नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने मंगलवार को कहा कि चीन का अरुणाचल प्रदेश पर कोई दावा नहीं है. उन्होंने कहा कि चीनी मानचित्र बेतुके हैं, क्योंकि वे चीन-भारत सीमा विवाद के इतिहास के साथ मेल नहीं खाते हैं. उनकी प्रतिक्रिया चीन द्वारा आधिकारिक तौर पर अपने मानक मानचित्र 2023 जारी करने के कुछ घंटों बाद आई. इसमें अरुणाचल प्रदेश राज्य और अक्साई चिन क्षेत्र को उसके क्षेत्र के हिस्से के रूप में दिखाया गया है.
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#WATCH | On China releasing new official map, laying territorial claim on the entire Arunachal Pradesh and Aksai Chin, Congress MP Manish Tewari says, "The absurdity & preposterousness of the Chinese claim is evidenced by the history of the Sino-Indian border dispute...Today, the… pic.twitter.com/YO1E4rjqTR
— ANI (@ANI) August 29, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने कहा, 'प्रधानमंत्री को इस पर गौर करना चाहिए. वह हाल ही में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में गए थे और चीनी प्रधानमंत्री से मुलाकात की. अब यह नक्शा सामने आ गया है तो यह सवाल उनसे पूछा जाना चाहिए. इससे हमारा दिल टूट जाता है. राहुल गांधी ने जो कहा वह सच है कि चीन ने लद्दाख में अतिक्रमण किया है. चीन अरुणाचल प्रदेश में घुसने की कोशिश कर रहा है.'
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, 'चीनी दावे की बेतुकी बात चीन-भारत सीमा विवाद के इतिहास से प्रमाणित होती है. आज भारत और चीन के बीच असली मुद्दा यह है कि चीनियों ने सीमा का उल्लंघन किया है.' कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि ऐसी परिस्थितियों में सरकार को गंभीरता से आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि क्या आगामी जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए दिल्ली में राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मेजबानी करना भारत के स्वाभिमान के अनुरूप होगा. चीन ने एलएसी के साथ 2000 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर अवैध कब्जा कर रखा है, जिसे खाली करने की जरूरत है.
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#WATCH | On China releasing a new 'official map', laying territorial claim on the entire Arunachal Pradesh and Aksai Chin, Shiv Sena (UBT) MP Sanjay Raut says, "...PM should look into this. He went to the BRICS Summit recently and met the Chinese Premier. Now this map has come… pic.twitter.com/6JihlFE1cK
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28 अगस्त को जारी मानचित्र में अरुणाचल प्रदेश को दिखाया गया है, जिस पर चीन दक्षिण तिब्बत और अक्साई चिन होने का दावा करता है. जिसे 1962 के युद्ध में उसने कब्जा कर लिया था. नए नक्शे में ताइवान और विवादित दक्षिण चीन सागर को भी चीनी क्षेत्र में शामिल किया गया है. चाइना डेली अखबार के अनुसार, यह मानचित्र चीन के प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय द्वारा सोमवार को झेजियांग प्रांत के डेकिंग काउंटी में सर्वेक्षण और मानचित्रण प्रचार दिवस और राष्ट्रीय मानचित्रण जागरूकता प्रचार सप्ताह के उत्सव के दौरान जारी किया गया था.
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग ने दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात की. विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने कहा था कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अपनी बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अनसुलझे मुद्दों पर भारत की चिंताओं को उजागर किया था.
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इस साल की शुरुआत में बीजिंग ने एकतरफा रूप से 11 भारतीय स्थानों का नाम बदला था, जिसमें पर्वत चोटियों, नदियों और आवासीय क्षेत्रों के नाम शामिल थे. इस कदम की विदेश मंत्रालय (एमईए) ने आलोचना की थी. प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था, 'यह पहली बार नहीं है कि चीन ने इस तरह का कुछ प्रयास किया है (अरुणाचल प्रदेश में क्षेत्रों के नाम बदलना) और हम पहले ही ऐसे किसी भी प्रयास की निंदा कर चुके हैं. अरुणाचल प्रदेश के संबंध में हमने यह भी कहा था कि अरुणाचल प्रदेश भारत का एक अविभाज्य हिस्सा) और इस तरह के आविष्कृत नामों को थोपने से वास्तविकता बिल्कुल नहीं बदलेगी.'
(एएनआई)