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केंद्र कृषि कानूनों को खत्म करें, समाधान के लिए किसानों से बातचीत करें : मुख्यमंत्री - cm Amarinder to Centre

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने शुक्रवार को केंद्र के नए कृषि कानूनों को तत्काल रद्द करने की मांग की और आगे का रास्ता निकालने के लिए किसानों के साथ विस्तृत चर्चा करने का आह्वान किया.

CM अमरिंदर
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Published : Sep 17, 2021, 4:04 PM IST

Updated : Sep 17, 2021, 5:32 PM IST

चंडीगढ़ : पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने शुक्रवार को केंद्र के नए कृषि कानूनों को तत्काल रद्द करने की मांग की और आगे का रास्ता निकालने के लिए किसानों के साथ विस्तृत चर्चा करने का आह्वान किया.

एक साल पहले संसद द्वारा पारित इन कानूनों के विरोध में कई किसानों की मौत की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र को किसानों और राष्ट्र के हित में कानूनों को वापस लेना चाहिए.

उन्होंने यह बात लुधियाना स्थित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) द्वारा आयोजित तीसरे राज्य स्तरीय वर्चुअल किसान मेले का उद्घाटन करने के दौरान कही.

उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि केंद्र सरकार को अपनी गलती का एहसास हो और किसानों और देश के हित में कानून वापस लिए जाएं.

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने 'किसान नहीं, तो भोजन नहीं' का बिल्ला लगा रखा था. उन्होंने कहा, अभी तक भारत के संविधान में 127 बार संशोधन किया जा चुका है, तो किसान कानूनों को रद्द करने और इसके कारण पैदा हुई समस्या को सुलझाने के लिए इसमें फिर से संशोधन क्यों नहीं किया जा सकता?

उन्होंने केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार से सवाल किया, 128वीं बार ऐसा करने में समस्या क्या है? सिंह ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार किसानों को बर्बाद कर रही है.

उन्होंने कहा कि किसानों ने भारत के विकास में बहुत योगदान दिया है, लेकिन उनके साथ आज जो कुछ भी हो रहा है, वह अत्यंत दुखदायी है.

एक आधिकारिक बयान में बताया गया कि दो दिवसीय किसान मेला पराली जलाए जाने को समाप्त करने के लिए राज्य सरकार की कोशिशों की तर्ज पर करी पराली की संभाल, धरती मां होवे खुशहाल (पराली को संभालने से धरती खुशहाल होगी) की विषय वस्तु पर केंद्रित है.

पढ़ें :- सरकार बातचीत को तैयार, किसान संघ बताएं कृषि कानूनों में कहां है आपत्ति : कृषि मंत्री

सिंह ने कहा कि केंद्र ने पिछले साल नवंबर में पंजाब के किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया था, क्योंकि प्रदर्शन करना किसानों का लोकतांत्रिक अधिकार है.

उन्होंने स्पष्ट किया कि वह कठोर कानूनों के खिलाफ लड़ाई में किसानों के साथ खड़े हैं और उनकी सरकार मृतक किसानों के परिवारों को मुआवजा और नौकरी दे रही है.

मुख्यमंत्री ने देश के विकास में पंजाब और उसके किसानों के योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का मात्र 1.53 प्रतिशत है, लेकिन वह देश का 18 फीसदी गेहूं, 11 फीसदी धान, 4.4 फीसदी कपास की पैदावार और 10 फीसदी दूध का उत्पादन करता है.

चंडीगढ़ : पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने शुक्रवार को केंद्र के नए कृषि कानूनों को तत्काल रद्द करने की मांग की और आगे का रास्ता निकालने के लिए किसानों के साथ विस्तृत चर्चा करने का आह्वान किया.

एक साल पहले संसद द्वारा पारित इन कानूनों के विरोध में कई किसानों की मौत की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र को किसानों और राष्ट्र के हित में कानूनों को वापस लेना चाहिए.

उन्होंने यह बात लुधियाना स्थित पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) द्वारा आयोजित तीसरे राज्य स्तरीय वर्चुअल किसान मेले का उद्घाटन करने के दौरान कही.

उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि केंद्र सरकार को अपनी गलती का एहसास हो और किसानों और देश के हित में कानून वापस लिए जाएं.

इस मौके पर मुख्यमंत्री ने 'किसान नहीं, तो भोजन नहीं' का बिल्ला लगा रखा था. उन्होंने कहा, अभी तक भारत के संविधान में 127 बार संशोधन किया जा चुका है, तो किसान कानूनों को रद्द करने और इसके कारण पैदा हुई समस्या को सुलझाने के लिए इसमें फिर से संशोधन क्यों नहीं किया जा सकता?

उन्होंने केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार से सवाल किया, 128वीं बार ऐसा करने में समस्या क्या है? सिंह ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार किसानों को बर्बाद कर रही है.

उन्होंने कहा कि किसानों ने भारत के विकास में बहुत योगदान दिया है, लेकिन उनके साथ आज जो कुछ भी हो रहा है, वह अत्यंत दुखदायी है.

एक आधिकारिक बयान में बताया गया कि दो दिवसीय किसान मेला पराली जलाए जाने को समाप्त करने के लिए राज्य सरकार की कोशिशों की तर्ज पर करी पराली की संभाल, धरती मां होवे खुशहाल (पराली को संभालने से धरती खुशहाल होगी) की विषय वस्तु पर केंद्रित है.

पढ़ें :- सरकार बातचीत को तैयार, किसान संघ बताएं कृषि कानूनों में कहां है आपत्ति : कृषि मंत्री

सिंह ने कहा कि केंद्र ने पिछले साल नवंबर में पंजाब के किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से साफ इनकार कर दिया था, क्योंकि प्रदर्शन करना किसानों का लोकतांत्रिक अधिकार है.

उन्होंने स्पष्ट किया कि वह कठोर कानूनों के खिलाफ लड़ाई में किसानों के साथ खड़े हैं और उनकी सरकार मृतक किसानों के परिवारों को मुआवजा और नौकरी दे रही है.

मुख्यमंत्री ने देश के विकास में पंजाब और उसके किसानों के योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का मात्र 1.53 प्रतिशत है, लेकिन वह देश का 18 फीसदी गेहूं, 11 फीसदी धान, 4.4 फीसदी कपास की पैदावार और 10 फीसदी दूध का उत्पादन करता है.

Last Updated : Sep 17, 2021, 5:32 PM IST
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