ETV Bharat / bharat

सुप्रीम कोर्ट ने यौन उत्पीड़न मामले में मिली 10 साल जेल की सजा खत्म की - SC sets aside 10-yr sentence in POCSO case

शीर्ष अदालत को तमिलनाडु की उस परंपरा से अवगत कराया गया, जहां एक लड़की की शादी उसके मामा से हो सकती है. इसके बाद न्यायालय ने कहा कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए आरोपी की दोषसिद्धि और सजा निरस्त किए जाने योग्य है.

Court revokes 10 year jail sentence
यौन उत्पीड़न मामला जेल निरस्त
author img

By

Published : May 12, 2022, 10:57 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने नाबालिग भांजी के यौन उत्पीड़न के अभियुक्त की दोषसिद्धि और 10 वर्ष जेल की सजा यह कहते हुए निरस्त कर दी है कि वे अब शादीशुदा हैं और उनके बच्चे हैं तथा यह अदालत वास्तविकता से आंखें मूंदकर उनके खुशहाल जीवन को तबाह नहीं कर सकती. शीर्ष अदालत को तमिलनाडु की उस परंपरा से अवगत कराया गया, जहां एक लड़की की शादी उसके मामा से हो सकती है. इसके बाद न्यायालय ने कहा कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए आरोपी की दोषसिद्धि और सजा निरस्त किए जाने योग्य है.

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने कहा, 'वास्तविकता से यह अदालत मुंह नहीं मोड़ सकती और अपीलकर्ता और पीड़िता के वैवाहिक जीवन को तबाह नहीं कर सकती. हमें तमिलनाडु में मामा के साथ भांजी की शादी की प्रथा के बारे में अवगत कराया गया है.'

यह भी पढ़ें-Sedition Law: राजद्रोह मामलों की कार्यवाही पर SC ने लगाई रोक, नई FIR दर्ज नहीं होंगी

पीठ ने दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ अपील का निपटारा करते हुए कहा, 'उपरोक्त वर्णित अनोखे कारणों की वजह से अपीलकर्ता की दोषसिद्धि और सजा को निरस्त किया जाता है, लेकिन इसे दृष्टांत के तौर पर नहीं लिया जाएगा.' शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि व्यक्ति अपनी पत्नी का उचित ध्यान नहीं रखता तो वह (महिला) या सरकार इस आदेश में संशोधन के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकती है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने नाबालिग भांजी के यौन उत्पीड़न के अभियुक्त की दोषसिद्धि और 10 वर्ष जेल की सजा यह कहते हुए निरस्त कर दी है कि वे अब शादीशुदा हैं और उनके बच्चे हैं तथा यह अदालत वास्तविकता से आंखें मूंदकर उनके खुशहाल जीवन को तबाह नहीं कर सकती. शीर्ष अदालत को तमिलनाडु की उस परंपरा से अवगत कराया गया, जहां एक लड़की की शादी उसके मामा से हो सकती है. इसके बाद न्यायालय ने कहा कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए आरोपी की दोषसिद्धि और सजा निरस्त किए जाने योग्य है.

न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने कहा, 'वास्तविकता से यह अदालत मुंह नहीं मोड़ सकती और अपीलकर्ता और पीड़िता के वैवाहिक जीवन को तबाह नहीं कर सकती. हमें तमिलनाडु में मामा के साथ भांजी की शादी की प्रथा के बारे में अवगत कराया गया है.'

यह भी पढ़ें-Sedition Law: राजद्रोह मामलों की कार्यवाही पर SC ने लगाई रोक, नई FIR दर्ज नहीं होंगी

पीठ ने दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ अपील का निपटारा करते हुए कहा, 'उपरोक्त वर्णित अनोखे कारणों की वजह से अपीलकर्ता की दोषसिद्धि और सजा को निरस्त किया जाता है, लेकिन इसे दृष्टांत के तौर पर नहीं लिया जाएगा.' शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि व्यक्ति अपनी पत्नी का उचित ध्यान नहीं रखता तो वह (महिला) या सरकार इस आदेश में संशोधन के लिए न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकती है.

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.