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SC ने लावारिस कुत्तों को खाना खिलाने के संबंध में HC के आदेश पर लगाई रोक

उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें लावारिस कुत्तों को खाने पीने की वस्तुएं दिए जाने के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए गए थे. उच्च न्यायालय ने कहा था कि नागारिकों को लावारिस कुत्तों को खाना खिलाने का अधिकार है.

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Published : Mar 5, 2022, 4:39 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने लावारिस कुत्तों को खाना खिलाने के संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) के आदेश पर रोक लगा दी है. न्यायमूर्ति विनीत शरण और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली स्वयं सेवी संस्था (एनजीओ) की याचिका पर भारत के पशु कल्याण बोर्ड, दिल्ली सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया.

पीठ ने कहा कि नेटिस जारी करें, इस बीच विरोधी आदेश के क्रियान्वयन पर रोक रहेगी. शीर्ष अदालत स्वयं सेवी संस्था ह्यूमन फाउंडेशन फॉर पीपुल एंड एनीमल की ओर से उच्च न्यायालय के 24 जून 2021 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी. एनजीओ ने अपने तर्क में कहा कि उच्च न्यायालय के निर्देश से लावारिस कुत्तों से खतरा बढ़ सकता है.

यह भी पढ़ें- मदर डेयरी ने दिल्ली-एनसीआर में दूध के दाम दो रुपये प्रति लीटर बढ़ाए

एनजीओ ने कहा कि इंसान की निगरानी और नियंत्रण में और सभी जरूरतों के लिए अपने देखरेख कर्ता पर निर्भर कुत्ते को लोगों को काटने और हमला करने से रोका जा सकता है. लेकिन लावारिस कुत्तों के साथ ऐसा नहीं है, इसलिए सोसाइटी में,सड़कों पर और किसी भी सार्वजनिक स्थान पर इन्हें खिलाने से नागरिकों को सीधा खतरा हो सकता है. उच्च न्यायालय ने कहा था कि लावारिस कुत्तों को भोजन का अधिकार है और नागरिकों को कुत्तों को खिलाने का अधिकार है, लेकिन इस अधिकार का प्रयोग करने में सावधानी बरती जानी चाहिए और यह सुनिश्चित होना चाहिए कि यह दूसरों पर आक्रमण नहीं करे और किसी प्रकार की समस्या पैदा नहीं हो.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने लावारिस कुत्तों को खाना खिलाने के संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) के आदेश पर रोक लगा दी है. न्यायमूर्ति विनीत शरण और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली स्वयं सेवी संस्था (एनजीओ) की याचिका पर भारत के पशु कल्याण बोर्ड, दिल्ली सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया.

पीठ ने कहा कि नेटिस जारी करें, इस बीच विरोधी आदेश के क्रियान्वयन पर रोक रहेगी. शीर्ष अदालत स्वयं सेवी संस्था ह्यूमन फाउंडेशन फॉर पीपुल एंड एनीमल की ओर से उच्च न्यायालय के 24 जून 2021 के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी. एनजीओ ने अपने तर्क में कहा कि उच्च न्यायालय के निर्देश से लावारिस कुत्तों से खतरा बढ़ सकता है.

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एनजीओ ने कहा कि इंसान की निगरानी और नियंत्रण में और सभी जरूरतों के लिए अपने देखरेख कर्ता पर निर्भर कुत्ते को लोगों को काटने और हमला करने से रोका जा सकता है. लेकिन लावारिस कुत्तों के साथ ऐसा नहीं है, इसलिए सोसाइटी में,सड़कों पर और किसी भी सार्वजनिक स्थान पर इन्हें खिलाने से नागरिकों को सीधा खतरा हो सकता है. उच्च न्यायालय ने कहा था कि लावारिस कुत्तों को भोजन का अधिकार है और नागरिकों को कुत्तों को खिलाने का अधिकार है, लेकिन इस अधिकार का प्रयोग करने में सावधानी बरती जानी चाहिए और यह सुनिश्चित होना चाहिए कि यह दूसरों पर आक्रमण नहीं करे और किसी प्रकार की समस्या पैदा नहीं हो.

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