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एक दशक बाद नगर निगम शिमला में Congress की वापसी, 2024 के लिए हिमाचल में कांग्रेस को मिली संजीवनी

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Published : May 4, 2023, 8:37 PM IST

शिमला नगर निगम चुनाव में कांग्रेस ने 24 वार्डों में जीत दर्ज की है. भाजपा ने 9 वार्डों में जीत दर्ज की है. इस जीत से कांग्रेस को संजीवनी मिली है. कैसे ये जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

Shimla MC Election Result
डिजाइन फोटो.

शिमला: विधानसभा चुनाव में धमाकेदार जीत के बाद कांग्रेस ने मिनी हिमाचल कहे जाने वाले नगर निगम शिमला के चुनाव में भी फतह हासिल की है. शिमला हिमाचल की राजधानी है और यहां प्रदेश भर के लोग नौकरी के सिलसिले में निवास करते हैं. इसके अलावा राज्य के हर जिले से पढ़ाई के लिए आए युवा शिमला में रहते हैं. चूंकि इस बार शिमला नगर निगम चुनाव में यहां रह रहे लोगों को भी वोट डालने का हक मिला था. दरअसल इस बार सरकार ने ऐसे लोगों को भी निगम चुनाव में वोट डालने का अधिकार दिया था जो प्रदेश के किसी अन्य क्षेत्र के निवासी हैं, लेकिन शिमला में रहते हैं. तो वो अपने निर्वाचन क्षेत्र के साथ-साथ शिमला नगर निगम में भी वोट डाल सकते हैं. इसके लिए इस बार खास कैंपेन के जरिये वोटर कार्ड बनवाए गए थे. लिहाजा ये कहा जा सकता है कि नगर निगम का चुनाव परिणाम प्रदेश के रुझान को रिफ्लेक्ट करता है.

कांग्रेस के हाथ नगर निगम की सत्ता- कांग्रेस ने नगर निगम शिमला के 34 वार्ड में से कुल 24 पर जीत हासिल की, जबकि भाजपा को 9 वार्ड में ही जीत मिल पाई. वहीं माकपा को एक वार्ड में जीत मिली. इस तरह शिमला की जीत ने कांग्रेस को 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए संजीवनी दी है. बड़ी बात ये है कि कांग्रेस नगर निगम शिमला की सत्ता में एक दशक बाद वापिस लौटी है. इस जीत से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में और उत्साह आया है.

साल 2022 के अंत में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने 40 सीटें जीतकर हिमाचल की सत्ता पर वापसी की थी. बीजेपी महज 25 सीटों पर सिमट गई थी जबकि कांग्रेस ने 40 सीटों के भारी बहुमत के साथ सरकार बनाई. बड़े कांग्रेस नेताओं की हार के बाद सुखविंदर सुक्खू के सिर मुख्यमंत्री का ताज सजा था. विधानसभा चुनाव के ठीक 4 महीने बाद शिमला नगर निगम चुनाव कांग्रेस और सुखविंदर सुक्खू की सबसे बड़ी परीक्षा थी. जिसे कांग्रेस ने बंपर बहुमत के साथ पास किया है.

नगर निगम चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के बाद मेयर और डिप्टी मेयर पद भी कांग्रेस के हाथ में है. नतीजों के बाद नए मेयर और डिप्टी मेयर की चर्चा शुरू गई है. मेयर पद की दौड़ में सबसे आगे सुरेंद्र चौहान का नाम है. सीएम सुखविंदर सुक्खू के करीबी माने जाने वाले सुरेंद्र चौहान छोटा शिमला वार्ड से पार्षद चुने गए हैं. राजनीतिक विश्लेषक डॉ. एमपीएस राणा का कहना है कि प्रदेश और शिमला की जनता ने सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस पर भरोसा जताया है. निगम चुनाव के नतीजे बताते हैं कि जनता का भरोसा कांग्रेस सरकार में बरकरार है. ओपीएस की बहाली ही एक ऐसा मुद्दा था, जिसे लेकर अपने स्पष्ट दृष्टिकोण से सीएम ने कर्मचारी वर्ग का दिल जीता है. डॉ. राणा का कहना है कि अब कांग्रेस सरकार को रोजगार और कर्ज के मुद्दे पर कुछ सार्थक कर दिखाना होगा, तभी 2024 में लोकसभा की चारों सीटों पर जीत हासिल करने में सफलता मिलेगी.

सुखविंदर सुक्खू ने भी नगर निगम चुनाव में जीत के लिए शिमला की जनता का आभार जताया है. उन्होंने कहा कि शिमला की जनता ने कांग्रेस सरकार की नीतियों पर मुहर लगाई है और बीजेपी को एक बार फिर से नकार दिया है. वैसे नगर निगम की जीत के साथ ही सुखविंदर सुक्खू का कद भी बढ़ा है. इसके अलावा निर्णय लेने की क्षमता दिखाने पर भी सीएम सुखविंदर सिंह की छवि एक चतुर और कुशल नेता के रूप में निखरी है. कभी सुखविंदर सुक्खू नगर निगम शिमला के पार्षद थे और नगर निगम शिमला का इस बार चुनाव उनके चेहरे औऱ अगुवाई में कांग्रेस ने जीता है. विधानसभा चुनाव के 4 महीने बाद हुए नगर निगम चुनावों के नतीजों ने कांग्रेस को नया जोश दिया है. अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में भले कुछ वक्त बाकी है लेकिन इस प्रदर्शन को कांग्रेस दोहराना जरूर चाहेगी.

