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तिब्बत के ग्लेशियर में मिले 15,000 साल पुराने वायरस - Scientists discover 15000 year old viruses from tibetan glaciers

तिब्बत के ग्लेशियर से लिए गए बर्फ के नमूनों में करीब 15,000 साल पुराने वायरस मिले हैं. अधिकांश वायरस जमे हुए रहने के कारण बच रहे.

तिब्बत के ग्लेशियर में मिले 15,000 साल पुराने वायरस
तिब्बत के ग्लेशियर में मिले 15,000 साल पुराने वायरस
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Published : Jul 22, 2021, 4:43 PM IST

न्यूयॉर्क : तिब्बत के ग्लेशियर में 15 हजार साल पुरानी बर्फ में 33 वायरस मिले हैं. ये वायरस दो बर्फ के टुकड़ों में पाए गए हैं. उनमें से अधिकांश वायरस जमे हुए रहने के कारण बच हुए हैं, इनमें से 28 ऐसे वायरस हैं, जो पूरी तरह नए वायरस हैं. इनमें से चार वायरस वैज्ञानिक समुदाय द्वारा पहले ही पहचाने जा चुके हैं.

माइक्रोबायोम पत्रिका में इस संबंध में शोध प्रकाशित हुआ है. ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के रिसर्चर झी-पिंग झॉन्ग ने कहा कि पश्चिमी चीन में ग्लेशियरों का अच्छी तरह से अध्ययन नहीं किया गया है. हमारा लक्ष्य पिछले वातावरण को प्रतिबिंबित करने के लिए इस जानकारी का उपयोग करना है.

ये वायरस समुद्र तल से 22 हजार फीट ऊंचाई पर पाए गए हैं. रिसर्चर झॉन्ग ने कहा कि गुलिया आइस कैप से रिसर्चर्स ने 2015 में दो सैंपल लिए थे. जब इन सैंपलों का विश्लेषण किया तो उन्हें 33 वायरस के आनुवंशिक कोड मिले. इनमें से चार वायरस वैज्ञानिक समुदाय द्वारा पहले ही पहचाने जा चुके हैं.

पढ़ें- पिछले चार सप्ताह में अनुक्रमित नमूनों में डेल्टा स्वरूप की मौजूदगी 75 प्रतिशत से अधिक : डब्ल्यूएचओ

उन्होंने बताया कि इस अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने बर्फ में बिना दूषित हुए रोगाणुओं और विषाणुओं का विश्लेषण करने का एक नया, अल्ट्रा-क्लीन तरीका भी अपनाया. अध्ययन में पाया गया कि ये हिमनद धीरे-धीरे बने थे और धूल और गैसों के साथ कई वायरस भी उस बर्फ में जमा हो गए थे. वहीं, प्रोफेसर मैथ्यू सुलिवन ने कहा, 'ये ऐसे वायरस हैं जो अत्यधिक वातावरण में पनपे होंगे. विश्लेषण से पता चला है कि वायरस की उत्पत्ति संभवतः मिट्टी या पौधों से हुई है, न कि जानवरों या मनुष्यों से.

न्यूयॉर्क : तिब्बत के ग्लेशियर में 15 हजार साल पुरानी बर्फ में 33 वायरस मिले हैं. ये वायरस दो बर्फ के टुकड़ों में पाए गए हैं. उनमें से अधिकांश वायरस जमे हुए रहने के कारण बच हुए हैं, इनमें से 28 ऐसे वायरस हैं, जो पूरी तरह नए वायरस हैं. इनमें से चार वायरस वैज्ञानिक समुदाय द्वारा पहले ही पहचाने जा चुके हैं.

माइक्रोबायोम पत्रिका में इस संबंध में शोध प्रकाशित हुआ है. ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के रिसर्चर झी-पिंग झॉन्ग ने कहा कि पश्चिमी चीन में ग्लेशियरों का अच्छी तरह से अध्ययन नहीं किया गया है. हमारा लक्ष्य पिछले वातावरण को प्रतिबिंबित करने के लिए इस जानकारी का उपयोग करना है.

ये वायरस समुद्र तल से 22 हजार फीट ऊंचाई पर पाए गए हैं. रिसर्चर झॉन्ग ने कहा कि गुलिया आइस कैप से रिसर्चर्स ने 2015 में दो सैंपल लिए थे. जब इन सैंपलों का विश्लेषण किया तो उन्हें 33 वायरस के आनुवंशिक कोड मिले. इनमें से चार वायरस वैज्ञानिक समुदाय द्वारा पहले ही पहचाने जा चुके हैं.

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उन्होंने बताया कि इस अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने बर्फ में बिना दूषित हुए रोगाणुओं और विषाणुओं का विश्लेषण करने का एक नया, अल्ट्रा-क्लीन तरीका भी अपनाया. अध्ययन में पाया गया कि ये हिमनद धीरे-धीरे बने थे और धूल और गैसों के साथ कई वायरस भी उस बर्फ में जमा हो गए थे. वहीं, प्रोफेसर मैथ्यू सुलिवन ने कहा, 'ये ऐसे वायरस हैं जो अत्यधिक वातावरण में पनपे होंगे. विश्लेषण से पता चला है कि वायरस की उत्पत्ति संभवतः मिट्टी या पौधों से हुई है, न कि जानवरों या मनुष्यों से.

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