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कोर्ट ने धार्मिक, परमार्थ दान के लिए समान संहिता संबंधी याचिका के समर्थन में सामग्री मांगी

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Published : Sep 2, 2022, 7:00 AM IST

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने कहा, ये याचिकाएं महज बयानबाजी लगती हैं और इससे अधिक कुछ भी नहीं हैं. कृपया क्षमा करें, मैं गलत हो सकता हूं, लेकिन मुद्दा यह है कि इसके समर्थन में कुछ सामग्री होनी चाहिए.

धार्मिक परमार्थ दान के लिए समान संहिता याचिका
धार्मिक परमार्थ दान के लिए समान संहिता याचिका

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को उस जनहित याचिका के समर्थन में 'कुछ सामग्री' मांगी, जिसमें धार्मिक और परमार्थ दान के लिए एक समान संहिता का आग्रह किया गया है और दावा किया गया है कि कर्नाटक में धन की कमी के कारण 15,000 मंदिर बंद हो गए हैं. जनहित याचिका में देशभर में हिंदू मंदिरों पर अधिकारियों के नियंत्रण का उल्लेख किया गया है और कहा गया है इसके विपरीत अन्य धार्मिक समूहों को स्वयं के धार्मिक और प्रार्थना संस्थानों का प्रबंधन करने की अनुमति है.

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने कहा, ये याचिकाएं महज बयानबाजी लगती हैं और इससे अधिक कुछ भी नहीं हैं. कृपया क्षमा करें, मैं गलत हो सकता हूं, लेकिन मुद्दा यह है कि इसके समर्थन में कुछ सामग्री होनी चाहिए.

इसने अधिवक्ता और याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय को अपनी इस दलील के पक्ष में कुछ 'ठोस सामग्री' दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया कि 'धर्मनिरपेक्ष' राज्य हिंदू मंदिरों और उन्हें चलाने वाले निकायों से देश भर से धन एकत्र कर रहा है और उन्हें पर्याप्त रूप से इसकी वापसी नहीं कर रहा जिसके कारण अकेले कर्नाटक में लगभग 15,000 मंदिर बंद हो गए हैं.

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को उस जनहित याचिका के समर्थन में 'कुछ सामग्री' मांगी, जिसमें धार्मिक और परमार्थ दान के लिए एक समान संहिता का आग्रह किया गया है और दावा किया गया है कि कर्नाटक में धन की कमी के कारण 15,000 मंदिर बंद हो गए हैं. जनहित याचिका में देशभर में हिंदू मंदिरों पर अधिकारियों के नियंत्रण का उल्लेख किया गया है और कहा गया है इसके विपरीत अन्य धार्मिक समूहों को स्वयं के धार्मिक और प्रार्थना संस्थानों का प्रबंधन करने की अनुमति है.

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने कहा, ये याचिकाएं महज बयानबाजी लगती हैं और इससे अधिक कुछ भी नहीं हैं. कृपया क्षमा करें, मैं गलत हो सकता हूं, लेकिन मुद्दा यह है कि इसके समर्थन में कुछ सामग्री होनी चाहिए.

इसने अधिवक्ता और याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय को अपनी इस दलील के पक्ष में कुछ 'ठोस सामग्री' दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया कि 'धर्मनिरपेक्ष' राज्य हिंदू मंदिरों और उन्हें चलाने वाले निकायों से देश भर से धन एकत्र कर रहा है और उन्हें पर्याप्त रूप से इसकी वापसी नहीं कर रहा जिसके कारण अकेले कर्नाटक में लगभग 15,000 मंदिर बंद हो गए हैं.

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