श्रीनगर : अलगाववाद की विचारधारा को बढ़ावा देने के आरोप में प्रदेश सरकार ने कानून के प्रोफेसर शेख शौकत हुसैन को कश्मीर लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल के पद से बर्खास्त कर दिया है. सूत्रों के अनुसार, कॉलेज प्रबंधन ने नए प्रिंसिपल की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है.
शेख शौकत पाकिस्तान समर्थित अलगाववादी संगठनों के कट्टर समर्थक माने जाते हैं. 2016 में डॉ शेख शौकत ने सैयद अली शाह गिलानी, अरुंधति रॉय, प्रो एसएआर गिलानी और अन्य लोगों के साथ एक सम्मेलन में भाग लिया, जिसमें कश्मीर की आजादी की वकालत की गई थी. तब डॉ शेख शौकत ने सम्मेलन में भारत विरोधी भाषण भी दिया था. श्रीनगर के बरज़ल्ला के रहने वाले डॉ. हुसैन एक प्रमुख लॉ एक्सपर्ट हैं, जिन्होंने कश्मीर के केंद्रीय विश्वविद्यालय में जाने से पहले कश्मीर के लॉ डिपार्टमेंट में विभिन्न पदों पर काम किया है. उन्होंने 1990 के दशक की शुरुआत में कई वर्षों तक मलेशिया की यूनिवर्सिटी में भी काम किया था.
एक स्थानीय अखबार के मुताबिक, प्रशासन ने शेख शौकत की कुंडली खंगालनी शुरू कर दी है. उनकी पिछली गतिविधियों के रेकॉर्ड का भी पता लगाया जा रहा है. बताया जाता है कि डॉ. शौकत अलगाववादी और आतंकवादी नेटवर्क के साथ गुप्त तौर से जुड़े थे. उन्होंने भारत के बारे में गलत नैरेटिव गढ़ने की कोशिश की. वह लगातार यह प्रचार करते रहे कि भारत का हिस्सा रहने तक जम्मू-कश्मीर का भला नहीं हो सकता है. वह कई बार आतंकवादियों की हिंसा को वैध ठहरा चुके हैं. वह अपने विचारों के जरिये आतंकवादियों के समर्थन में जनमत जुटाने की पूरी कोशिश भी की. यह सभी गतिविधियों को उन्होंने सरकारी पद पर रहने के दौरान अंजाम दिया.
सूत्रों ने बताया कि अब तक उन्होंने सैलरी के तौर पर लगभग 5.1 करोड़ रुपये और अतिरिक्त भत्ते के रूप में 3.3 करोड़ रुपये हासिल किए हैं. उन्हें प्रतिमाह एक लाख रुपये से अधिक की पेंशन भी मिल रही है. अब बर्खास्तगी के बाद सरकार संबंधित कानूनों के प्रासंगिक प्रावधानों के अनुसार उनकी पेशन जब्त करने की तैयारी कर रही है. प्रशासन का दावा है कि डॉ. शौकत के खिलाफ अलगाववादी और आतंकवादी नेटवर्क के लिए काम करने के संबंध में विश्वसनीय सबूत मौजूद है.
संबंधिक अथॉरिटी बड़े एजुकेशनल इंस्टिट्यूट में काम करने वाले ऐसे लोगों की ऑडिटिंग कर रही है, जिन्होंने अपनी गतिविधियों से शिक्षा संस्थानों और उनके सामान्य कामकाज को नुकसान पहुंचाया है.
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