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Shardiya Navratri 2021 : जानिए पहले दिन कैसे करें मां शैलपुत्री की पूजा

शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ सात अक्टूबर दिन गुरुवार को आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से हो रहा है. इस दिन ही कलश स्थापना या घट स्थापना होगा और मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी. जिन लोगों को नौ दिन व्रत रखना होगा, वे कलश स्थापना के साथ नवरात्रि व्रत एवं मां दुर्गा की पूजा का संकल्प लेंगे और व्रत शुरू करेंगे.

Shardiya Navratri 2021
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Published : Oct 6, 2021, 4:03 AM IST

Updated : Oct 7, 2021, 6:15 AM IST

नई दिल्ली : मां दुर्गा की उपासना के नौ दिनों में माता के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है. मां शैलपुत्री को पर्वतराज हिमालय की पुत्री माना जाता है. मान्यता है कि मां शैलपुत्री की जो भी श्रद्धालु पूरी श्रद्धा, आस्था और सच्चे मन से पूजा करता है, मां शैलपुत्री उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं और उन्हें मनवांछित फल देती हैं.

मां शैलपुत्री को गाय के दूध से बनी चीज का भोग लगाएं

7 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि का प्रथम नवरात्रा है, ऐसे में मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना कैसे करें? क्या कुछ विधि विधान है, कौन सा फल और भोग माता को अर्पित करें? इसको लेकर ईटीवी भारत ने दिल्ली के प्राचीनतम मंदिरों में से एक झंडेवालान मंदिर के पुजारी अंबिका प्रसाद से बात की, जिन्होंने बताया कि मां शैलपुत्री की पूजा के लिए गाय के दूध से बने पदार्थों का भोग लगाएं और मां शैलपुत्री को फलों में अनार सबसे प्रिय है, इसीलिए भक्त मां शैलपुत्री को पहले दिन यह फल अर्पित कर सकते हैं.

जानिए पहले दिन कैसे करें मां शैलपुत्री की पूजा

सबसे पहले विघ्नहर्ता की करें पूजा

पुजारी अंबिका प्रसाद ने बताया कि शारदीय नवरात्रि का पहला दिन यानी कि इस दिन से नवरात्र की शुरुआत हो रही है और पहले दिन ही कलश स्थापना की जाती है, जिसका शुभ मुहूर्त सुबह करीब 7:30 बजे से शुरू होकर 12:00 बजे तक है यानी कि 12:00 बजे से पहले तक कलश स्थापना की जा सकती है, पहले दिन वेदी बनेगी, पंचांग पूजन होगा और फिर देवी का आवाहन किया जाता है, सबसे पहले भगवान गणेश को बुलाते हैं, सबसे पहले विघ्नहर्ता की पूजा होती है फिर पंचनाम देवताओं की पूजा के बाद मां दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है.

नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की होती है पूजा.
नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की होती है पूजा.

जानिए जौ उगाने के पीछे क्या है मान्यता

पुजारी अंबिका प्रसाद ने बताया कि पहले दिन चौकी लगा रहे हैं, तो उस पर लाल कपड़ा बिछाएं और यदि आप मां दुर्गा की मिट्टी की प्रतिमा घर लेकर आ रहे हैं, तो खास सावधानी बरतें. इस बात का ध्यान रखें कि मिट्टी की प्रतिमा पर पानी ना पड़े, जिससे की प्रतिमा खंडित ना हो पाए. साथ ही उन्होंने बताया कि शक्ति पूजा में जौं का भी खास महत्व होता है, जौ एक समृद्धि दायक अनाज है, जिसे दूध का स्वरूप भी माना गया है, जैसे दूध पीने से मनुष्य की वृद्धि होती है, ठीक उसी प्रकार जौ भी समृद्धि दायक अनाज माना जाता है.

सात अक्टूबर से शुरू हो रहा शारदीय नवरात्रि.
सात अक्टूबर से शुरू हो रहा शारदीय नवरात्रि.

नवरात्रों में जौ लगाना शुभ होता है और जौ एक ऐसा नाज है जो अन्य बीज के मुकाबले जल्दी बढ़ता और पनपता है, कई बार लोगों के जौ नहीं बढ़ने से निराश होकर सोचते हैं कि मां ने आशीर्वाद नहीं दिया, लेकिन यह भी एक भ्रम होता है. कई बार सही से जौ नहीं उगाते या फिर ज्यादा पानी के चलते जौ नहीं पनप पाते, इसीलिए इस बात का भी खास ध्यान रखें.

