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कोरोना महामारी के दौरान इलाज न मिलने से भारत समेत दक्षिण एशिया में 2.39 लाख मौतें

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Published : Mar 18, 2021, 4:34 PM IST

कोरोना महामारी के दौरान बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रभावित हुईं. बेहतर इलाज न मिलने से भारत समेत दक्षिण एशिया के छह देशों में करीब 2 लाख 39 हजार माताओं और बच्चों की मौत हुई है. जानिए क्या है संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में.

कोरोना महामारी
कोरोना महामारी

हैदराबाद : कोरोना महामारी के कारण स्वास्थ्य सुविधाएं प्रभावित होने से दक्षिण एशिया में 2 लाख 39 हजार माताओं और बच्चों की मौत हुई.

दक्षिण एशिया के छह बड़े देशों में 5 साल से कम उम्र के 2 लाख 28 हजार बच्चों की मौत हुई है. ये चौंकाने वाले आंकड़े संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में सामने आए हैं.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ), विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण कुपोषण के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है.

इसके साथ ही बच्चों का टीकाकरण भी प्रभावित हुआ है. क्षेत्र में बेरोजगारी, गरीबी और खाद्य असुरक्षा के कारण महामारी का स्तर बढ़ गया है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य और भी कमजोर हो गया है.

लाखों बच्चों की छूट गई पढ़ाई

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में सामने आया है कि कोरोना महामारी के दौरान भारत, नेपाल, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका में करीब 42 करोड़ बच्चों का स्कूल छूट गया.

रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि करीब 45 लाख लड़कियां अब स्कूल नहीं लौटेंगी. साथ ही अंदेशा जताया गया है कि ये लड़कियां स्वास्थ्य और सूचना सेवाओं की बिगड़ती पहुंच के कारण यौन उत्पीड़न का शिकार हो सकती हैं. इनके अनचाहे गर्भधारण की भी संभावना है.

कोरोना महामारी का एक प्रभाव बाल विवाह के रूप में भी सामने आ सकता है. खराब पोषण और स्वास्थ्य के कारण बच्चों के विकास पर भी असर पड़ सकता है.

मलेरिया, टीबी, एचआईवी / एड्स और टाइफाइड से 6,000 अतिरिक्त मौतें पूरे दक्षिण एशिया में हुई हैं. दक्षिण एशिया में मातृ मृत्यु की दर में करीब 16 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है, जबकि अनचाहे गर्भधारण के करीब 35 लाख मामले सामने आए हैं.

आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता दें

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों ने गर्भवती महिलाओं, किशोरों और शिशुओं के लिए आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता देने पर जोर दिया है.

टीकों और आवश्यक दवाओं की आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने का आह्वान किया. रिपोर्ट में सभी के लिए निर्बाध और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं को सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है.

पढ़ें- कोरोना महामारी के कारण एक करोड़ लड़कियों पर बाल विवाह का खतरा : यूनेस्को

गरीब आबादी की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने के साथ कोरोना के रोकथाम के लिए व्यापक कदम उठाने के लिए भी कहा गया है. संयुक्त राष्ट्र ने गरीब परिवारों की मदद के लिए नकद सहायता देने पर भी जोर दिया है.

हैदराबाद : कोरोना महामारी के कारण स्वास्थ्य सुविधाएं प्रभावित होने से दक्षिण एशिया में 2 लाख 39 हजार माताओं और बच्चों की मौत हुई.

दक्षिण एशिया के छह बड़े देशों में 5 साल से कम उम्र के 2 लाख 28 हजार बच्चों की मौत हुई है. ये चौंकाने वाले आंकड़े संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में सामने आए हैं.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ), विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण कुपोषण के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है.

इसके साथ ही बच्चों का टीकाकरण भी प्रभावित हुआ है. क्षेत्र में बेरोजगारी, गरीबी और खाद्य असुरक्षा के कारण महामारी का स्तर बढ़ गया है, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य और भी कमजोर हो गया है.

लाखों बच्चों की छूट गई पढ़ाई

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में सामने आया है कि कोरोना महामारी के दौरान भारत, नेपाल, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका में करीब 42 करोड़ बच्चों का स्कूल छूट गया.

रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि करीब 45 लाख लड़कियां अब स्कूल नहीं लौटेंगी. साथ ही अंदेशा जताया गया है कि ये लड़कियां स्वास्थ्य और सूचना सेवाओं की बिगड़ती पहुंच के कारण यौन उत्पीड़न का शिकार हो सकती हैं. इनके अनचाहे गर्भधारण की भी संभावना है.

कोरोना महामारी का एक प्रभाव बाल विवाह के रूप में भी सामने आ सकता है. खराब पोषण और स्वास्थ्य के कारण बच्चों के विकास पर भी असर पड़ सकता है.

मलेरिया, टीबी, एचआईवी / एड्स और टाइफाइड से 6,000 अतिरिक्त मौतें पूरे दक्षिण एशिया में हुई हैं. दक्षिण एशिया में मातृ मृत्यु की दर में करीब 16 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है, जबकि अनचाहे गर्भधारण के करीब 35 लाख मामले सामने आए हैं.

आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता दें

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों ने गर्भवती महिलाओं, किशोरों और शिशुओं के लिए आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता देने पर जोर दिया है.

टीकों और आवश्यक दवाओं की आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने का आह्वान किया. रिपोर्ट में सभी के लिए निर्बाध और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं को सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है.

पढ़ें- कोरोना महामारी के कारण एक करोड़ लड़कियों पर बाल विवाह का खतरा : यूनेस्को

गरीब आबादी की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने के साथ कोरोना के रोकथाम के लिए व्यापक कदम उठाने के लिए भी कहा गया है. संयुक्त राष्ट्र ने गरीब परिवारों की मदद के लिए नकद सहायता देने पर भी जोर दिया है.

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