पुरी : एसजेटीए ने छतीसा निजोग (मंदिर के सेवकों का सर्वोच्च निकाय) के सदस्यों के साथ बैठक कर यह फैसला लिया है कि सेवकों समेत उन सभी लोगों को आरटी-पीसीआर जांच से गुजरना होगा जो रथ यात्रा से संबंधित धार्मिक अनुष्ठानों में हिस्सा लेंगे.
इसमें ऐसे लोग भी शामिल हो सकते हैं, जो कोविड-19 टीके की दोनों खुराक ले चुके हैं. रथ यात्रा से जुड़े सभी कार्यक्रमों का आयोजन श्रद्धालुओं की गैर-मौजूदगी में किया जाएगा. रथ यात्रा में केवल सेवक और मंदिर प्रशासन से जुड़े अधिकारी ही हिस्सा लेंगे.
पुरी के जिलाधिकारी समर्थ वर्मा ने कहा कि स्नान यात्रा के दौरान मंदिर के आस-पास सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू रहेगी. स्नान यात्रा में भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र, और देवी सुभद्रा को स्नान कराया जाता है. मंदिर के सामने वाली ग्रैंड रोड पर किसी को भी एकत्र होने की अनुमति नहीं होगी.
24 जून को स्नान पूर्णिमा के दिन तीनों देवताओं को स्नान कराया जाएगा. पुरी के राजा दिब्यासिंह देब स्नान वाली जगह को साफ करेंगे. इसके बाद देवताओं को वस्त्र पहनाकर अनासरा घर की ओर ले जाया जाएगा. ऐसी मान्यता है कि स्नान के बाद देवता बीमार हो जाते हैं.
इसके बाद अनासरा से जुड़े धार्मिक अनुष्ठान किए जाएंगे, जोकि अगले 15 दिनों तक चलेंगे. एसजेटीए के मुख्य प्रशासक कृष्ण कुमार ने कहा कि विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा 12 जुलाई को बिना श्रद्धालुओं के होगी. रथ यात्रा के दिन भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र, और देवी सुभद्रा के रथों को खींचकर गुंडिचा मंदिर लाया जाएगा जोकि मुख्य मंदिर से करीब तीन किलोमीटर दूर है.
रथ यात्रा 12 जुलाई को सुबह साढ़े आठ बजे शुरू होगी और रथों को खींचने की प्रक्रिया शाम चार बजे से शुरू होगी. इसके बाद तीनों देवताओं को 23 जुलाई को मुख्य मंदिर में वापस लाया जाएगा.
(पीटीआई-भाषा)