चेन्नई : तमिलनाडु के नमक्कल जिले में रहने वाली स्नेहा सात माह की गर्भवती है और इस अवस्था में वह पारंपरिक मार्शल आर्ट सिलंबम करती हैं. स्नेहा के पति नवीन बच्चों के सिलंबम सीखते हैं जिसे देख उनकी पत्नी ने इस कला को सीखना शुरू कर दिया.
स्नेहा की जिज्ञासा को देख नवीन ने उन्हें सिलंबम में रिकॉर्ड बनाने के लिए प्रेरित किया. स्नेहा की लगन और मेहनत ने उसे एक नए मुकाम तक पहुंचा दिया और उनका नाम कलाम बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हो गया. उन्होंने लगातार एक घंटे तक इस कला का प्रदर्शन कर अपना नाम दर्ज करवाया.
स्नेहा का कहना है कि हर महिला को आत्मरक्षा के लिए इस कला को सीखना चाहिए. उन्होंने कहा कि गर्भावस्था में प्रैक्टिस करते समय थकान होती है. घरवाले भी चिंता करते हैं लेकिन समर्थन देते हैं और आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित भी करते हैं.
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सिलंबम को केंद्र की मान्यता
अब प्राचीन तमिलों द्वारा बनाई गई भारतीय मार्शल आर्ट सिलंबम को केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्रालय के 'खेलो इंडिया' कार्यक्रम के तहत देखा जाने लगा है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने भारतीय खेल विकास प्राधिकरण से सिलंबम को आदिवासी खेलों की सूची में शामिल करने का अनुरोध किया है और इसके विकास के लिए कदम उठाए हैं.युवा कल्याण एवं खेल विकास विभाग के अनुसार 1.60 करोड़ रुपये की लागत से सिलंबम प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने के कार्य में भी तेजी लाई जा रही है.