ETV Bharat / bharat

कृषि कानून: किसानों के प्रदर्शन पर सरकार के रवैये से CJI नाराज

सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हो गई है. सरकार की ओर से अदालत में कहा गया कि दोनों पक्षों में हाल ही में मुलाकात हुई, जिसमें तय हुआ है कि चर्चा चलती रहेगी.

कृषि कानूनों
न्यायालय
author img

By

Published : Jan 10, 2021, 10:10 PM IST

Updated : Jan 11, 2021, 12:29 PM IST

नई दिल्ली : किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो चुकी है. सरकार की ओर से अदालत में कहा गया कि दोनों पक्षों में हाल ही में मुलाकात हुई, जिसमें तय हुआ है कि चर्चा चलती रहेगी. हालांकि, चीफ जस्टिस ने इस पर नाराजगी व्यक्त की. चीफ जस्टिस ने कहा कि जिस तरह से सरकार इस मामले को हैंडल कर रही है, हम उससे खुश नहीं हैं. हमें नहीं पता कि आपने कानून पास करने से पहले क्या किया. पिछली सुनवाई में भी बातचीत के बारे में कहा गया, क्या हो रहा है?

प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के साथ सरकार की बातचीत में गतिरोध बरकरार रहने के बीच उच्चतम न्यायालय नए कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं और दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसानों के प्रदर्शन से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हो चुकी है.

केंद्र और किसान संगठनों के बीच सात जनवरी को हुई आठवें दौर की बाचतीच में भी कोई समाधान निकलता नजर नहीं आया क्योंकि केंद्र ने विवादास्पद कानून निरस्त करने से इनकार कर दिया जबकि किसान नेताओं ने कहा कि वे अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ने के लिये तैयार हैं और उनकी घर वापसी सिर्फ कानून वापसी के बाद होगी.

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा आज की जानी वाली सुनवाई महत्वपूर्ण है, क्योंकि केंद्र और किसान नेताओं के बीच 15 जनवरी को अगली बैठक निर्धारित है.

शीर्ष न्यायालय को केंद्र सरकार ने पिछली तारीख पर बताया था कि उसके और किसान संगठनों के बीच सभी मुद्दों पर स्वस्थ चर्चा जारी है और इस बात की संभावना है कि दोनों पक्ष निकट भविष्य में किसी समाधान पर पहुंच जाएं.

अदालत ने तब सरकार को भरोसा दिया था कि अगर वह उससे कहेगी कि बातचीत के जरिये समाधान संभव है तो वह 11 जनवरी को सुनवाई नहीं करेगी.

यह भी पढ़ें- अमित शाह और नड्डा से मिले येदियुरप्पा, कैबिनेट में फेरबदल के संकेत

अदालत ने कहा था कि हम स्थिति को समझते हैं और चर्चा को बढ़ावा देते हैं. हम सोमवार (11 जनवरी) को मामला स्थगित कर सकते हैं अगर आप जारी वार्ता प्रक्रिया की वजह से ऐसा अनुरोध करेंगे तो.

आठवें दौर की बातचीत के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका क्योंकि किसान नेताओं ने कानून को निरस्त करने की अपनी मांग का कोई विकल्प नहीं सुझाया.

पढ़ें : उद्धव सरकार ने फडणवीस, राज ठाकरे समेत कई नेताओं की सुरक्षा घटाई, भाजपा ने की निंदा

किसानों की एक संस्था कंसोर्टियम ऑफ इंडियन फार्मर्स असोसिएशन (सीआईएफए) ने तीनों कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया और मामले में पक्षकार बनाए जाने का अनुरोध किया.

उसने कहा कि कानून किसानों के लिये फायदेमंद हैं और इनसे कृषि में विकास और वृद्धि आएगी. उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले तीनों विवादित कृषि कानूनों को लेकर दायर कई याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर उससे जवाब मांगा था.

नई दिल्ली : किसान आंदोलन से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो चुकी है. सरकार की ओर से अदालत में कहा गया कि दोनों पक्षों में हाल ही में मुलाकात हुई, जिसमें तय हुआ है कि चर्चा चलती रहेगी. हालांकि, चीफ जस्टिस ने इस पर नाराजगी व्यक्त की. चीफ जस्टिस ने कहा कि जिस तरह से सरकार इस मामले को हैंडल कर रही है, हम उससे खुश नहीं हैं. हमें नहीं पता कि आपने कानून पास करने से पहले क्या किया. पिछली सुनवाई में भी बातचीत के बारे में कहा गया, क्या हो रहा है?

प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के साथ सरकार की बातचीत में गतिरोध बरकरार रहने के बीच उच्चतम न्यायालय नए कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं और दिल्ली की सीमा पर चल रहे किसानों के प्रदर्शन से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई शुरू हो चुकी है.

केंद्र और किसान संगठनों के बीच सात जनवरी को हुई आठवें दौर की बाचतीच में भी कोई समाधान निकलता नजर नहीं आया क्योंकि केंद्र ने विवादास्पद कानून निरस्त करने से इनकार कर दिया जबकि किसान नेताओं ने कहा कि वे अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ने के लिये तैयार हैं और उनकी घर वापसी सिर्फ कानून वापसी के बाद होगी.

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा आज की जानी वाली सुनवाई महत्वपूर्ण है, क्योंकि केंद्र और किसान नेताओं के बीच 15 जनवरी को अगली बैठक निर्धारित है.

शीर्ष न्यायालय को केंद्र सरकार ने पिछली तारीख पर बताया था कि उसके और किसान संगठनों के बीच सभी मुद्दों पर स्वस्थ चर्चा जारी है और इस बात की संभावना है कि दोनों पक्ष निकट भविष्य में किसी समाधान पर पहुंच जाएं.

अदालत ने तब सरकार को भरोसा दिया था कि अगर वह उससे कहेगी कि बातचीत के जरिये समाधान संभव है तो वह 11 जनवरी को सुनवाई नहीं करेगी.

यह भी पढ़ें- अमित शाह और नड्डा से मिले येदियुरप्पा, कैबिनेट में फेरबदल के संकेत

अदालत ने कहा था कि हम स्थिति को समझते हैं और चर्चा को बढ़ावा देते हैं. हम सोमवार (11 जनवरी) को मामला स्थगित कर सकते हैं अगर आप जारी वार्ता प्रक्रिया की वजह से ऐसा अनुरोध करेंगे तो.

आठवें दौर की बातचीत के बाद केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका क्योंकि किसान नेताओं ने कानून को निरस्त करने की अपनी मांग का कोई विकल्प नहीं सुझाया.

पढ़ें : उद्धव सरकार ने फडणवीस, राज ठाकरे समेत कई नेताओं की सुरक्षा घटाई, भाजपा ने की निंदा

किसानों की एक संस्था कंसोर्टियम ऑफ इंडियन फार्मर्स असोसिएशन (सीआईएफए) ने तीनों कृषि कानूनों का समर्थन करते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया और मामले में पक्षकार बनाए जाने का अनुरोध किया.

उसने कहा कि कानून किसानों के लिये फायदेमंद हैं और इनसे कृषि में विकास और वृद्धि आएगी. उच्चतम न्यायालय ने इससे पहले तीनों विवादित कृषि कानूनों को लेकर दायर कई याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर उससे जवाब मांगा था.

Last Updated : Jan 11, 2021, 12:29 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.