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विचाराधीन कैदियों के मामले में SC ने यूपी सरकार को लगाई फटकार

विचाराधीन कैदियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को फटकार लगाई है. शीर्ष कोर्ट ने यूपी सरकार से 853 कैदियों का विवरण मांगा है. साथ ही कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट को लेकर भी सख्त टिप्पणी की है कि अगर राज्य और हाई कोर्ट इससे नहीं निपट सकते तो शीर्ष कोर्ट इन मामलों को देखेगा.

Supreme Court
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Jul 25, 2022, 3:11 PM IST

Updated : Jul 25, 2022, 4:24 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने विचाराधीन कैदियों की रिहाई नहीं करने के लिए यूपी सरकार को फटकार लगाई है. यूपी सरकार ने अदालत को बताया था कि 853 मामले ऐसे हैं जिनकी उसने जांच नहीं की है और उन पर निर्णय लेने के लिए समय की आवश्यकता होगी. अदालत ने राज्य को उन सभी 853 कैदियों का विवरण उपलब्ध कराने का निर्देश दिया जो 10 साल से अधिक समय से जेल में बंद हैं. इसके साथ ही राज्य से जवाब मांगा है. इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट को लेकर भी सख्त टिप्पणी की है कि 'अगर आप इसे हैंडल नहीं कर पाए तो हम खुद इसे हैंडल करेंगे.' अदालत ने सुलेमान बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की और निर्देश पारित किया. 17 अगस्त, 2022 को मामले की फिर से सुनवाई होने की संभावना है.

गौरतलब है कि साल 2020 के अंत तक देशभर की जेलों में कम से कम 4.83 लाख भारतीय नागरिक कैद थे. इनमें 76 फीसदी से अधिक विचाराधीन आरोपी, जबकि 23 प्रतिशत दोषी करार दिए गए लोग शामिल हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की वार्षिक 'जेल स्टैटिस्टिक्स इंडिया 2020' रिपोर्ट (NCRB Annual Prison Statistics India 2020 Report) से पता चला है कि देशभर की जेलों में 3,549 (या एक प्रतिशत से भी कम) अन्य ऐसे कैदी भी मौजूद थे, जिन्हें हिरासत में लिया गया था. रिपोर्ट में बताया गया है कि 2020 के अंत तक देशभर की जेलों में विदेशी मूल के 4,926 कैदी भी बंद थे.

NCRB ने बताया कि राज्यों में सबसे ज्यादा 22.1 प्रतिशत यानी लगभग 1.06 लाख कैदी उत्तर प्रदेश की जेलों में थे. देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में दोषी करार दिए जा चुके कैदियों की संख्या भी सबसे ज्यादा (number of prisoners convicted in UP is more) 23.9 फीसदी (26,607) थी, जबकि मध्य प्रदेश 12.2 प्रतिशत (13,641 कैदी) और बिहार 6.9 फीसदी (7,730 कैदी) इस मामले में क्रमश: दूसरे व तीसरे पायदान पर थे. रिपोर्ट पर गौर करें तो दोषी करार दिए जा चुके सर्वाधिक 55,563 कैदी (49.9 फीसदी) 30 से 35 साल के आयुवर्ग में थे. इससे पता चला है कि 31,935 कैदियों (28.7 प्रतिशत) की उम्र 18 से 30 वर्ष के बीच थी, जबकि 23,856 कैदी (21.4 फीसदी) 50 साल से ज्यादा उम्र थे.

NCRB के मुताबिक, भारतीय जेलों में बंद ज्यादातर विचाराधीन कैदी जहां 18 से 30 साल के आयुवर्ग में (age of most of the undertrials in Indian jails) थे, वहीं दोषी करार दिए गए अधिकतर लोगों की उम्र 30 से 50 वर्ष के बीच थी. रिपोर्ट के अनुसार, कुल कैदियों में 1.11 लाख (23.04 फीसदी) दोषी करार दिए जा चुके अपराधी, जबकि 3.68 लाख (76.17 फीसदी) विचाराधीन आरोपी और 3,549 (0.76 फीसदी) हिरासत में रखे गए लोग शामिल थे. गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाले एनसीआरबी के मुताबिक, कुल 4.83 लाख कैदियों में 96 फीसदी पुरुष, 3.98 फीसदी महिलाएं और 0.01 फीसदी ट्रांसजेंडर शामिल हैं.