नवरात्रि के व्रत में विशेष ध्यान दें

नवरात्रि में नौ दिन भी व्रत रख सकते हैं और दो दिन भी. जो लोग नौ दिन व्रत रखेंगे वो लोग दशमी को पारायण करेंगे और जो लोग प्रतिपदा और अष्टमी को व्रत रखेंगे वो लोग नवमी को पारायण करेंगे. व्रत के दौरान जल और फल का सेवन करें. ज्यादा तला भुना और गरिष्ठ आहार ग्रहण न करें. अगर आप भी नवरात्रि के व्रत रखने के इच्‍छुक हैं, तो व्रत रखन के लिए इन नियमों का पालन करना चाहिए.

  • नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना कर नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्‍प लें.
  • पूरी श्रद्धा भक्ति से मां की पूजा करें.
  • दिन के समय आप फल और दूध ले सकते हैं.
  • शाम के समय मां की आरती उतारें.
  • सभी में प्रसाद बांटें और फिर खुद भी ग्रहण करें.
  • फिर भोजन ग्रहण करें.
  • हो सके तो इस दौरान अन्‍न न खाएं, सिर्फ फलाहार ग्रहण करें.
  • अष्टमी या नवमी के दिन नौ कन्याओं को भोजन कराएं. उन्हें उपहार और दक्षिणा दें.
  • अगर संभव हो तो हवन के साथ नवमी के दिन व्रत का पारण करें.

माता दुर्गा के नौ स्वरूप

  1. नवरात्र पहला दिन : मां शैलपुत्री
  2. दूसरा दिन : मां ब्रह्मचारिणी
  3. तीसरा दिन : मां चंद्रघंटा
  4. चौथा दिन : मां कुष्मांडा
  5. पांचवा दिन : मां स्कंदमाता
  6. छठा दिन : मां कात्यायनी
  7. सातवां दिन : मां कालरात्रि
  8. आठवां दिन : मां महागौरी
  9. नवा यानी अंतिम दिन : मां सिद्धिदात्री

पढ़ेंः Shardiya navratri 2021 : 7 अक्टूबर को सुबह इस मुहूर्त में करें कलश स्थापना

पढ़ेंः नवरात्रि का पहला दिन: देवी दुर्गा के पहले स्वरुप शैलपुत्री का कैसे हुआ नामकरण

नई दिल्ली : मां दुर्गा की उपासना के नौ दिनों में माता के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है. मां शैलपुत्री को पर्वतराज हिमालय की पुत्री माना जाता है. मान्यता है कि मां शैलपुत्री की जो भी श्रद्धालु पूरी श्रद्धा, आस्था और सच्चे मन से पूजा करता है, मां शैलपुत्री उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं और उन्हें मनवांछित फल देती हैं.

मां शैलपुत्री को गाय के दूध से बनी चीज का भोग लगाएं

7 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि का प्रथम नवरात्रा है, ऐसे में मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना कैसे करें? क्या कुछ विधि विधान है, कौन सा फल और भोग माता को अर्पित करें? इसको लेकर ईटीवी भारत ने दिल्ली के प्राचीनतम मंदिरों में से एक झंडेवालान मंदिर के पुजारी अंबिका प्रसाद से बात की, जिन्होंने बताया कि मां शैलपुत्री की पूजा के लिए गाय के दूध से बने पदार्थों का भोग लगाएं और मां शैलपुत्री को फलों में अनार सबसे प्रिय है, इसीलिए भक्त मां शैलपुत्री को पहले दिन यह फल अर्पित कर सकते हैं.

जानिए पहले दिन कैसे करें मां शैलपुत्री की पूजा

सबसे पहले विघ्नहर्ता की करें पूजा

पुजारी अंबिका प्रसाद ने बताया कि शारदीय नवरात्रि का पहला दिन यानी कि इस दिन से नवरात्र की शुरुआत हो रही है और पहले दिन ही कलश स्थापना की जाती है, जिसका शुभ मुहूर्त सुबह करीब 7:30 बजे से शुरू होकर 12:00 बजे तक है यानी कि 12:00 बजे से पहले तक कलश स्थापना की जा सकती है, पहले दिन वेदी बनेगी, पंचांग पूजन होगा और फिर देवी का आवाहन किया जाता है, सबसे पहले भगवान गणेश को बुलाते हैं, सबसे पहले विघ्नहर्ता की पूजा होती है फिर पंचनाम देवताओं की पूजा के बाद मां दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है.

नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की होती है पूजा.
नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की होती है पूजा.

जानिए जौ उगाने के पीछे क्या है मान्यता

पुजारी अंबिका प्रसाद ने बताया कि पहले दिन चौकी लगा रहे हैं, तो उस पर लाल कपड़ा बिछाएं और यदि आप मां दुर्गा की मिट्टी की प्रतिमा घर लेकर आ रहे हैं, तो खास सावधानी बरतें. इस बात का ध्यान रखें कि मिट्टी की प्रतिमा पर पानी ना पड़े, जिससे की प्रतिमा खंडित ना हो पाए. साथ ही उन्होंने बताया कि शक्ति पूजा में जौं का भी खास महत्व होता है, जौ एक समृद्धि दायक अनाज है, जिसे दूध का स्वरूप भी माना गया है, जैसे दूध पीने से मनुष्य की वृद्धि होती है, ठीक उसी प्रकार जौ भी समृद्धि दायक अनाज माना जाता है.

सात अक्टूबर से शुरू हो रहा शारदीय नवरात्रि.
सात अक्टूबर से शुरू हो रहा शारदीय नवरात्रि.

नवरात्रों में जौ लगाना शुभ होता है और जौ एक ऐसा नाज है जो अन्य बीज के मुकाबले जल्दी बढ़ता और पनपता है, कई बार लोगों के जौ नहीं बढ़ने से निराश होकर सोचते हैं कि मां ने आशीर्वाद नहीं दिया, लेकिन यह भी एक भ्रम होता है. कई बार सही से जौ नहीं उगाते या फिर ज्यादा पानी के चलते जौ नहीं पनप पाते, इसीलिए इस बात का भी खास ध्यान रखें.

नवरात्रि के व्रत में विशेष ध्यान दें

नवरात्रि में नौ दिन भी व्रत रख सकते हैं और दो दिन भी. जो लोग नौ दिन व्रत रखेंगे वो लोग दशमी को पारायण करेंगे और जो लोग प्रतिपदा और अष्टमी को व्रत रखेंगे वो लोग नवमी को पारायण करेंगे. व्रत के दौरान जल और फल का सेवन करें. ज्यादा तला भुना और गरिष्ठ आहार ग्रहण न करें. अगर आप भी नवरात्रि के व्रत रखने के इच्‍छुक हैं, तो व्रत रखन के लिए इन नियमों का पालन करना चाहिए.

  • नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना कर नौ दिनों तक व्रत रखने का संकल्‍प लें.
  • पूरी श्रद्धा भक्ति से मां की पूजा करें.
  • दिन के समय आप फल और दूध ले सकते हैं.
  • शाम के समय मां की आरती उतारें.
  • सभी में प्रसाद बांटें और फिर खुद भी ग्रहण करें.
  • फिर भोजन ग्रहण करें.
  • हो सके तो इस दौरान अन्‍न न खाएं, सिर्फ फलाहार ग्रहण करें.
  • अष्टमी या नवमी के दिन नौ कन्याओं को भोजन कराएं. उन्हें उपहार और दक्षिणा दें.
  • अगर संभव हो तो हवन के साथ नवमी के दिन व्रत का पारण करें.

माता दुर्गा के नौ स्वरूप

  1. नवरात्र पहला दिन : मां शैलपुत्री
  2. दूसरा दिन : मां ब्रह्मचारिणी
  3. तीसरा दिन : मां चंद्रघंटा
  4. चौथा दिन : मां कुष्मांडा
  5. पांचवा दिन : मां स्कंदमाता
  6. छठा दिन : मां कात्यायनी
  7. सातवां दिन : मां कालरात्रि
  8. आठवां दिन : मां महागौरी
  9. नवा यानी अंतिम दिन : मां सिद्धिदात्री

पढ़ेंः Shardiya navratri 2021 : 7 अक्टूबर को सुबह इस मुहूर्त में करें कलश स्थापना

पढ़ेंः नवरात्रि का पहला दिन: देवी दुर्गा के पहले स्वरुप शैलपुत्री का कैसे हुआ नामकरण

Last Updated : Oct 7, 2021, 6:15 AM IST
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