ETV Bharat / bharat

राजद्रोह पर IPC के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जनवरी में सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट - SC to hear in January

सुप्रीम कोर्ट राजद्रोह पर भारतीय दंड संहिता (IPC) के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जनवरी में सुनवाई करेगा. मामले पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इसके लिए वह एक पीठ का गठन करेंगे. Supreme Court,Indian Penal Code

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
author img

By PTI

Published : Nov 22, 2023, 8:47 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह राजद्रोह पर भारतीय दंड संहिता (IPC) के प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जनवरी में सुनवाई करेगा. केंद्र सरकार ने राजद्रोह कानून को निष्प्रभावी करने समेत अन्य प्रस्ताव के साथ उपनिवेश कालीन कानूनों की जगह लेने के लिए विधेयक कुछ महीने पहले संसद में पेश किया था. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वह मामले में सुनवाई के लिए एक उचित पीठ का गठन करेंगे.

न्यायालय ने अधिवक्ताओं प्रसन्ना एस और पूजा धर को सुनवाई से पहले केस लॉ और अन्य वैधानिक सामग्री जुटाने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया. शीर्ष अदालत ने पहले केंद्र सरकार के इस अनुरोध को मानने से मना कर दिया था कि याचिकाओं को एक बड़ी पीठ को भेजे जाने के फैसले को टाला जाए क्योंकि संसद आईपीसी के प्रावधानों को पुन: लागू कर रही है और एक विधेयक स्थायी समिति को भेजा गया है.

अदालत ने कहा था कि यह मानते हुए कि विधेयक, जो अन्य बातों के अलावा राजद्रोह कानून को निरस्त करने और अपराध की व्यापक परिभाषा के साथ एक नया प्रावधान पेश करने का प्रस्ताव करता है, एक कानून बन जाता है, इसे पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू नहीं किया जा सकता है. पीठ ने कहा था कि आईपीसी की धारा 124ए (देशद्रोह) कानून की किताब में बनी हुई है, और भले ही नया विधेयक कानून बन जाता है, एक धारणा है कि दंडात्मक कानून में कोई भी नया कानून संभावित होगा न कि पूर्वव्यापी प्रभाव.

ये भी पढ़ें - सुप्रीम कोर्ट ने दो न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति को माना गलत, लेकिन सेवा में रहने की दी अनुमति

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि वह राजद्रोह पर भारतीय दंड संहिता (IPC) के प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जनवरी में सुनवाई करेगा. केंद्र सरकार ने राजद्रोह कानून को निष्प्रभावी करने समेत अन्य प्रस्ताव के साथ उपनिवेश कालीन कानूनों की जगह लेने के लिए विधेयक कुछ महीने पहले संसद में पेश किया था. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वह मामले में सुनवाई के लिए एक उचित पीठ का गठन करेंगे.

न्यायालय ने अधिवक्ताओं प्रसन्ना एस और पूजा धर को सुनवाई से पहले केस लॉ और अन्य वैधानिक सामग्री जुटाने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया. शीर्ष अदालत ने पहले केंद्र सरकार के इस अनुरोध को मानने से मना कर दिया था कि याचिकाओं को एक बड़ी पीठ को भेजे जाने के फैसले को टाला जाए क्योंकि संसद आईपीसी के प्रावधानों को पुन: लागू कर रही है और एक विधेयक स्थायी समिति को भेजा गया है.

अदालत ने कहा था कि यह मानते हुए कि विधेयक, जो अन्य बातों के अलावा राजद्रोह कानून को निरस्त करने और अपराध की व्यापक परिभाषा के साथ एक नया प्रावधान पेश करने का प्रस्ताव करता है, एक कानून बन जाता है, इसे पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू नहीं किया जा सकता है. पीठ ने कहा था कि आईपीसी की धारा 124ए (देशद्रोह) कानून की किताब में बनी हुई है, और भले ही नया विधेयक कानून बन जाता है, एक धारणा है कि दंडात्मक कानून में कोई भी नया कानून संभावित होगा न कि पूर्वव्यापी प्रभाव.

ये भी पढ़ें - सुप्रीम कोर्ट ने दो न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति को माना गलत, लेकिन सेवा में रहने की दी अनुमति

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.