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त्रिपुरा : क्षेत्रीय दलों के बीच सीट साझा करना गठबंधन के लिए बड़ा मुद्दा - लोग सबको साथ देखना चाहते हैं

त्रिपुरा में राजनीतिक दलों को क्षेत्रीय गठजोड़ की मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि पार्टियों के बीच राजनीतिक व्यवस्था हर गुजरते घंटे के साथ नया मोड़ ले रही है. हाल ही में कई विरोधी विचारधारा के लोगों ने एक-दूसरे से हाथ मिलाया है.

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Published : Feb 20, 2021, 5:44 PM IST

अगरतला : राजनीतिक दलों को क्षेत्रीय गठजोड़ की मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि पार्टियों के बीच राजनीतिक व्यवस्था हर गुजरते घंटे के साथ नया मोड़ ले रही है. हाल ही में पूर्व विधायक अनिमेष देबबर्मा, जिन्होंने पहले अपनी राजनीतिक पार्टी एनसीटी का आईएनपीटी में विलय कर लिया था, ने आधिकारिक रूप से प्रद्योत किशोर देबबर्मन के टीआईपीआरए का दामन थाम लिया.

देबबर्मा अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ सर्वसम्मति से नवगठित पार्टी में शामिल हुए. प्रद्योत ने नए लोगों का स्वागत किया और कहा कि एकता के लिए उनका आह्वान वास्तव में क्षेत्रीय राजनीति के लिए सुखद परिणाम देने वाला है. इन सभी राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच एक राजनीतिक पार्टी जो सबसे अधिक नुकसान उठाने वाली है, निश्चित रूप से इंडीजेनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ टिप्रा होगी. जो शायद सबसे पुरानी क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी है.

आईपीपीटी का टिप्रालैंड के आह्वान के खिलाफ शुरुआत से ही सख्त रुख रहा था. दल ने प्रद्योत किशोर देव बर्मन द्वारा दिए गए थानसा (यूनिट) के आह्वान का जवाब दिया था, लेकिन आईपीएफटी के रूप में जो तुलनात्मक रूप से पहाड़ियों में एक मजबूत उपस्थिति है, टीआईपीआरए के साथ गठबंधन किया. आईएनपीटी और टीआईपीआरए के बीच गठबंधन को अंतिम रूप देने के बाद शुक्रवार की रात आईएनपीटी के सुप्रीमो बीके ह्रंगखवाल और जगदीश देबबर्मा ने बिना समय बर्बाद किए और टीआईपीआरए के अध्यक्ष प्रद्योत किशोर देबबर्मन से मुलाकात की.

लोग सबको साथ देखना चाहते हैं

इस मुद्दे पर बोलते हुए टिप्रा के चेयरमैन प्रद्योत ने कहा कि आईएनपीटी नेता यहां चर्चा करने के लिए आए हैं. इससे पहले उन्होंने कभी भी टीप्रा की मांग का समर्थन नहीं किया. लेकिन अब उन्होंने मांग के प्रति अपना समर्थन बढ़ाया है. जब उन्होंने गठबंधन के मुद्दे को उठाया है, तो स्पष्ट रूप से कहा है कि हम पहले से ही आईपीएफटी के साथ गठबंधन में हैं और एनसी देबबर्मा की मौजूदगी में बात होनी चाहिए. हमने उनसे कहा है कि यह गठबंधन सीटों की तुलना में बड़ा है. लोग बीके हरणघवाल, एनसी देबबर्मा और प्रद्योत को एक ही साथ में देखना चाहते हैं.

यह भी पढ़ें-जिस दिन तेल का दाम न बढ़े उसे 'अच्छा दिन' घोषित करे मोदी सरकार: प्रियंका

इससे पहले आईएनपीटी के नेता प्रद्योत ने एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें टिप्रालैंड की मांग पर कोई औपचारिक आपत्ति नहीं है. अब सवाल यह उठता है कि अगर आईएनपीटी को उचित महत्व नहीं दिया गया और गठबंधन में विवेक से नहीं संभाला गया तो कभी भी विभाजन हो सकता है.

अगरतला : राजनीतिक दलों को क्षेत्रीय गठजोड़ की मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि पार्टियों के बीच राजनीतिक व्यवस्था हर गुजरते घंटे के साथ नया मोड़ ले रही है. हाल ही में पूर्व विधायक अनिमेष देबबर्मा, जिन्होंने पहले अपनी राजनीतिक पार्टी एनसीटी का आईएनपीटी में विलय कर लिया था, ने आधिकारिक रूप से प्रद्योत किशोर देबबर्मन के टीआईपीआरए का दामन थाम लिया.

देबबर्मा अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ सर्वसम्मति से नवगठित पार्टी में शामिल हुए. प्रद्योत ने नए लोगों का स्वागत किया और कहा कि एकता के लिए उनका आह्वान वास्तव में क्षेत्रीय राजनीति के लिए सुखद परिणाम देने वाला है. इन सभी राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच एक राजनीतिक पार्टी जो सबसे अधिक नुकसान उठाने वाली है, निश्चित रूप से इंडीजेनस नेशनलिस्ट पार्टी ऑफ टिप्रा होगी. जो शायद सबसे पुरानी क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी है.

आईपीपीटी का टिप्रालैंड के आह्वान के खिलाफ शुरुआत से ही सख्त रुख रहा था. दल ने प्रद्योत किशोर देव बर्मन द्वारा दिए गए थानसा (यूनिट) के आह्वान का जवाब दिया था, लेकिन आईपीएफटी के रूप में जो तुलनात्मक रूप से पहाड़ियों में एक मजबूत उपस्थिति है, टीआईपीआरए के साथ गठबंधन किया. आईएनपीटी और टीआईपीआरए के बीच गठबंधन को अंतिम रूप देने के बाद शुक्रवार की रात आईएनपीटी के सुप्रीमो बीके ह्रंगखवाल और जगदीश देबबर्मा ने बिना समय बर्बाद किए और टीआईपीआरए के अध्यक्ष प्रद्योत किशोर देबबर्मन से मुलाकात की.

लोग सबको साथ देखना चाहते हैं

इस मुद्दे पर बोलते हुए टिप्रा के चेयरमैन प्रद्योत ने कहा कि आईएनपीटी नेता यहां चर्चा करने के लिए आए हैं. इससे पहले उन्होंने कभी भी टीप्रा की मांग का समर्थन नहीं किया. लेकिन अब उन्होंने मांग के प्रति अपना समर्थन बढ़ाया है. जब उन्होंने गठबंधन के मुद्दे को उठाया है, तो स्पष्ट रूप से कहा है कि हम पहले से ही आईपीएफटी के साथ गठबंधन में हैं और एनसी देबबर्मा की मौजूदगी में बात होनी चाहिए. हमने उनसे कहा है कि यह गठबंधन सीटों की तुलना में बड़ा है. लोग बीके हरणघवाल, एनसी देबबर्मा और प्रद्योत को एक ही साथ में देखना चाहते हैं.

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इससे पहले आईएनपीटी के नेता प्रद्योत ने एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें टिप्रालैंड की मांग पर कोई औपचारिक आपत्ति नहीं है. अब सवाल यह उठता है कि अगर आईएनपीटी को उचित महत्व नहीं दिया गया और गठबंधन में विवेक से नहीं संभाला गया तो कभी भी विभाजन हो सकता है.

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