श्रीनगर : पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) ने बुधवार को कहा कि केंद्र द्वारा अनुच्छेद-370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को खत्म करना एक महत्वपूर्ण मुद्दा है, न कि राज्य के दर्जे को बहाल करना. पार्टी की यह टिप्पणी सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दिए गए तर्क के बाद आई है. मेहता ने अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के खिलाफ चल रही सुनवाई के दौरान मंगलवार को न्यायालय से कहा कि जम्मू-कश्मीर का केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा स्थायी नहीं है और सरकार 31 अगस्त को राज्य का दर्जा बहाल करने को लेकर विस्तृत बयान देगी.
पीडीपी के मुख्य प्रवक्ता सुहैल बुखारी (Suhail Bukhari) ने संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) जम्मू-कश्मीर के लोगों की आकांक्षाओं के केंद्रबिंदु को बदलना चाहती है. उन्होंने कहा, 'हम जानते हैं कि भाजपा और आरएसएस (RSS) का शासन शुरुआत से ही जम्मू-कश्मीर की महत्वकांक्षा के केंद्र को बदलना चाहता है. हम कश्मीर मुद्दे के समाधान के बारे में बातचीत करते थे. इसके बाद, उन्होंने राज्य का दर्जा छीन केंद्रशासित प्रदेश बना दिया, उसके बाद चुनाव भी नहीं कराए जा रहे हैं.'
बुखारी ने कहा, 'वे (भाजपा/आरएसएस) लक्ष्य को बदलना चाहते हैं. वे चाहते हैं कि हम परिस्थितियों के आगे आत्मसमर्पण कर दें ताकि हम उन परिस्थितियों में केवल चुनाव कराने की बात करें या ऐसे ही रहें.' उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि जनता राज्य के दर्जे की बहाली की बात करे, न कि इसके विशेष दर्जे को फिर से कायम करने की.
पीडीपी प्रवक्ता ने कहा, 'पार्टी जम्मू-कश्मीर मुद्दे के समाधान की मांग करती है, जो भी पांच अगस्त (2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त करने का फैसला) को हुआ उससे जम्मू-कश्मीर की समस्या और जटिल हो गई है. अदालत के सामने सवाल है कि भारत सरकार ने एकतरफा, अवैध और असंवैधानिक तरीके से जिस विशेष दर्जे को छीन लिया क्या वह हमारा अधिकार था या नहीं-राज्य का दर्जा बहाल करना या केंद्रशासित प्रदेश ही रहे यह बहुत अहम नहीं है.'
विपक्षी दलों के गठबंधन 'इंडिया' की गुरुवार को मुंबई में होने वाली बैठक के बारे में पीडीपी प्रवक्ता ने कहा कि उनकी पार्टी इसमें सकारात्मक तरीके से सहयोग करेगी. उन्होंने कहा, 'हमारी राय है कि इस देश के अस्तित्व, जो संवैधानिकता के विचार पर टिका है और लोकतांत्रिक लोकाचार पर वर्तमान शासन द्वारा गंभीर हमला किया जा रहा है. इसलिए जरूरी है कि जो संवैधानिकता और लोकतंत्र के पक्ष में हैं वे एक साथ आएं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ये ताकतें जो संविधान की अवहेलना करती हैं, जो लोकतंत्र का सम्मान नहीं करती हैं, उन्हें चुनौती दी जा सके. इसके लिए उन सभी लोगों को साथ आना होगा जो लोकतंत्र और संविधान के पक्ष में हैं.'
(पीटीआई-भाषा)