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SC में रियल्टी ग्राहकों का संरक्षण देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई आज

अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के मार्फत दायर याचिका में कहा गया है कि मकान या फ्लैट का कब्जा मिलने में अत्यधिक देर होने के चलते रियल एस्टेट ग्राहक न सिर्फ मानसिक व वित्तीय आघात का सामना कर रहे हैं, बल्कि जीवन और आजीविका के उनके अधिकारों का भी गंभीर उल्लंघन हुआ है.

उच्चतम न्यायालय
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Published : Oct 4, 2021, 7:21 AM IST

नई दिल्ली : रियल्टी ग्राहकों का संरक्षण करने एवं रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (Real Estate Regulatory Authority-RERA) अधिनियम, 2016 के अनुरूप रियल्टी क्षेत्र में पारदर्शिता लाने को लेकर बिल्डरों और एजेंट खरीददारों के लिए मॉडल समझौता तैयार करने के वास्ते केंद्र को निर्देश देने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर उच्चतम न्यायालय सोमवार को सुनवाई करेगा.

याचिका, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बी वी नागरत्न के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है. यह याचिका अधिवक्ता एवं भारतीय जनता पार्टी के नेता अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है. इसके जरिए सभी राज्यों को 'मॉडल बिल्डर बायर एग्रीमेंट' और 'मॉडल एजेंट बायर एग्रीमेंट' लागू करने तथा ग्राहकों के लिए मानसिक, शारीरिक और वित्तीय आघात को टालने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.

पढ़ें : मातृत्व लाभ अधिनियम के प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर न्यायालय का केंद्र को नोटिस

याचिका में कहा गया है कि प्रवर्तक, बिल्डर और एजेंट मुख्य रूप से मनमाना व एकतरफा समझौते का उपयोग करते हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 14,15,21 का उल्लंघन करता है.

अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के मार्फत दायर याचिका में कहा गया है कि मकान या फ्लैट का कब्जा मिलने में अत्यधिक देर होने के चलते रियल एस्टेट ग्राहक न सिर्फ मानसिक व वित्तीय आघात का सामना कर रहे हैं, बल्कि जीवन और आजीविका के उनके अधिकारों का भी गंभीर उल्लंघन हुआ है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : रियल्टी ग्राहकों का संरक्षण करने एवं रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (Real Estate Regulatory Authority-RERA) अधिनियम, 2016 के अनुरूप रियल्टी क्षेत्र में पारदर्शिता लाने को लेकर बिल्डरों और एजेंट खरीददारों के लिए मॉडल समझौता तैयार करने के वास्ते केंद्र को निर्देश देने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर उच्चतम न्यायालय सोमवार को सुनवाई करेगा.

याचिका, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस बी वी नागरत्न के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है. यह याचिका अधिवक्ता एवं भारतीय जनता पार्टी के नेता अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है. इसके जरिए सभी राज्यों को 'मॉडल बिल्डर बायर एग्रीमेंट' और 'मॉडल एजेंट बायर एग्रीमेंट' लागू करने तथा ग्राहकों के लिए मानसिक, शारीरिक और वित्तीय आघात को टालने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.

पढ़ें : मातृत्व लाभ अधिनियम के प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर न्यायालय का केंद्र को नोटिस

याचिका में कहा गया है कि प्रवर्तक, बिल्डर और एजेंट मुख्य रूप से मनमाना व एकतरफा समझौते का उपयोग करते हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 14,15,21 का उल्लंघन करता है.

अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के मार्फत दायर याचिका में कहा गया है कि मकान या फ्लैट का कब्जा मिलने में अत्यधिक देर होने के चलते रियल एस्टेट ग्राहक न सिर्फ मानसिक व वित्तीय आघात का सामना कर रहे हैं, बल्कि जीवन और आजीविका के उनके अधिकारों का भी गंभीर उल्लंघन हुआ है.

(पीटीआई-भाषा)

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