Read Also- Shimla MC Election Result: शिमला नगर निगम कांग्रेस के 'हाथ', जानें किस वार्ड से कौन जीता ?

शिमला: विधानसभा चुनाव में धमाकेदार जीत के बाद कांग्रेस ने मिनी हिमाचल कहे जाने वाले नगर निगम शिमला के चुनाव में भी फतह हासिल की है. शिमला हिमाचल की राजधानी है और यहां प्रदेश भर के लोग नौकरी के सिलसिले में निवास करते हैं. इसके अलावा राज्य के हर जिले से पढ़ाई के लिए आए युवा शिमला में रहते हैं. चूंकि इस बार शिमला नगर निगम चुनाव में यहां रह रहे लोगों को भी वोट डालने का हक मिला था. दरअसल इस बार सरकार ने ऐसे लोगों को भी निगम चुनाव में वोट डालने का अधिकार दिया था जो प्रदेश के किसी अन्य क्षेत्र के निवासी हैं, लेकिन शिमला में रहते हैं. तो वो अपने निर्वाचन क्षेत्र के साथ-साथ शिमला नगर निगम में भी वोट डाल सकते हैं. इसके लिए इस बार खास कैंपेन के जरिये वोटर कार्ड बनवाए गए थे. लिहाजा ये कहा जा सकता है कि नगर निगम का चुनाव परिणाम प्रदेश के रुझान को रिफ्लेक्ट करता है.

कांग्रेस के हाथ नगर निगम की सत्ता- कांग्रेस ने नगर निगम शिमला के 34 वार्ड में से कुल 24 पर जीत हासिल की, जबकि भाजपा को 9 वार्ड में ही जीत मिल पाई. वहीं माकपा को एक वार्ड में जीत मिली. इस तरह शिमला की जीत ने कांग्रेस को 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए संजीवनी दी है. बड़ी बात ये है कि कांग्रेस नगर निगम शिमला की सत्ता में एक दशक बाद वापिस लौटी है. इस जीत से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में और उत्साह आया है.

साल 2022 के अंत में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने 40 सीटें जीतकर हिमाचल की सत्ता पर वापसी की थी. बीजेपी महज 25 सीटों पर सिमट गई थी जबकि कांग्रेस ने 40 सीटों के भारी बहुमत के साथ सरकार बनाई. बड़े कांग्रेस नेताओं की हार के बाद सुखविंदर सुक्खू के सिर मुख्यमंत्री का ताज सजा था. विधानसभा चुनाव के ठीक 4 महीने बाद शिमला नगर निगम चुनाव कांग्रेस और सुखविंदर सुक्खू की सबसे बड़ी परीक्षा थी. जिसे कांग्रेस ने बंपर बहुमत के साथ पास किया है.

नगर निगम चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के बाद मेयर और डिप्टी मेयर पद भी कांग्रेस के हाथ में है. नतीजों के बाद नए मेयर और डिप्टी मेयर की चर्चा शुरू गई है. मेयर पद की दौड़ में सबसे आगे सुरेंद्र चौहान का नाम है. सीएम सुखविंदर सुक्खू के करीबी माने जाने वाले सुरेंद्र चौहान छोटा शिमला वार्ड से पार्षद चुने गए हैं. राजनीतिक विश्लेषक डॉ. एमपीएस राणा का कहना है कि प्रदेश और शिमला की जनता ने सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस पर भरोसा जताया है. निगम चुनाव के नतीजे बताते हैं कि जनता का भरोसा कांग्रेस सरकार में बरकरार है. ओपीएस की बहाली ही एक ऐसा मुद्दा था, जिसे लेकर अपने स्पष्ट दृष्टिकोण से सीएम ने कर्मचारी वर्ग का दिल जीता है. डॉ. राणा का कहना है कि अब कांग्रेस सरकार को रोजगार और कर्ज के मुद्दे पर कुछ सार्थक कर दिखाना होगा, तभी 2024 में लोकसभा की चारों सीटों पर जीत हासिल करने में सफलता मिलेगी.

सुखविंदर सुक्खू ने भी नगर निगम चुनाव में जीत के लिए शिमला की जनता का आभार जताया है. उन्होंने कहा कि शिमला की जनता ने कांग्रेस सरकार की नीतियों पर मुहर लगाई है और बीजेपी को एक बार फिर से नकार दिया है. वैसे नगर निगम की जीत के साथ ही सुखविंदर सुक्खू का कद भी बढ़ा है. इसके अलावा निर्णय लेने की क्षमता दिखाने पर भी सीएम सुखविंदर सिंह की छवि एक चतुर और कुशल नेता के रूप में निखरी है. कभी सुखविंदर सुक्खू नगर निगम शिमला के पार्षद थे और नगर निगम शिमला का इस बार चुनाव उनके चेहरे औऱ अगुवाई में कांग्रेस ने जीता है. विधानसभा चुनाव के 4 महीने बाद हुए नगर निगम चुनावों के नतीजों ने कांग्रेस को नया जोश दिया है. अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में भले कुछ वक्त बाकी है लेकिन इस प्रदर्शन को कांग्रेस दोहराना जरूर चाहेगी.

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