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जम्मू और कश्मीर में 4जी मोबाइल इंटरनेट की बहाली की मांग - 4जी मोबाइल इंटरनेट

एसोसिएशन ने यह भी दावा किया कि छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अपने परिवारों को छोड़ने और जम्मू-कश्मीर से बाहर रहने के लिए मजबूर किया गया है. ऐसे विशेषाधिकार के बिना देश के बाकी हिस्सों के छात्रों के साथ असमान क्षेत्र पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए छोड़ दिया जाता है

4G mobile internet in Jammu and Kashmir
प्राइवेट स्कूल्स ऑफ एसोसिएशन ने की मांग
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Published : Jan 23, 2021, 10:02 AM IST

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर में 4जी मोबाइल इंटरनेट की बहाली की मांग करते हुए प्राइवेट स्कूल्स ऑफ एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट जाने का दावा किया है.

एसोसिएशन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि हाई-स्पीड इंटरनेट पर प्रतिबंध ने पूरे जम्मू-कश्मीर के लाखों छात्रों की शिक्षा की गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित किया है. इसमें आगे कहा गया कि पहले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और फिर कोविड-19 के चलते स्कूल बंद चल रहे हैं. जिस वजह से 5 अगस्त से सभी छात्रों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है.

प्राइवेट स्कूल्स ऑफ एसोसिएशन ने कहा कि जम्मू और कश्मीर के बच्चे पहले ही दो शैक्षणिक सत्र से पिछड़ चुके हैं क्योंकि 2जी मोबाइल इंटरनेट से ज़ूम और वेबएक्स जैसे वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करना असंभव है.

पढ़ें: राम जन्मभूमि परिसर को विकसित करने की ये है योजना

एसोसिएशन ने यह भी दावा किया कि छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अपने परिवारों को छोड़ने और जम्मू-कश्मीर से बाहर रहने के लिए मजबूर किया गया है. ऐसे विशेषाधिकार के बिना देश के बाकी हिस्सों के छात्रों के साथ असमान क्षेत्र पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए छोड़ दिया जाता है.

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर में 4जी मोबाइल इंटरनेट की बहाली की मांग करते हुए प्राइवेट स्कूल्स ऑफ एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट जाने का दावा किया है.

एसोसिएशन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि हाई-स्पीड इंटरनेट पर प्रतिबंध ने पूरे जम्मू-कश्मीर के लाखों छात्रों की शिक्षा की गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित किया है. इसमें आगे कहा गया कि पहले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और फिर कोविड-19 के चलते स्कूल बंद चल रहे हैं. जिस वजह से 5 अगस्त से सभी छात्रों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है.

प्राइवेट स्कूल्स ऑफ एसोसिएशन ने कहा कि जम्मू और कश्मीर के बच्चे पहले ही दो शैक्षणिक सत्र से पिछड़ चुके हैं क्योंकि 2जी मोबाइल इंटरनेट से ज़ूम और वेबएक्स जैसे वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करना असंभव है.

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एसोसिएशन ने यह भी दावा किया कि छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए अपने परिवारों को छोड़ने और जम्मू-कश्मीर से बाहर रहने के लिए मजबूर किया गया है. ऐसे विशेषाधिकार के बिना देश के बाकी हिस्सों के छात्रों के साथ असमान क्षेत्र पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए छोड़ दिया जाता है.

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