पढ़ें- मुकदमों में विलंब के कारण जेल में रहने को मजबूर हैं विचाराधीन कैदी : हाईकोर्ट

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने विचाराधीन कैदियों की रिहाई नहीं करने के लिए यूपी सरकार को फटकार लगाई है. यूपी सरकार ने अदालत को बताया था कि 853 मामले ऐसे हैं जिनकी उसने जांच नहीं की है और उन पर निर्णय लेने के लिए समय की आवश्यकता होगी. अदालत ने राज्य को उन सभी 853 कैदियों का विवरण उपलब्ध कराने का निर्देश दिया जो 10 साल से अधिक समय से जेल में बंद हैं. इसके साथ ही राज्य से जवाब मांगा है. इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट को लेकर भी सख्त टिप्पणी की है कि 'अगर आप इसे हैंडल नहीं कर पाए तो हम खुद इसे हैंडल करेंगे.' अदालत ने सुलेमान बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की और निर्देश पारित किया. 17 अगस्त, 2022 को मामले की फिर से सुनवाई होने की संभावना है.

गौरतलब है कि साल 2020 के अंत तक देशभर की जेलों में कम से कम 4.83 लाख भारतीय नागरिक कैद थे. इनमें 76 फीसदी से अधिक विचाराधीन आरोपी, जबकि 23 प्रतिशत दोषी करार दिए गए लोग शामिल हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की वार्षिक 'जेल स्टैटिस्टिक्स इंडिया 2020' रिपोर्ट (NCRB Annual Prison Statistics India 2020 Report) से पता चला है कि देशभर की जेलों में 3,549 (या एक प्रतिशत से भी कम) अन्य ऐसे कैदी भी मौजूद थे, जिन्हें हिरासत में लिया गया था. रिपोर्ट में बताया गया है कि 2020 के अंत तक देशभर की जेलों में विदेशी मूल के 4,926 कैदी भी बंद थे.

NCRB ने बताया कि राज्यों में सबसे ज्यादा 22.1 प्रतिशत यानी लगभग 1.06 लाख कैदी उत्तर प्रदेश की जेलों में थे. देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में दोषी करार दिए जा चुके कैदियों की संख्या भी सबसे ज्यादा (number of prisoners convicted in UP is more) 23.9 फीसदी (26,607) थी, जबकि मध्य प्रदेश 12.2 प्रतिशत (13,641 कैदी) और बिहार 6.9 फीसदी (7,730 कैदी) इस मामले में क्रमश: दूसरे व तीसरे पायदान पर थे. रिपोर्ट पर गौर करें तो दोषी करार दिए जा चुके सर्वाधिक 55,563 कैदी (49.9 फीसदी) 30 से 35 साल के आयुवर्ग में थे. इससे पता चला है कि 31,935 कैदियों (28.7 प्रतिशत) की उम्र 18 से 30 वर्ष के बीच थी, जबकि 23,856 कैदी (21.4 फीसदी) 50 साल से ज्यादा उम्र थे.

NCRB के मुताबिक, भारतीय जेलों में बंद ज्यादातर विचाराधीन कैदी जहां 18 से 30 साल के आयुवर्ग में (age of most of the undertrials in Indian jails) थे, वहीं दोषी करार दिए गए अधिकतर लोगों की उम्र 30 से 50 वर्ष के बीच थी. रिपोर्ट के अनुसार, कुल कैदियों में 1.11 लाख (23.04 फीसदी) दोषी करार दिए जा चुके अपराधी, जबकि 3.68 लाख (76.17 फीसदी) विचाराधीन आरोपी और 3,549 (0.76 फीसदी) हिरासत में रखे गए लोग शामिल थे. गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाले एनसीआरबी के मुताबिक, कुल 4.83 लाख कैदियों में 96 फीसदी पुरुष, 3.98 फीसदी महिलाएं और 0.01 फीसदी ट्रांसजेंडर शामिल हैं.

पढ़ें- मुकदमों में विलंब के कारण जेल में रहने को मजबूर हैं विचाराधीन कैदी : हाईकोर्ट

Last Updated : Jul 25, 2022, 4:24 PM IST
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