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केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने की पैटरनिटी लीव की वकालत

केंद्रीय नागरिक विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बुधवार को कहा कि एयरलाइंस को पुरुष कर्मचारियों को पैटरनिटी लीव (paternity leave) देने पर विचार करना चाहिए ताकि वे भी बच्चों को पालने की जिम्मेदारी साझा कर सकें.

Scindia bats for paternity leave
Scindia bats for paternity leave
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Published : Mar 16, 2022, 3:20 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय नागरिक विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बुधवार को कहा कि एयरलाइंस को पुरुष कर्मचारियों को पितृत्व अवकाश यानी पैटरनिटी लीव (paternity leave) देने पर विचार करना चाहिए ताकि वे भी बच्चों को पालने की जिम्मेदारी साझा कर सकें. उन्होंने देश में महिला पायलटों की हिस्सेदारी 15 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी करने की भी वकालत की.

भारत ने 2017 में मैटरनिटी (संशोधन) बिल पारित किया था, जिसने कामकाजी महिलाओं के लिए पेड मैटरनिटी लीव (maternity leave) की अवधि 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दी गई थी. इसके बाद से भारत की एयरलाइंस कंपनियां 2017 के कानून के अनुसार सैलरी के साथ मैटरनिटी लीव (maternity leave) देती हैं, मगर अधिकतर पुरुषों के लिए पितृत्व अवकाश जैसी पॉलिसी नहीं है.

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गैर-लाभकारी संगठन के एक कार्यक्रम के दौरान कहा, "मेरा मानना ​​है कि हमारी एयरलाइंस हमारी महिलाओं के लिए एक हेल्दी वर्कप्लेस का माहौल बनाने के मामले में जबरदस्त काम कर रही है, चाहे वह क्रेच, मैटरनिटी लीव और अन्य काम हों. हमें इससे आगे बढ़ने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि हमें ऐसा जेंटर न्यूट्रल वातावरण बनाने की जरूरत है, जहां पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं पर भी समान जिम्मेदारी देखे. एक मामला यह है कि हम केवल मैटरनिटी लीव (maternity leave) के बारे में क्यों सोचते हैं, हमें पैटरनिटी लीव ( paternity leave) के कॉन्सेप्ट को भी देखना चाहिए, जहां पुरुषों पर भी घर में बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी होनी चाहिए. इसके लिए मानसिक बदलाव होना जरूरी है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम सभी को इस डिफरेंस को समझना चाहिए और वर्कप्लेस पर फंडामेंटल ऑफ इथिक्स यानी नैतिकता के मूल सिद्धांतों को लागू करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसे पहचानने का समय आ गया है.

उन्होंने बताया कि वर्तमान में भारत में कुल पायलटों में से सिर्फ 15 प्रतिशत महिलाएं हैं. विश्व स्तर पर महिला पायलटों की हिस्सेदारी लगभग पांच प्रतिशत से भी कम है. सिंधिया ने पूछा कि क्या 15 प्रतिशत पर्याप्त है? मेरा जवाब है, नहीं. उन्होंने कहा महिलाओं ने जिन बाधाओं और रूढियों को पार किया है, वह बेहद चुनौतीपूर्ण है. उन्होंने कहा कि भारत में एक दिन ऐसा जरूर आना चाहिए कि यह 15 फीसदी देश के पायलटों की संख्या के 50 फीसदी तक पहुंच जाए.

पढ़ें : एविएशन सेक्टर में रिपेयर और मेंटेनेंस सेवाओं में जीएसटी घटा, 18 से 5 फीसदी हुई दर

नई दिल्ली : केंद्रीय नागरिक विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बुधवार को कहा कि एयरलाइंस को पुरुष कर्मचारियों को पितृत्व अवकाश यानी पैटरनिटी लीव (paternity leave) देने पर विचार करना चाहिए ताकि वे भी बच्चों को पालने की जिम्मेदारी साझा कर सकें. उन्होंने देश में महिला पायलटों की हिस्सेदारी 15 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी करने की भी वकालत की.

भारत ने 2017 में मैटरनिटी (संशोधन) बिल पारित किया था, जिसने कामकाजी महिलाओं के लिए पेड मैटरनिटी लीव (maternity leave) की अवधि 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दी गई थी. इसके बाद से भारत की एयरलाइंस कंपनियां 2017 के कानून के अनुसार सैलरी के साथ मैटरनिटी लीव (maternity leave) देती हैं, मगर अधिकतर पुरुषों के लिए पितृत्व अवकाश जैसी पॉलिसी नहीं है.

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गैर-लाभकारी संगठन के एक कार्यक्रम के दौरान कहा, "मेरा मानना ​​है कि हमारी एयरलाइंस हमारी महिलाओं के लिए एक हेल्दी वर्कप्लेस का माहौल बनाने के मामले में जबरदस्त काम कर रही है, चाहे वह क्रेच, मैटरनिटी लीव और अन्य काम हों. हमें इससे आगे बढ़ने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि हमें ऐसा जेंटर न्यूट्रल वातावरण बनाने की जरूरत है, जहां पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं पर भी समान जिम्मेदारी देखे. एक मामला यह है कि हम केवल मैटरनिटी लीव (maternity leave) के बारे में क्यों सोचते हैं, हमें पैटरनिटी लीव ( paternity leave) के कॉन्सेप्ट को भी देखना चाहिए, जहां पुरुषों पर भी घर में बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी होनी चाहिए. इसके लिए मानसिक बदलाव होना जरूरी है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम सभी को इस डिफरेंस को समझना चाहिए और वर्कप्लेस पर फंडामेंटल ऑफ इथिक्स यानी नैतिकता के मूल सिद्धांतों को लागू करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इसे पहचानने का समय आ गया है.

उन्होंने बताया कि वर्तमान में भारत में कुल पायलटों में से सिर्फ 15 प्रतिशत महिलाएं हैं. विश्व स्तर पर महिला पायलटों की हिस्सेदारी लगभग पांच प्रतिशत से भी कम है. सिंधिया ने पूछा कि क्या 15 प्रतिशत पर्याप्त है? मेरा जवाब है, नहीं. उन्होंने कहा महिलाओं ने जिन बाधाओं और रूढियों को पार किया है, वह बेहद चुनौतीपूर्ण है. उन्होंने कहा कि भारत में एक दिन ऐसा जरूर आना चाहिए कि यह 15 फीसदी देश के पायलटों की संख्या के 50 फीसदी तक पहुंच जाए.

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