वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय में डीएनए डिफेंस मैकेनिज्म पर आधारित एडनेट 2023 का आयोजन किया गया है. कॉन्फ्रेंस के दूसरे दिन हैदराबाद सीसीएमबी के डायरेक्टर प्रोफेसर के थंगराज ने दावा किया कि बांझपन के लिए बहू नहीं बल्कि लड़के की मां ज्यादा जिम्मेदार हो सकती है. कहा कि हमारे समाज में बच्चे पैदा नहीं होने पर बहुओं को जिम्मेदार माना जाता रहा है. मगर ऐसा नहीं है. शोध में ये बाते सामने आई है कि लगभग 90 फीसदी मामलों में देखा गया है कि बांझपन के लिए लड़की की माता ज्यादा जिम्मेदार होती है.
बीएचयू वैज्ञानिक प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि शनिवार के सत्र में प्रोफेसर थंगराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि बांझपन जो माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए की समस्या से होती है, जो माताओं से अपने बच्चों को मिलता है. साथ ही इस समस्या का दूसरा कारण ऑटोजोन भी होता है. यह ऑटोजोम्स की समस्या भी माता से पुत्र को मिलती है. उन्होंने कहा कि अब तक 9 जीन की पहचान की गई है, जिसमें जो ऑटोजोम्स उगाए जाते हैं. वह ज्यादातर माताओं से बेटों को मिलते हैं.
बता दें कि बीएचयू में आयोजित इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में भारत समेत 15 देश के लगभग 21 देशों के वैज्ञानिक शामिल हुए हैं, जो महामारी और जीन सीक्वेंस पर आधारित अलग-अलग व्याख्यान प्रस्तुत कर रहे हैं. इस व्याख्यान के क्रम में प्रोफेसर के थंगराज के साथ ही इटली के वैज्ञानिक प्रोफेसर अलेक्सेंद्रो ने भी अपनी शोध को लेकर कर प्रेजेंटेशन दिया. उन्होंने कहा कि भले ही अफ्रीका से 65000 साल पहले मानव निकला हो, लेकिन इसे अमेरिका पहुंचते-पहुंचते 48000 साल लग गए.
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