नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश और कुछ अन्य भाजपा शासित राज्यों में जनसंख्या नियंत्रण संबंधी कदम उठाए जाने की पृष्ठभूमि में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने शनिवार को आरोप लगाया कि इस मुद्दे को उठाने के पीछे की भाजपा की मंशा राजनीतिक है और इसका मकसद एक समुदाय विशेष को निशाना बनाना है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि, जनसंख्या को लेकर बहस पूरी तरह अनुपयुक्त है और ज्यादातर भारतीय राज्यों ने प्रजनन की प्रतिस्थापन दर को हासिल कर लिया है. लोकसभा सदस्य थरूर ने कहा कि अगले 20 वर्षों में भारत के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती यह होगी कि उसे बड़े स्तर पर बुजुर्ग आबादी होने की स्थिति का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा.
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा एक समुदाय विशेष को निशाना बनाने के लिए सुनियोजित मकसद से इस मुद्दे को उठा रही है. थरूर के मुताबिक, यह कोई इत्तेफाक नहीं है कि उत्तर प्रदेश, असम और लक्षद्वीप में आबादी कम करने की बात हो रही है, जहां हर कोई जानता है कि उनका इरादा किस ओर है. उत्तर प्रदेश और असम में जनसंख्या नियंत्रण पर जोर दिए जाने से जुड़े सवाल पर थरूर ने कहा, हमारी राजनीतिक व्यवस्था में हिंदुत्व से जुड़े तत्वों ने आबादी के मुद्दे पर अध्ययन नहीं किया है. उनका मकसद विशुद्ध रूप से राजनीतिक और सांप्रदायिक है.
थरूर ने यह टिप्पणी उस वक्त कि है जब हाल ही में उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण विधेयक का एक मसौदा सामने रखा गया है, जिसमें प्रावधान है कि जिनके दो बच्चों से अधिक होंगे उन्हें सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित किया जाएगा और दो बच्चों की नीति का अनुसरण करने वालों को लाभ दिया जाएगा. भाजपा के कुछ सांसद मॉनसून सत्र में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर गैर सरकारी विधेयक पेश करने की तैयारी में हैं.
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थरूर ने मॉनसून सत्र में कांग्रेस और विपक्ष की ओर से उठाए जाने वाले मुद्दों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि यह सरकार इतनी ज्यादा विफल रही है कि हमारे पास जनहित में उठाने के लिए कई मुद्दे हैं.
उन्होंने कहा, कोविड के त्रासदीपूर्ण कुंप्रबंधन, विशेषकर खामियों से भरी टीकाकरण नीति, किसान आंदोलन को हल करने में विफलता, अर्थव्यवस्था में गिरावट, जीडीपी विकास दर में गिरावट कई ऐसे मुद्दे हैं.
थरूर ने पेट्रोल-डीजल और अन्य खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी का उल्लेख किया और कहा कि बेरोजगारी और राफेल मामले की फ्रांस में जांच तथा भारत-चीन सीमा पर स्थिति और अफगानिस्तान में हालात जैसे मुद्दे भी हैं. उन्होंने कहा कि संसद चर्चा के लिए है और अगर चर्चा की अनुमति दी जाती है, तो व्यवधान पैदा करना अनावश्यक होगा.
(पीटीआई-भाषा)