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मौत की सजा पाने वाली शबनम ने राष्ट्रपति को फिर भेजी दया याचिका

प्रेमी की खातिर परिवार के 7 लोगों की हत्या करने वाली शबनम को फांसी देने की तैयारी चल रही है. इसी बीच रविवार को उसका बेटा ताज अपनी मां से मिलने रामपुर जेल आया. वहीं शबनम ने उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के पास एक नई दया याचिका भेजी है. बेटे ने भी हाल ही में सोशल मीडिया पर देश के राष्ट्रपति से दया याचिका पर विचार करने की अपील की थी.

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Published : Feb 21, 2021, 4:05 PM IST

लखनऊ : साल 2008 के अप्रैल में अपने परिवार के सात सदस्यों की हत्या के लिए मौत की सजा पाने वाली शबनम ने उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के पास एक नई दया याचिका भेजी है. महानिदेशक (जेल विभाग और सुधार सेवाएं) आनंद कुमार के अनुसार, शबनम पहले भी उत्तर प्रदेश की राज्यपाल से माफी मांग चुकी है, लेकिन पटेल ने उसकी याचिका खारिज कर दी थी. रविवार को उसका बेटा ताज अपनी मां से मिलने रामपुर जेल आया. ताज के साथ गोद लेने वाले मां बाप भी थे.

रामपुर के जेल अधीक्षक ने कहा, '25 मई, 2015 को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दी गई मौत की सजा के संबंध में शबनम ने अपने वकील के माध्यम से उत्तर प्रदेश की राज्यपाल को भेजी गई दया याचिका की एक प्रति को हमारे कार्यालय में उपलब्ध कराया था.'

सूत्रों ने कहा कि दो वकीलों ने शुक्रवार को रामपुर जेल में शबनम से मुलाकात कर उसे उत्तर प्रदेश के राज्यपाल को एक दया याचिका भेजने के लिए राजी कराया.

'शबनम के पास कई संवैधानिक उपाय'

राष्ट्रपति और राज्यपाल को भेजी गई दूसरी याचिका के बारे में पुष्टि करते हुए शबनम की वकील श्रेया रस्तोगी ने एक प्रेस रिलीज में दावा किया कि शबनम के पास बाकी बचे समाधानों के बारे में समाचार रिपोर्टों में सही जानकारी दी जानी चाहिए, जिसकी वैधानिक स्थिति भी सही हो.

उन्होंने इस प्रेस रिलीज में कहा, 'शबनम के पास कई संवैधानिक उपाय हैं, जिन्हें अपनाया जाना अभी बाकी है. इनमें विभिन्न आधारों पर इलाहाबाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उसकी दया याचिका की अस्वीकृति को चुनौती देने के अधिकार शामिल है. उनके पास सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर करने का भी अधिकार है.'

शबनम के 12 साल के बेटे ने अभी हाल ही में सोशल मीडिया पर देश के राष्ट्रपति से अपील की थी, उनकी मां की दया याचिका पर एक बार फिर से विचार किया जाए और इसी के मद्देनजर मसले पर आगे का विकास जारी है.

शबनम को फांसी की सजा
राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने के बाद अब कभी भी शबनम को फांसी हो सकती है. शबनम इस वक्त रामपुर के जिला कारागार में बंद है और डेथ वारंट मिलते ही कभी भी वह मथुरा के लिए रवाना हो सकती है. यह रामपुर जिला जेल की महिला बैरक नंबर 14 में है. इसका व्यवहार सामान्य है और कोऑपरेटिव है. महिला बंदियों के साथ में जेल प्रशासन के साथ में हंसना बोलना बात करना उसमें कोई भी असामान्य गतिविधि नहीं है.

