटगढ़ जैसे दर्शनीय पहाड़ी स्थल हैं. ये स्थान सेब उत्पादन के लिए विश्व भर में विख्यात हैं. कोटगढ़ सत्यानंद स्टोक्स की कर्मभूमि भी है. यहां सेब से आई समृद्धि ने ऊपरी शिमला की तस्वीर और तकदीर बदली है. कोटगढ़, कोटखाई, नारकंडा, कुमारसैन आदि इलाकों में अब कई शानदार व सुख-सुविधाओं से भरपूर होटल व होम स्टे हैं. यहां पहाड़ी व्यंजनों का स्वाद लिया जा सकता है. लकड़ी के बने होम स्टे और उनकी सुंदरता सैलानियों को हैरत में डाल देती है.
बर्फबारी से देवलोक जैसा नजारा: नए साल के जश्न का आनंद कई गुणा बढ़ जाता है, अगर आसमान से बर्फ के सफेद फाहे जमीन पर उतर आएं. बर्फबारी में कुफरी, चीनीबंगला, फागू, चियोग, ठियोग, नारकंडा, कोटखाई की सुंदरता देवलोक जैसी हो जाती है. बर्फ के सफेद फाहे जब आसमान से उतरते हैं तो वो दृश्य देखने लायक होता है. जब बर्फ पहाड़ों, पेड़ों और जमीन पर जम जाती है तो धरती का धवल शृंगार मन को लुभाता है. इस साल व्हाइट क्रिसमस तो संभव नहीं हुआ, लेकिन नए साल पर बर्फबारी देखने को मिल जाए तो सैलानी हिमाचल की सैर को संपूर्ण समझते हैं.
पर्यटन निगम के होटलों में पहाड़ी व्यंजनों का स्वाद: शिमला की यात्रा में पर्यटन विकास निगम के होटल खास सहूलियत देते हैं. यहां मास्टर शेफ पहाड़ी व्यंजन तैयार करते हैं, जो सैलानियों की पहली पसंद है. विंटर टूरिस्ट सीजन के लिए पर्यटन निगम के होटलों में डाइन एंड डांस की सुविधा है. इसके अलावा कई तरह की छूट दी जा रही है. इन होटलों में डीजे पार्टी का इंतजाम है. कपल डांस, डांस प्रतियोगिता व फूड फेस्टीवल सैलानियों को पसंद आ रहा है.
शिमला के लिए स्पेशल बसें: हिमाचल सरकार ने दिल्ली से शिमला के लिए खास वोल्वो बसें चलाई हैं. इनकी बुकिंग एचपीटीडीसी की वेबसाइट पर की जा सकती है. आपदा के बाद हिमाचल की गाड़ी पटरी पर लौटी तो अब 11 दिन में अकेले शिमला में सैलानियों के 1.68 लाख वाहन आए हैं. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल सैलानियों के वेलकम के लिए हमेशा तत्पर है. उन्होंने भरोसा दिलाया कि उनकी सरकार व स्थानीय प्रशासन पर्यटकों की हिमाचल यात्रा को यादगार बनाने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी.
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