पढ़ेंः बिहार : बच्ची से दुष्कर्म व हत्यारोपी को फांसी की सजा, 25 दिन में पूरी हुई सुनवाई

2008 से चल रही इस लंबी कानूनी लड़ाई के बीच शबनम ने अपने उस प्रेमी सलीम से शादी भी कर ली थी और उसका एक बेटा ताज भी पैदा हुआ था. दोनों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद शबनम की एक मित्र ने उसके बेटे ताज को गोद ले लिया था. गोद लेने वाले मां-बाप रविवार को ताज को लेकर उसकी मां शबनम से मिलवाने रामपुर जेल पहुंचे.

लखनऊ : साल 2008 के अप्रैल में अपने परिवार के सात सदस्यों की हत्या के लिए मौत की सजा पाने वाली शबनम ने उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और भारत के राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के पास एक नई दया याचिका भेजी है. महानिदेशक (जेल विभाग और सुधार सेवाएं) आनंद कुमार के अनुसार, शबनम पहले भी उत्तर प्रदेश की राज्यपाल से माफी मांग चुकी है, लेकिन पटेल ने उसकी याचिका खारिज कर दी थी. रविवार को उसका बेटा ताज अपनी मां से मिलने रामपुर जेल आया. ताज के साथ गोद लेने वाले मां बाप भी थे.

रामपुर के जेल अधीक्षक ने कहा, '25 मई, 2015 को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दी गई मौत की सजा के संबंध में शबनम ने अपने वकील के माध्यम से उत्तर प्रदेश की राज्यपाल को भेजी गई दया याचिका की एक प्रति को हमारे कार्यालय में उपलब्ध कराया था.'

सूत्रों ने कहा कि दो वकीलों ने शुक्रवार को रामपुर जेल में शबनम से मुलाकात कर उसे उत्तर प्रदेश के राज्यपाल को एक दया याचिका भेजने के लिए राजी कराया.

'शबनम के पास कई संवैधानिक उपाय'

राष्ट्रपति और राज्यपाल को भेजी गई दूसरी याचिका के बारे में पुष्टि करते हुए शबनम की वकील श्रेया रस्तोगी ने एक प्रेस रिलीज में दावा किया कि शबनम के पास बाकी बचे समाधानों के बारे में समाचार रिपोर्टों में सही जानकारी दी जानी चाहिए, जिसकी वैधानिक स्थिति भी सही हो.

उन्होंने इस प्रेस रिलीज में कहा, 'शबनम के पास कई संवैधानिक उपाय हैं, जिन्हें अपनाया जाना अभी बाकी है. इनमें विभिन्न आधारों पर इलाहाबाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष उसकी दया याचिका की अस्वीकृति को चुनौती देने के अधिकार शामिल है. उनके पास सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर करने का भी अधिकार है.'

शबनम के 12 साल के बेटे ने अभी हाल ही में सोशल मीडिया पर देश के राष्ट्रपति से अपील की थी, उनकी मां की दया याचिका पर एक बार फिर से विचार किया जाए और इसी के मद्देनजर मसले पर आगे का विकास जारी है.

शबनम को फांसी की सजा
राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज किए जाने के बाद अब कभी भी शबनम को फांसी हो सकती है. शबनम इस वक्त रामपुर के जिला कारागार में बंद है और डेथ वारंट मिलते ही कभी भी वह मथुरा के लिए रवाना हो सकती है. यह रामपुर जिला जेल की महिला बैरक नंबर 14 में है. इसका व्यवहार सामान्य है और कोऑपरेटिव है. महिला बंदियों के साथ में जेल प्रशासन के साथ में हंसना बोलना बात करना उसमें कोई भी असामान्य गतिविधि नहीं है.

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2008 से चल रही इस लंबी कानूनी लड़ाई के बीच शबनम ने अपने उस प्रेमी सलीम से शादी भी कर ली थी और उसका एक बेटा ताज भी पैदा हुआ था. दोनों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद शबनम की एक मित्र ने उसके बेटे ताज को गोद ले लिया था. गोद लेने वाले मां-बाप रविवार को ताज को लेकर उसकी मां शबनम से मिलवाने रामपुर जेल पहुंचे.

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